इमरान मसूद को बीएसपी नेताओं की पहली कतार में मिली जगह, 2024 के लिए क्या है मायावती का प्लान
हाल में सपा से आए इमरान मसूद बीएसपी की बैठक में नेताओं की पहली पंक्ति में बैठे नजर आए। इमरान को मिलती ऐसी अहमियत को मुस्लिम वोटरों का विश्वास जीतने की BSP की कोशिशों से जोड़कर देखा जा रहा है।
बसपा सुप्रीमो मायावती ने साल-2023 की शुरुआत से पहले शुक्रवार को लखनऊ स्थित पार्टी कार्यालय पर कोआर्डिनेटरों और जिलाध्यक्षों की एक खास बैठक बुलाई। इस बैठक में हाल में सपा छोड़ बसपा में शामिल हुए इमरान मसूद नेताओं की पहली पंक्ति में बैठे नजर आए। पार्टी ज्वाइन करने के चंद दिनों में ही बसपा में मिलती ऐसी अहमियत को मुस्लिम वोटरों का विश्वास जीतने की बीएसपी की कोशिशों से जोड़कर देखा जा रहा है। पिछले विधानसभा चुनाव में सिर्फ एक सीट पर सिमट गई बसपा को मायावती 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले एक बार फिर नए सिरे से मजबूत संगठन का आधार देना चाहती हैं। इस मकसद से वह यूपी में पूरब से लेकर पश्चिम तक अलग-अलग समीकरणों को दुरुस्त करने में जुटी हैं।
ओबीसी समाज से आने वाले विश्वनाथ पाल को प्रदेश अध्यक्ष बनाना हो या फिर सपा छोड़ आए इमरान मसूद की एंट्री, मायावती के हर कदम को यूपी में एक बार फिर दलित, मुस्लिम, पिछड़ा गठजोड़ बनाने की उनकी कोशिशों के तौर पर देखा जा रहा है। मायावती के निशाने पर सबसे ज्यादा समाजवादी पार्टी का वोट बैंक है। इस वोट बैंक पर चोट करने और अपने पाले में लाने के लिए बीएसपी ने इमरान मसूद का सहारा लिया है। इमरान, पिछले दिनों जब सपा छोड़ बसपा में पहुंचे तो खुद मायावती ने सिर पर हाथ रखकर उन्हें आशीर्वाद दिया था। इसके साथ ही उन्हें पश्चिमी यूपी की जिम्मेदारी भी दी थी।
जिम्मेदारी मिलते ही एक्टिव हुए इमरान
बसपा में जिम्मेदारी मिलते ही इमरान मसूद एक्टिव हो गए। वह लगातार पश्चिमी यूपी के जिलों का दौरा कर रहे हैं। उनके निशाने पर समाजवादी पार्टी के एमवाई समीकरण यानी मुसलमान-यादव गठजोड़ का एम है। इमरान मसूद इस एम यानी मुलसमान को बसपा से जोड़कर एमडी यानी मुसलमान-दलित गठजोड़ बनाने के मिशन पर हैं। शुक्रवार को लखनऊ में बीएसपी की बड़ी बैठक में मायावती ने एक बार फिर पार्टी कैडर को गांव-गांव में जनसम्पर्क कर धरातल पर मजबूत संगठन खड़ा करने का आह्वान किया। उन्होंने ओबीसी आरक्षण के बहाने भाजपा, कांग्रेस और सपा तीनों पर हमला किया।
मायावती लगातार संदेश दे रही हैं कि अगर मुसलमानों ने सपा की जगह बसपा का साथ दिया होता तो आज प्रदेश में दो तिहाई बहुमत से उनकी सरकार होती। वह भाजपा को हराने के लिए दलित और मुस्लिमों को एक साथ लाने की बात करती हैं। अपने इसी एजेंडे के तहत इमरान मसूद को उन्होंने पार्टी में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी है और बीएसपी के कार्यक्रमों में भी उनकी वैसी ही भूमिका दिखाई देने लगी है।