पढ़ें, यूपी में आई बाढ़ तो कितनी तैयार है योगी सरकार ?
उत्तरप्रदेश में अगले 48 घंटों के भीतर मुसलाधार बारिश होने की संभावना जताई जा रही है. मौसम विभाग के अनुसार गोंडा, कुशीनगर, बलरामपुर, बहराइच, शाहजहांपुर, श्राबस्ती, मुजफ्फरनगर और इलाहाबाद में भारी...
उत्तरप्रदेश में अगले 48 घंटों के भीतर मुसलाधार बारिश होने की संभावना जताई जा रही है. मौसम विभाग के अनुसार गोंडा, कुशीनगर, बलरामपुर, बहराइच, शाहजहांपुर, श्राबस्ती, मुजफ्फरनगर और इलाहाबाद में भारी बारिश का अनुमान है।
मौसम के बदले मिजाज ने इलाहाबाद को गर्मी से तो राहत दी है लेकिन कई इलाकों में दिक्कत भी पैदा कर दी है। सड़कों पर जलभराव होने के कारण पानी घरों में घुस गया है। मंगलवार से ही आसमान में बादल छाए हुए हैं। बुधवार को देर रात शुरू हुई बारिश गुरुवार सुबह तक जारी रही. वहीं बनारस समेत पूर्वांचल में लगातार दूसरे दिन बारिश की वजह से पिछले बारह घंटे में करीब 24 मिमी बारिश रिकार्ड की गई। ऐसे ही हालात रहे तो बाढ़ जैसी स्थिति पैदा हो सकती है।
बता दें कि ऐसा पहली बार नहीं हुआ है कि यूपी में पहली बार बाढ़ को लेकर अलर्ट जारी किया है। प्रदेश के लगभग दो दर्जन जिले हर साल बाढ़ की चपेट में आ जाते हैं। जान-माल का भारी नुकसान होता है। बाढ़ से निपटने के लिए कई तैयारियां भी की जाती हैं। बाढ़ को लेकर योगी सरकार ने भी इस साल अप्रेल में बैठक की थी।
2017 में योगी सरकार की तैयारी-
बाढ़ को लेकर योगी सरकार ने योगी सरकार ने 21 साल बाद अप्रेल में बाढ़ नियंत्रण परिषद स्थायी समिति की बैठक की थी। इस दौरान उन्होंने कहा था कि अनावश्यक सरकारी पैसे का खर्च रोककर पूर्व में संचालित परियोजनाओं को पहले पूरा किया जाए, जिससे संचालित अधूरी परियोजनाओं का लाभ जनता को जल्द मिल सके और राज्य सरकार पर पड़ने वाले अनावश्यक खर्च का भार रोका जा सके। इ्स दौरान यूपी सीएम ने कहा था कि 189 अधूरी परियोजनाओं को जल्द पूरा किया जाए। इसके साथ ही व्यापक परिणाम देने वाली बाढ़ नियंत्रण परियोजनाओं को प्राथमिकता पर पूरा करने के निर्देश दिए थे।
बाढ़ ने दस्तक दे दी है लेकिन अभी तक यह काम पूरे नहीं हो पाए हैं।
बीते साल भी यूपी में बाढ़ से मची रही तबाही-
-साल 2016 में यूपी में बाढ़ की वजह से सैकड़ों गांव पानी में डूब गए थे और कई जिलों में करीब हजारों की तादाद में लोग फंस गए थे। इस साल प्रशासन ने कई गांवों में अलर्ट जारी कर दिया था। इस साल यूपी के महोबा जिले में 35 साल बाद ऐसी बाढ़ आई थी। वहीं वाराणसी और इलाहाबाद में गंगा का जल स्तर खतरे का निशान पार कर चुका था. जिससे कई इलाकों में काफी नुकसान हुआ था।
इसी साल राष्ट्रीय आपदा राहत बल ने बाढ़ की स्थिति की निगरानी के लिए एक कंट्रोल रूम बनाया था। अपना घर छोड़ कर नहीं जाना चाहते इसलिए एनडीआरएफ ने दोनों राज्यों में कई बोट एंबुलेंस तैनात किए थे। इनके जरिए लोगों तक इलाज़ और दवाइयां पहुंचाने की व्यवस्था की गई थी।
- साल 2015 में बरहज का कूरह परसिया गांव घाघरा की कटान के कारण नदी में समा गया। जिससे कई घर बह गए थे। इसके अलावा नेपाल और पहाड़ों पर हो रही लगातार बारिश से और यूपी की नदियों का जलस्तर बढ़ने से बाढ़ की चेतावनी भी दी गई थी।
-साल 2014 में भी यूपी में भारी बारिश और बाढ़ से भारी तबाही मच गई थी। नेपाल में भारी बारिश के कारण नदियों का स्तर काफी बढ़ गया था जिसका असर उत्तर प्रदेश पर पड़ा था। एक रिपोर्ट्स के मुताबिक इसी साल यहां 1500 से ज्यादा गांव प्रभावित हुए थे। कई लोगों की मौत हो गई थी और 300 से ज्यादा लोग लापता हो गए थे। वहीं बहराइच, श्रावस्ती, लखीमपुर खीरी, बाराबंकी और सीतापुर में बाढ़ और बारिश की वजह से बुरा हाल था।
-वहीं साल 2013 में उत्तर प्रदेश में 24 घंटे के भीतर बिजनौर समेत कई स्थानों पर भारी बारिश से प्रमुख नदियों का जलस्तर बढ़ गया था और यमुना, घाघरा, गंगा, राप्ती समेत प्रमुख नदियों का जलस्तर बढ़ने से बाढ़ प्रभावित कई जिलों में हालात गंभीर हो गये थे। इस दौरान प्रदेश के 15 जिले बाढ़ से प्रभावित थे। इस साल प्रदेश में अब तक 189 लोगों की मौत हो गई थी।
सबसे ज्यादा आफत इन नदियों के किनारे-
बाढ़ की वजह से करीब दर्जनों गांव नदियों में विलीन हो चुके हैं। बाढ़ के दौरान सबसे ज्यादा आफत रुद्रपुर और बरहज में नदी के किनारे बसे गांवों पर आती है। रुद्रपुर का करहकोल, मांझा नारायण, पांडेय बाजार हाटा, पांडेय मांझा राजभर, गायघाट समेत कई गांव राप्ती नदी में समा चुके हैं। पिंडरी, जगत मांझा, दलपतपुर, नारायणपुर गांव भी इससे प्रभावित हैं।