खुल गई पोल, एलडीए के 12 अफसरों और इंजीनियरों ने मिलकर बनवाए दो हजार घटिया मकान, गरीबों के लिए गुणवत्ता घटाई
घटिया गुणवत्ता के चलते इन मकानों को 2014 में ध्वस्त कर दिया गया था। पूर्व की जांच में इसके लिए सात अफसर दोषी ठहराए गए थे, लेकिन नई जांच के बाद सामने आया कि मामले में 12 अफसर जिम्मेदार थे।
एलडीए के 12 अफसरों और इंजीनियरों ने मिलकर गरीबों के लिए बने मकानों की गुणवत्ता घटा दी। लखनऊ की देवपुर पारा योजना में इन्होंने 2000 मकान घटिया बनाए थे। गरीबों के लिए बने इन घरों की घटिया गुणवत्ता होने से इन्हें 2014 में ध्वस्त कर दिया गया था। पूर्व की जांच में इसके लिए सात अफसर दोषी ठहराए गए थे, लेकिन नई जांच के बाद 22 दिसंबर को सामने आया कि पूरे मामले में 12 अफसर जिम्मेदार थे, जिनके खिलाफ अब सख्त कार्रवाई की तैयारी है।
एलडीए की देवपुर पारा योजना में वर्ष 2,000- 2001 में 59 बीघा जमीन पर 2000 मकानों का निर्माण शुरू हुआ था। तत्कालीन अफसर, इंजीनियरों ने इन मकानों को इतना घटिया बनवाया कि रहने के लायक ही नहीं थे। एक तरफ मकान की दीवार और छत पड़ रही थी और दूसरी तरफ घर गिर रहे थे। 2005 तक तैयार हुए इन मकानों को 2014 में ध्वस्त करना पड़ा। बोर्ड में प्रस्ताव पास कर 2014 में इन्हें गिरा दिया गया।
22 दिसंबर को बैठक कर सौंपी गई रिपोर्ट
इस मामले में पहले हुई जांच के बाद एलडीए ने सात इंजीनियरों को दोषी बताया मगर लोक लेखा समिति की जांच पर एलडीए ने 12 लोगों को दोषी करार दिया। 22 दिसंबर को शासन में हुई बैठक में 12 अफसरों के बारे में रिपोर्ट दी गई है।
नई जांच के बाद ये अफसर और इंजीनियर दोषी करार
तत्कालीन नगर नियोजक भारत भूषण, तत्कालीन मुख्य अभियंता आरपी शुक्ला, ललित किशोर मेहरोत्रा, विवेक मेहरा, एके गुप्ता, अधिशासी अभियंता एनएस गुरदत्ता, आर एल सरोज, फुल्लन राय, सहायक अभियंता एसएस वर्मा, अवर अभियंता बीके राय, वीरेंद्र पांडेय, देवेंद्र गोस्वामी को जिम्मेदार ठहराया गया है।
देवपुर पारा योजना
-68 मकान बनने के तुरंत बाद ध्वस्त हुए
-509 मकान क्षतिग्रस्त पाए गए थे।
-250 घरों की सामने तथा पीछे की दीवार ही नहीं थी
-1395 मकान आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त, गिरे मिले थे