पिता बीजेपी के नेता, बेटे को बीएसपी ने प्रतापगढ़ से दिया टिकट; राजा भैया के गढ़ में मायावती का बड़ा दांव
बसपा सुप्रीमो मायावती ने राजा भैया के गढ़ प्रतापगढ़ में बड़ा दांव चल दिया है। उन्होंने यहां से प्रथमेश मिश्रा को मैदान में उतारा है। प्रथमेश के पिता कौशांबी में भाजपा के प्रभाारी हैं।
BSP ticket to BJP leader's son from Pratapgarh: बसपा सुप्रीमो मायावती ने राजा भैया के गढ़ प्रतापगढ़ में बड़ा दांव चल दिया है। उन्होंने यहां से प्रथमेश मिश्रा को मैदान में उतारा है। प्रथमेश के पिता शिव प्रकाश मिश्र सेनानी कौशांबी में भाजपा के प्रभारी हैं। प्रथमेश सुप्रीम कोर्ट में वकालत करते हैं। उनके पिता शिव प्रकाश मिश्र कुंडा विधानसभा सीट पर राजा भैया के खिलाफ चुनाव लड़ चुके हैं। मां, सिंधुजा मिश्रा सेनानी भी विश्वनाथगंज से बहुजन समाज पार्टी से प्रत्याशी रही हैं। वर्तमान में वह भी बीजेपी में हैं। माता-पिता के बीजेपी में रहते बेटे के बीएसपी से चुनाव लड़ने पर परिजनों का कहना है कि बेटा स्वतंत्र है। यह फैसला उनका अपना है। माता-पिता बीजेपी के लिए काम करते रहेंगे।
बहुजन समाज पार्टी ने सोमवार शाम जिले से लोकसभा के लिए अपना प्रत्याशी घोषित किया। प्रतापगढ़ के पलटन बाजार निवासी शिव प्रकाश मिश्र सेनानी कुंडा से और उनकी पत्नी सिंधुजा मिश्रा सेनानी विश्वनाथगंज से बहुजन समाज पार्टी से प्रत्याशी रह चुकी हैं। वर्तमान में पति-पत्नी भाजपा में हैं। शिव प्रकाश मिश्र सेनानी को भाजपा ने कौशाम्बी लोकसभा क्षेत्र का प्रभारी बनाया है। सोमवार को बसपा ने तीन प्रत्याशियों की सूची जारी की। इसमें सेनानी दंपती के बेटे सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता प्रथमेश मिश्र को जिले से लोकसभा का उम्मीदवार बनाया गया। प्रथमेश मिश्र पहली बार चुनाव मैदान में आए हैं। उनके पिता शिव प्रकाश मिश्र सेनानी ने बताया कि वह भाजपा में हैं और कौशाम्बी क्षेत्र में काम करेंगे। बसपा से चुनाव लड़ने का निर्णय बेटे का है।
1990 में प्रतापगढ़ में ही जन्में प्रथमेश ने बीए-एलएलबी तक की पढ़ाई की है। वह सुप्रीम कोर्ट के वकील हैं। प्रथमेश की एक छोटी बहन हैं। यह उनका पहला चुनाव होगा। उनके पिता शिव प्रकाश मिश्र सेनानी ने बसपा के टिकट पर 2007 और 2012 में बाहुबली विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया के खिलाफ चुनाव लड़ा था। हालांकि दोनों ही बार चुनाव में वह हार गए थे। वह 2004 में बसपा के टिकट पर प्रतापगढ़ लोकसभा क्षेत्र से भी चुनाव लड़ चुके हैं। उस चुनाव में भी हार ही मिली। इसके बाद वह बसपा छोड़ भाजपा में शामिल हो गए थे।