ग्रेटर नोएडा वेस्ट सुपरटेक इको विलेज: पांच सौ करोड़ के चलते अटकी है 11 हजार खरीदारों की रजिस्ट्री
ग्रेनो वेस्ट में सुपरटेक की परियोजनाओं में घर खरीदार अपने फ्लैट की रजिस्ट्री कराने के लिए भटक रहे हैं। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण का करीब 500 करोड़ रुपये बकाया होने के चलते 11000 से अधिक फ्लैट खरीदारों...
ग्रेनो वेस्ट में सुपरटेक की परियोजनाओं में घर खरीदार अपने फ्लैट की रजिस्ट्री कराने के लिए भटक रहे हैं। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण का करीब 500 करोड़ रुपये बकाया होने के चलते 11000 से अधिक फ्लैट खरीदारों की रजिस्ट्री अटकी हुई है। ये खरीदार इको विलेज वन, टू और थ्री परियोजना के हैं। प्राधिकरण, बिल्डर और खरीददारों के बीच बैठक हुई, लेकिन नतीजा सिफर रहा।
ग्रेटर नोएडा वेस्ट में सुपरटेक ने इको विलेज-1, 2 और 3 आवासीय परियोजना चर्चा में रहती है। इन परियोजनाओं के खरीददारों ने बिल्डर को पैसा तो दे दिया, लेकिन उनकी रजिस्ट्री नहीं हो पा रही है। इन तीनों परियोजनाओं में करीब 11 हजार से अधिक फ्लैट खरीदारों की रजिस्ट्री नहीं हुई है। रजिस्ट्री के लिए फ्लैट खरीददार परेशान हैं। फ्लैट खरीददार रजिस्ट्री के लिए काफी दिनों से धरना प्रदर्शन भी कर रहे हैं। बावजूद इसके अभी तक समस्या का हल नहीं निकला है। फ्लैट खरीदारों ने जब ज्यादा हंगामा किया तो प्राधिकरण ने खरीदारों के लिए पहल शुरू की। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने बिल्डर और निवासियों के साथ बैठक की। बैठक में दोनों पक्षों की बात सुनी गई। इसके बाद यह तय हुआ कि बिल्डर ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण का बकाया पैसा जमा करता है तो वह रजिस्ट्री की अनुमति दे देगा। बकाया नहीं जमा होने के चलते फ्लैट खरीदारों की रजिस्ट्री रुकी हुई है।
बिल्डर व प्राधिकरण के अलग-अलग दावे
सुपरटेक बिल्डर की ओर से बताया गया है कि उसे प्राधिकरण का 80 प्रतिशत पैसा जमा कर दिया है। बिल्डर का कहना है कि उसे करीब 120 करोड़ रुपये देना है। जबकि प्राधिकरण के अनुसार यह रकम कहीं अधिक है। प्राधिकरण की ओर से बताया गया कि तीनों परियोजनाओं में करीब 500 करोड़ रुपये बकाया है। दरअसल सुप्रीम कोर्ट में ब्याज दर को लेकर मामला लंबित है। बिल्डरों को एमसीएलआर की दर से ब्याज देने का आदेश हुआ था। इस फैसले की समीक्षा के लिए प्राधिकरण अदालत गए हैं। यह फैसला आने के बाद ही इस पर आगे की कार्रवाई हो सकेगी।
खरीदारों की जुबानी
दिलीप शुक्ला, इको विलेज-1 बताते हैं कि 2018 में फ्लैट का पूरा पैसा बिल्डर को दे दिया था। अभी तक रजिस्ट्री नहीं हो पाई है। सोसाइटी में मूलभूत सुविधाओं की कमी है। हर जगह शिकायत कर चुके हैं, लेकिन अब तक न्याय नहीं मिला है। अब अदालत में केस करेंगे। मृत्युंजय झा, इको विलेज-3 ने बताया कि 2017 में फ्लैट का पूरा पैसा जमा कर दिया था। इसके बाद से रजिस्ट्री के इंतजार में बैठे हैं। फ्लैट पर कब्जा दे दिया, लेकिन सभी सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं। रजिस्ट्री के लिए आंदोलन कर रहे हैं।
यहां भी हुआ बड़ा खेल
बिल्डर परियोजनाओं में एफएआर का बड़ा खेल है। पहले कम एफएआर पर परियोजना मंजूर होती है। बाद में एफएआर बढ़वा लिया जाता है। बिना एफएआर बढ़वाए भी बिल्डर फ्लैट बना देते हैं। ग्रेटर नोएडा में सिजार नाम से परियोजना है। इसमें करीब 900 फ्लैट बनाने की मंजूरी मिली थी। जबकि यहां पर इससे अधिक फ्लैट बना दिए गए। अदालत के आदेश के बाद यह मामला सुलझाया गया।
यमुना प्राधिकरण क्षेत्र में सुपरटेक की अपकंट्री परियोजना में तो अलग तरह का मामला निकला। यहां एफएआर के लिए शासन का फर्जी आदेश लगाया गया। इस मामले की जांच हुई तो मुकदमा दर्ज किया गया।