हाजिरी कम होने पर परीक्षा से रोकने का मामला: गोरखपुर एम्स के 10 और छात्र सुप्रीम कोर्ट पहुंचे, 12 को होगी सुनवाई
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में 12 छात्रों को हाजिरी कम होने की वजह से परीक्षा से वंचित करने का मामला खत्म होता नजर नहीं आ रहा है। एम्स में परीक्षा से बाहर किए गए 10 और छात्रों ने सुप्रीम...
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में 12 छात्रों को हाजिरी कम होने की वजह से परीक्षा से वंचित करने का मामला खत्म होता नजर नहीं आ रहा है। एम्स में परीक्षा से बाहर किए गए 10 और छात्रों ने सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाई है। जिसके बाद इस मामले में अब 11 छात्र सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए हैं।
सोमवार को इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस एल नागेश्वर राव और जस्टिस एस रविन्द्र भट्ट की बेंच ने सुनवाई की। केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता तुषार मेहता और एश्वर्या भाटी प्रस्तुत हुईं। सुनवाई के दौरान एम्स प्रशासन के अधिवक्ता ने नोटिस न मिलने का हवाला देकर अदालत से मोहलत मांगी है। सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने आगामी 12 फरवरी को अगली सुनवाई की तारीख मुकर्रर की है।
यह है मामला
मामला एम्स के पहले बैच का है। वर्ष 2019 में एम्स में 50 छात्रों ने एमबीबीएस में प्रवेश लिया। कोरोना संक्रमण व लॉकडाउन के कारण मार्च से उनकी ऑफलाइन कक्षाएं बंद हो गई। जुलाई में एम्स प्रशासन ने छात्रों को परीक्षा के लिए हॉस्टल बुला लिया। कम्प्लीमेंट्री क्लॉस संचालित की। इन छात्रों में से 38 को एम्स प्रशासन ने सालाना परीक्षा में शामिल होने की मंजूरी दी। जबकि 12 छात्रों को हाजिरी कम होने का हवाला देकर परीक्षा से वंचित कर दिया। इससे इन छात्रों का एक वर्ष खराब हो सकता है।
छात्र पहुंचे हैं सुप्रीम कोर्ट
इसके विरोध में छात्रों ने एम्स प्रशासन व केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय में गुहार लगाई थी। कहीं से राहत नहीं मिलने पर छात्र सुप्रीम कोर्ट चले गए। प्रथम वर्ष के छात्र शशांक शेखर ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की। छात्र ने एम्स प्रशासन के फैसले को मौलिक अधिकार का हनन बताया। छात्र ने दावा किया कि देश में किसी संस्थान में कोरोना संक्रमण के दौरान हाजिरी कम होने से किसी छात्र को परीक्षा देने से नहीं रोका गया है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बीते 22 जनवरी को केन्द्र सरकार, केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और एम्स प्रशासन को नोटिस जारी किया। इस बीच चार फरवरी को 10 और छात्रों ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई।
एम्स हुआ सख्त तो विरोध में उतरे छात्र
मामले में नया मोड़ 25 जनवरी को आ गया। जब एम्स प्रशासन पर एमबीबीएस पहले बैच के छात्रों ने उत्पीड़न का आरोप लगाया। इसमें परीक्षा में पास होकर अगले सत्र में प्रवेश लेने वाले छात्र शामिल रहे। छात्रों ने कार्यकारी निदेशक के खिलाफ तहरीर भी दी। डीएम के हस्तक्षेप के बाद मामला खत्म हुआ।
एम्स में होगी कोरोना जांच
एम्स में भी अब कोरोना की जांच होगी। सोमवार को कार्यकारी निदेशक डा. सुरेखा किशोर ने ट्रूनेट लैब का उद्घाटन किया। मशीन से चार से छह घंटे में कोरोना की रिपोर्ट मिल जाएगी। निदेशक ने बताया कि ट्रूनेट मशीन से कोरोना के साथ ही टीबी की भी जांच होती है। पूर्वांचल में टीबी के मामले ज्यादा हैं। इसे देखते हुए यह मशीन टीबी मरीजों के लिए भी बहुत फायदेमंद है। डाक्टर जिन मरीजों को जरूरी समझेंगे उनकी कोरोना की जांच कराएंगे।