यूपी में एक बार फिर बहेगी चुनावी बयार, शहरी निकायों में रिक्त पदों पर होंगे चुनाव
यूपी में एक बार फिर चुनावी बयार बहेगी। प्रदेश के शहरी निकायों-नगर निगम, नगर पालिका परिषद, नगर पंचायत आदि में चेयरमैन, सभासद, पार्षद व सदस्य आदि के रिक्त पदों पर आयोग चुनाव करवाने जा रहा है।
लोकसभा चुनाव के बाद उत्तर प्रदेश में एक बार फिर चुनावी बयार बहेगी। अब बारी राज्य निर्वाचन आयोग की है। प्रदेश के शहरी निकायों-नगर निगम, नगर पालिका परिषद, नगर पंचायत आदि में चेयरमैन, सभासद, पार्षद व सदस्य आदि के रिक्त पदों पर आयोग चुनाव करवाने जा रहा है। शुक्रवार को आयोग इस चुनाव की अधिसूचना जारी करेगा।
प्रदेश के शहरी निकायों में 17 नगर निगमों के महापौर के पदों में से कोई पद रिक्त नहीं है। 200 नगर पालिका परिषदों व 545 नगर पंचायतों में चेयरमैन, पार्षद, सदस्य आदि के रिक्त पदों का ब्यौरा शुक्रवार को जारी होने वाली अधिसूचना के साथ सार्वजनिक किया जाएगा।
आयोग ने इन चुनावों के लिए जो कार्यक्रम तैयार किया है, उसके अनुसार 14 जून को आयोग की अधिसूचना जारी होगी। 15 जून को जिला अधिकारी सार्वजनिक सूचना जारी करेंगे। 18 जून रिटर्निंग आफिसर द्वारा सार्वजनिक सूचना जारी करने की तारीख है। 18 से 22 जून के दरम्यान नामांकन दाखिल किए जा सकेंगे। 24 जून को नामांकन पत्रों की जांच होगी। 26 जून नामांकन वापसी की आखिरी तारीख है। 27 जून को चुनाव चिन्ह आवंटित किए जाएंगे। आठ जुलाई को मतदान होगा और 10 जुलाई को मतगणना करवा कर परिणाम घोषित किये जाएंगे।
आयोग ने एक महीना पहले पंचायतीराज विभाग को भी एक पत्र भेजकर ग्राम प्रधान, पंच, ब्लाक प्रमुख, क्षेत्र पंचायत व जिला पंचायत अध्यक्ष तथा सदस्य के रिक्त पदों पर चुनाव के लिए अनुशंसा मांगी थी। साथ ही एक प्रस्तावित कार्यक्रम भेजकर इस कार्यक्रम के अनुसार चुनाव करवाए जाने की स्वीकृति मांगी थी। मगर आयोग के सूत्रों के अनुसार पंचायतीराज विभाग से भी अभी तक इस बारे में आयोग को कोई जवाब नहीं मिला है जबकि यह एक समयबद्ध प्रक्रिया होती है। पंचायतीराज विभाग की इस लेटलतीफी को लेकर आयोग में नाराजगी भी है।
उधर, अपर मुख्य सचिव पंचायतीराज मनोज कुमार सिंह का कहना है कि उन्होंने स्वयं ग्राम पंचायतों, क्षेत्र व जिला पंचायतों में जनप्रतिनिधियों के रिक्त पदों पर चुनाव के बाबत आयोग से जानकारी मांगी थी। आयोग ने जून के महीने में यह चुनाव करवाने का एक प्रस्तावित कार्यक्रम भेजा था, मगर सम्यक विचार के बाद यह तय पाया गया कि जून के बजाए यह चुनाव एक महीने बाद करवाए जाएं तो उचित रहेगा। इसीलिए विभाग ने आयोग को अपनी अनुशंसा नहीं भेजी।