लखनऊ में रहना है तो एलडीए को सुख-सुविधा शुल्क देना होगा, पूरे शहर में लागू करने की तैयारी
लखनऊ विकास प्राधिकरण आने वाले समय में एलडीए के तहत आने वाले इलाकों में रहने वालों से सुख-सुविधा शुल्क वसूलेगा। अभी यह शुल्क ग्रीन कॉरिडोर इलाके में लिया जा रहा है जिससे 88 करोड़ की कमाई हुई है।
बड़े शहरों में रह रहे हैं तो वहां सरकार को सुख-सुविधा शुल्क भी देना होगा। लखनऊ विकास प्राधिकरण (एलडीए) लखनऊ शहर में यह व्यवस्था लागू करने जा रहा है। पूरा लखनऊ जिला एलडीए का हिस्सा बन चुका है। कुछ बाहरी इलाके भी महायोजना में शामिल किए गए हैं। एलडीए अपने तहत आने वाले सारे क्षेत्रों में नई व्यवस्था लागू करने की तैयारी में है। विशेष सुख-सुविधा शुल्क की व्यवस्था वर्ष 2023 में उत्तर प्रदेश सरकार की कैबिनेट की बैठक का निर्णय है।
यूपी कैबिनेट के फैसले के बाद एलडीए ने पहले लखनऊ के ग्रीन कॉरिडोर में सुख-सुविधा शुल्क लागू किया था। यानी उस क्षेत्र में जो भी निर्माण के लिए नक्शे पास कराएगा, उसे यह शुल्क देना होगा। एलडीए को अब तक ग्रीन कॉरिडोर से सुख-सुविधा शुल्क मद में 88 करोड़ रुपए की आमदनी हो चुकी है। एलडीए के एक अधिकारी ने बताया कि विशेष सुख-सुविधा शुल्क फिलवक्त 350 रुपये प्रति वर्ग मीटर है। उन्होंने बताया कि अगर पूरे एलडीए क्षेत्र में सुख-सुविधा शुल्क लागू होगा तो इसकी दर में कमी लाई जाएगी।
एलडीए सूत्रों के मुताबिक प्राधिकरण अपने मातहत आने वाले इलाकों में सुख-सुविधा शुल्क लागू करने से पहले दर को घटाकर 180 रुपए से 250 रुपए प्रति वर्गमीटर के बीच रख सकता है। व्यवस्था लागू करने के लिए पहले प्रस्ताव को बोर्ड की बैठक में रखा जाएगा। एलडीए उपाध्यक्ष इंद्रमणि त्रिपाठी के अनुसार अध्यक्ष रोशन जैकब को इस प्रस्ताव की जानकारी दी गई है और इस पर उनकी सैद्धांतिक सहमति मिल गई है।
एलडीए का दायरा पहले 1000 वर्ग किलोमीटर ही था लेकिन अब 2500 वर्ग किलोमीटर हो गया है। पहले जिन इलाकों में जिला पंचायत से नक्शा पास हो जाता था, अब वहां भी मकान, कॉलोनी या अपार्टमेंट बनाने से पहले एलडीए के दरवाजे पर आना होगा। एलडीए का दायरा बढ़ाने का मकसद है कि लखनऊ जिला का समान रूप से विकास हो। बिल्डर आम लोगों को ऐसी कॉलोनी बनाकर ना ठग सकें जो अवैध हो या जहां सड़क, बिजली, नाला, पानी की समस्या हो।