वोट नहीं दोगे तो हिसाब-किताब भी होगा; वोटर-वर्कर को धमकाने लगे सपा के शिवपाल सिंह यादव
सपा नेता शिवपाल यादव बोलते-बोलते अपने ही वोटरों और कार्यकर्ताओं को धमकाने लगे। हाथ में माइक लिए मंच से शिवपाल यादव ने कहा कि हम सबसे वोट मांगेंगे, वोट दोगे तो ठीक नहीं तो बाद में हिसाब किताब होगा।
बदायूं से लोकसभा चुनाव में उतरे शिवपाल यादव एक तरफ अपनी जगह बेटे आदित्य को मैदान में उतारने को कोशिश में लगे हैं तो दूसरी तरफ जोर-शोर से प्रचार भी कर रहे हैं। एक दिन में कई नुक्कड़ सभाएं कर रहे हैं। उनके साथ बेटा आदित्य यादव भी हमेशा मौजूद रहता है। गुरुवार को भी ऐसी ही एक सभा के दौरान शिवपाल यादव बोलते-बोलते अपने ही वोटरों और कार्यकर्ताओं को धमकाने लगे। हाथ में माइक लिए मंच से शिवपाल यादव ने कहा कि हम सबसे वोट मांगेंगे, वोट दोगे तो ठीक नहीं तो बाद में हिसाब किताब होगा। शिवपाल ने कहा कि हम सभी से वोट मांगेगे, जो देगा वो ठीक है नहीं तो अपने लोग तो हैं ही जो लाखों वोट से जिता देंगे। आगे उन्होंने कहा कि जो देगा वो ठीक है, वोट नहीं तो फिर हिसाब किताब भी होगा। धमकी वाले लहजे में इस तरह से लोगों को संबोधित करने का वीडियो कुछ देर में ही वायरल हो गया।
शिवपाल यादव की बातों को मुख्तार अंसारी के विधायक बेटे अब्बास अंसारी के विधानसभा चुनाव के दौरान दी गई धमकी से भी जोड़ा जा रहा है। अब्बास ने भी विधानसभा चुनाव के दौरान प्रचार के दौरान इसी तरह से हिसाब किताब वाली भाषा बोली थी। इस मामले में उनके खिलाफ केस भी हुआ था। अब्बास ने मंच से तब कहा था कि मैंने अखिलेश यादव से कह दिया है कि सरकार बनने पर अधिकारियों का तबादला तब तक नहीं करना है जब तक हिसाब किताब न हो जाए। पहले हिसाब किताब होगा फिर अफसरों का तबादला होगा। उनकी भाषा को आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन मानते हुए केस हुआ था।
अपनी जगह बेटे को लड़ाना चाहते हैं शिवपाल
अखिलेश यादव ने अपने चााचा शिवपाल यादव को पहली ही सूची में बदायूं से प्रत्याशी घोषित कर दिया था। तभी से वह प्रचार में भी लगे हैं। हालांकि इधर वह बार-बार अपनी जगह बेटे आदित्य को उतारने की वकालत करते हुए इशारों में कह रहे हैं कि वह चुनाव नहीं लड़ना चाहते हैं। बेटा आदित्य भी शिवपाल के साथ लगातार प्रचार में जुटा है।
माना जा रहा है कि अन्य सीटों की तरह यहां भी अंतिम समय में बदलाव होगा। शिवपाल से पहले धर्मेंद्र यादव को यहां का प्रभारी बनाया गया था। माना जा रहा था कि धर्मेंद्र यादव ही प्रत्याशी होंगे। बाद में धर्मेंद्र को आजमगढ़ से प्रत्याशी बना दिया गया। सपा ने पिछले चुनाव में इस सीट से धर्मेंद्र यादव को उतारा था। वह बीजेपी सांसद संघमित्रा मौर्य से हार गए थे।