कानपुर: पीयूष जैन की मुश्किलें बढ़ीं, डीआरआई के बाद अब ईडी मनी लांड्रिंग केस में करेगी जांच
जेल में बंद इत्र कारोबारी पीयूष जैन की मुश्किलें बढ़ गई हैं। डीजीजीआई की छापेमारी के दौरान पकड़े गए 197 करोड़ रुपये कैश का हिसाब न दे पाया पीयूष अब बरामद किए गए 23 किलो सोने को लेकर भी फंस गया है। यह
जेल में बंद इत्र कारोबारी पीयूष जैन की मुश्किलें बढ़ गई हैं। डीजीजीआई की छापेमारी के दौरान पकड़े गए 197 करोड़ रुपये कैश का हिसाब न दे पाया पीयूष अब बरामद किए गए 23 किलो सोने को लेकर भी फंस गया है। यह सोना सऊदी अरब से खरीदा गया। विदेशी सोने की खरीद के लिए भुगतान भी डॉलर में किया गया। इतनी विदेशी मुद्रा कहां से आई, इस सवाल पर भी उसने चुप्पी साध ली है। मनी लांड्रिंग और विदेशी मुद्रा अधिनियम का मामला बनने के बाद डीआरआई के बाद ईडी भी मामले की जांच शुरू करेगा।
पीयूष के कन्नौज स्थित घर से मिले सोने के बिस्किट पर अबूधाबी की मुहर पाई गई। मुहर को खुरच कर मिटाने का प्रयास किया गया। सोना बरामद होने के बाद राजस्व खुफिया महानिदेशालय (डीआरआई) ने कस्टम एक्ट के तहत एफआईआर दर्ज की थी। सोने की ईंटें मिलने के बाद डीजीजीआई ने मामला डीआरआई को भेजा था। बरामद बिस्किट सऊदी अरब की कंपनी इंटरनेशनल प्रेशस मेटल रिफाइनर्स के हैं। इसका मुख्यालय यूएई में है। एक शाखा शारजाह स्थित शारजाह इंटरनेशनल फ्री जोन स्थित वेयरहाउस में है जबकि दूसरी गोल्ड सोक दुबई में है।
डॉलर में किया गया भुगतान
इस तरह का सोना सरकारी चैनल से भारत नहीं आता है बल्कि तस्करी के रास्ते से पहुंचता है। डीआरआई गोल्ड स्मगलिंग के एंगल से इसकी जांच कर रही है। पूछताछ में पीयूष जैन ने दावा किया कि ये सोना नंबर एक के रास्ते खरीदा है लेकिन वह इसके कागजात नहीं दिखा सका। किसी एजेंसी या चैनल से सोना खरीदा है, इस सवाल पर भी उसने चुप्पी साध ली। स्मगलिंग के रास्ते खरीदे गए सोने का भुगतान भी विदेशी मुद्रा यानी डॉलर में किया गया। डॉलर कहां से लाए, इसका जवाब भी एजेंसी को नहीं मिला। डीआरआई सूत्रों के मुताबिक पूरा सोना मनी लांड्रिंग का रैकेट का है, जिसका भुगतान हवाला के रास्ते किया गया। साथ ही विदेशी मुद्रा अधिनियम (फेमा) का उल्लंघन किया गया। इसलिए जांच की कमान प्रवर्तन निदेशालय को दी जाएगी। ईडी अब नए सिरे से मनी लांड्रिंग की जांच करेगा।