Kanpur GST Fraud: पीयूष जैन का काला धन छूटने का रास्ता साफ, जमा किया 54 करोड़ जीएसटी
कानपुर के इत्र कारोबारी पीयूष जैन ने 54 करोड़ रुपये जीएसटी के जमा कर दिए हैं। इसी के साथ पीयूष के खिलाफ केस कमजोर हो गया है क्योंकि जीएसटी लेते ही बरामद 197 करोड़ रुपये कारोबारी मुनाफा बन गए।
कानपुर के इत्र कारोबारी पीयूष जैन ने 54 करोड़ रुपये जीएसटी के जमा कर दिए हैं। इसी के साथ पीयूष के खिलाफ केस कमजोर हो गया है क्योंकि जीएसटी लेते ही उसके पास से बरामद 197 करोड़ रुपये कारोबारी मुनाफे में तब्दील हो गए हैं। अब आयकर विभाग की पकड़ भी ढीली हो जाएगी क्योंकि आयकर अधिनियम के तहत विभाग टैक्स, पेनाल्टी और ब्याज वसूलने से ज्यादा कोई खास एक्शन नहीं ले सकता। पीयूष जैन ने पिछले साल छापों के दूसरे दिन ही लिखित में 32 करोड़ जीएसटी और 20 करो़ड़ टैक्स-पेनाल्टी सहित कुल 52 करोड़ रुपये टैक्स देने का पत्र लिखित में डीजीजीआई को दे दिया था। गिरफ्तारी के बाद दो बार टैक्स लेने का प्रस्ताव फिर दिया।
पीयूष की जमानत का आधार भी सीजीएसटी एक्ट की एक धारा बनी। सीजीएसटी एक्ट की धारा 138 में प्रावधान है कि पांच करोड़ से अधिक कैश धनराशि बरामद होने पर जीएसटी कमिश्नर टैक्स का निर्धारण करते हैं तो मामला कंपाउंडेबल माना जाएगा। पीयूष ने इसी धारा का लाभ लिया। पीयूष ने पहले स्वतः टैक्स निर्धारण को आधार बनाकर 54.09 करोड़ रुपये जमा करा दिए। चूंकि एक्ट में भी इसका प्रावधान है, लिहाजा जीएसटी कमिश्नर की ओर से टैक्स स्वीकार करने की अनुमति देना पड़ी। टैक्स की ये धनराशि ओडोकेम इंडस्ट्रीज, ओडोसिंथ इंडस्ट्रीज व फ्लोरा इंडस्ट्री में दिखाये कारोबार पर दी गई।
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नंबर एक के बचेंगे 70 करोड़
डीजीजीआई ने पीयूष को सलाखों के पीछे रखने के तमाम जतन किए लेकिन सबूत न होने के कारण फेल हो गया। जीएसटी स्वीकार करते ही पीयूष के पास से मिले 197 करोड़ और 23 किलो सोना कारोबारी मुनाफा हो गया। आयकर विभाग के सूत्र के मुताबिक पीयूष आयकर देने का भी प्रस्ताव दे चुका है जो अधिकतम 78 करोड़ रुपये बनता है। यानी पीयूष के पास नंबर एक के 65 करोड़ रुपये बच जाएंगे। साथ में 23 करोड़ का सोना भी उसका हो जाएगा।
विशेष लोक अभियोजक, अम्बरीश टंडन ने कहा कि पीयूष जैन ने 54 करोड़ रुपये जीएसटी के रूप में जमा किए हैं। इसी आधार पर उसे जमानत मिली है। टैक्स के नए प्रस्ताव के संबंध में पीयूष को नोटिस भेजा गया है। कोर्ट के जरिए कारण बताओ नोटिस जारी किया जाएगा। बचाव पक्ष के अधिवक्ता चिन्मय पाठक ने कहा कि पीय़ूष ने बरामद नगदी के आधार पर 54 करोड़ रुपये जीएसटी के जमा कर दिए हैं। इसमें ब्याज और पेनाल्टी भी शामिल है। अब विभाग द्वारा ज्यादा टैक्स के नोटिस का कोई आधार नहीं है। इस संबंध में कोर्ट में भी पीयूष का पक्ष रखा जाएगा।
सेंट्रल इंडिया रीजनल काउंसिल के पूर्व चेयरमैन, सीए दीप कुमार मिश्र ने कहा कि यह पूरा केस सीजीएसटी विभाग का था। विभाग ने जीएसटी लेकर केस को कमजोर कर दिया है। जीएसटी लेते ही पीयूष के पास से बरामद 197 करोड़ व्यापार से हुए मुनाफे में तब्दील हो गए। इनकम टैक्स एक्ट के तहत इस पर ब्याज पेनाल्टी मिलाकर करीब 44 फीसदी टैक्स बनता है।