यूपी के इस शहर में ड्राइविंग में लड़कियां लड़कों से बेहतर, आरटीओ के ये आंकड़े दे रहे गवाही
गोरखपुर की लड़कियां गाड़ी चलाने में लड़कों से बेहतर हैं। छह महीनों में डीएल के लिए 2500 लड़कियों ने आवेदन किया और सभी पास हो गईं, जबकि इस दौरान अप्लाई करने वाले 9500 युवकों में से करीब 8% फेल हो गए।
Driving Licence Test: गोरखपुर की लड़कियां गाड़ी चलाने में लड़कों से बेहतर हैं। इस साल जनवरी से जून महीने तक ड्राइविंग लाइसेंस के लिए हुए टेस्ट के रिजल्ट तो यही बताते हैं। इन छह महीनों में डीएल के लिए 2500 लड़कियों ने आवेदन किया और सभी पास हो गईं, जबकि इस दौरान अप्लाई करने वाले 9500 युवकों में से करीब आठ प्रतिशत फेल हो गए।
राप्तीनगर स्थित एक निजी ड्राइविंग स्कूल के ओएस मैथ्यू बताते हैं कि लड़कियां किसी भी काम में फोकस रहती हैं। एक बार लर्निंग बन जाने के बाद वह स्थाई लाइसेंस के लिए जल्दी परिपक्व हो जाती हैं और लगभग सभी नियम-कानून से वाकिफ हो जाती हैं, जबकि लड़के रफ्तार व स्टाइल के चक्कर में पीछे रह जाते हैं जिसकी वजह कम संख्या में ही सही पर फेल जरूर होते हैं।
चरगांवा स्थित ड्राइविंग टेस्ट सेंटर में रोजाना 70 से 75 लड़के आते हैं। इनमें 7 से 10 लड़के जरूर फेल हो जाते हैं, जबकि लड़कियों की संख्या रोजाना 18 से 20 रहती हैं वह शत प्रतिशत पा हो जाती हैं।
यह भी एक वजह
महिलाएं जिस श्रेणी का वाहन चलाने में पारंगत होती हैं, उसी के डीएल के लिए आवेदन करती हैं। इस वजह से स्थायी डीएल बनवाने के ट्रायल में वह पास हो जाती हैं। युवक टू और फोर व्हीलर का डीएल बनवाने का आवेदन करते हैं। 90 फीसदी युवतियां टू व्हीलर का ही डीएल बनवाती हैं।
दो चरणों में होती है प्रक्रिया
डीएल बनवाने की प्रक्रिया दो चरणों में होती है। पहले चरण में लर्निंग डीएल बनता है। इस डीएल के जारी होने के एक महीने बाद और छह महीने के अंदर स्थाई डीएल के लिए आवेदन करना होता है।
लर्निंग डीएल टेस्ट में भी बाजी मार रहीं युवतियां
लर्निंग ड्राइविंग लाइसेंस के ऑनलाइन टेस्ट में युवतियां ही बाजी मार रहीं हैं। रोजाना 110-120 लर्निंग डीएल बनवाने के लिए आवेदन होते हैं। 22-25 युवतियों के आवेदन तो 90-95 युवकों के आवेदन होते हैं। युवतियां लगभग सभी तो युवक 80-85 ही पास होते हैं।
क्या बोले अफसर
आरआई राघव कुशवाहा ने इस बारे में कहा कि युवकों की तुलना में युवतियां काफी ज्यादा संख्या में पास होती हैं। रोजाना करीब 18 से 20 युवतियां टेस्ट के लिए आती हैं और शत-प्रतिशत पास हो जाती हैं, जबकि कुछ युवकों को दोबारा टेस्ट देना पड़ता है।