Earthquake: बार-बार क्यों डोल रही है धरती? क्या फिर आएगा भूकंप; रात भर दहशत में रहे लोग
Earthquake:भूकंप के डर के मारे लोग घरों से बाहर निकल गए और खुले में थोड़ा वक्त बीत जानें का इंतजार करते रहे। लोगों को यही डर लग रहा था कि कहीं भूकंप फिर न आ जाए। भूकंप का केंद्र नेपाल में था।
Earthquake in UP: आधी रात को आए भूकंप की कई लोगों को तो खबर ही नहीं लगी लेकिन जिन्हें इसका अहसास हुआ वे अंदर से दहल गए। डर के मारे लोग घरों से बाहर निकल गए और खुले में थोड़ा वक्त बीत जानें का इंतजार करते रहे। लोगों को यही डर लग रहा था कि कहीं भूकंप फिर न आ जाए। भूकंप का केंद्र नेपाल की सीमा में यूपी के सबसे करीब था। लखनऊ से इस केंद्र की दूरी 254 और अयोध्या से 227 किलोमीटर बताई जा रही है। रिएक्टर पैमाने पर इसकी तीव्रता 6.4 दर्ज की गई।
भूकंप का पहला झटका देर रात 11 बजकर 32 मिनट पर महसूस किया गया। इस भूकंप ने नेपाल में काफी तबाही मचाई है। वहां अब तक करीब 129 लोगों की मौत की खबर है। भूकंप के तेज झटके से नेपाल के कई मकान जमींदोज हो गए हैं। सड़कों में दरारें आ गई हैं। हाल ही में दिल्ली-एनसीआर और यूपी-बिहार के कुछ हिस्सों में भूकंप के झटके महसूस किए गए थे। दिल्ली-एनसीआर के लोगों में भूकंप का डर है। कई लोगों को यहां कोई बड़ा भूकंप आने का डर सता रहा है। एक्सपर्ट भी चेतावनी जारी करते रहते हैं। हर भूकंप के बाद लोगों के बीच यह सवाल उठता है कि आखिर धरती बार-बार क्यों कांप रही है।
क्यों आता है भूकंप
भूकंप को समझाने के लिए वैज्ञानिक पृथ्वी की संरचना को समझने की जरूरत बताते हैं। पृथ्वी टैक्टोनिक प्लेटों पर स्थित है। वैज्ञानिकों के मुताबिक इसके नीचे तरल पदार्थ लावा है और टैक्टोनिक प्लेट्स इस पर तैरती रहती हैं। ये प्लेट्स कई बार आपस में टकरा जाती हैं। बार-बार टकराने के चलते प्लेट्स के कोने मुड़ जाते हैं। ज्यादा दबाव पड़ने पर ये प्लेट्स टूटने लगती हैं। ऐसे में नीचे से निकली ऊर्जा बाहर की ओर निकलने का रास्ता खोजती है। इससे जब भी डिस्टर्बेंस बनता है तो भूकंप आता है। वैसे तो भूकंप की भविष्यवाणी का दावा बहुत से लोग करते हैं लेकिन उसके पीछे किसी तरह की वैज्ञानिक पद्धति नहीं है।
सतह से 10 किलोमीटर नीचे था केंद्र
लखनऊ के अमौसी स्थित मौसम अध्ययन केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक अतुल कुमार सिंह के अनुसार भूकंप का केन्द्र सतह से 10 किमी नीचे था। इसके चेतावनी वाले दायरे यानी येलो सर्किल में लखनऊ, गोरखपुर, अयोध्या और बरेली हैं। लखनऊ में लम्बे समय बाद ऐसा हुआ जब पूरे शहर ने भूकंप को महसूस किया। इन्दिरा नगर, त्रिवेणी नगर से लेकर अमौसी एयरपोर्ट और चौक तक कोई इलाका नहीं बचा जहां लोग दहशत में न आए हों। अलीगंज स्थित एक मल्टीस्टोरी में रहने वाले बैंक अधिकारी और उनकी पत्नी घबरा कर जाग गए। छत पर पंखा डोल रहा था। लोग अपने करीबियों की खैरखबर लेने लगे।
कई लोगों का कहना था कि वर्ष 2015 में इसके पहले इतना तेज भूकंप आया था। उसके बाद से इतना तेज झटका शुक्रवार की रात को ही महसूस किया गया है। कई घरों में तो लोगों की चीखें निकल गईं। भूकंप आने के करीब एक घंटे बाद तक लोग जागे रहे कि कहीं दूसरा झटका न आ जाए। गोमती नगर, गोमती नगर विस्तार, चौक, आशियाना में बहुमंजिला इमारतों में रहने वाले बाहर निकल गए। वहीं, सोशल मीडिया मंच टिवटर यानी एक्स पर मात्र 15 मिनट के अंतर पर तीन हजार से अधिक पोस्ट आ गए। लोगों ने अपने मोहल्ले, कालोनी, सोसाइटी की तस्वीरें साझा कीं जिनमें लोग घरों से बाहर, परिसर में भयभीत खड़े दिखाई दे रहे हैं।
भूकंप आए तो ये करें
-ऊंची इमारतों, बिजली के खंभे और यूनिपोल आदि से दूर रहें
-किसी दीवार, लोहे के ढांचे की शरण न लें, यह खतरनाक है
-जब तक झटके महसूस हो रहे हैं, वहीं रहें जहां शरण ली हुई है
-ड्राइव कर रहे हैं तो दो पहिया या कार रोक लें, कार में हैं तो उसी में बैठे रहें
इमारत के भीतर हैं तो...
-घर में हैं तो फर्श पर बैठ जाएं, किसी मजबूत फर्नीचर के नीचे शरण लें
-आसपास फर्नीचर नहीं है तो चेहरे और सिर को हाथों से ढकें
-बिस्तर पर हैं तो सबसे पहले लिहाफ या तकिया से चेहरा ढकें
-कांच के सामान और खिड़कियों आदि से दूर रहें
यदि इमारत ढह गई है तो
-किसी पाइप या दीवार को ठोक कर उपस्थिति महसूस कराते रहें
-गैस लीक का डर होता है इसलिए माचिस या लाइटर कतई न जलाएं
लिफ्ट का प्रयोग न करें
-लिफ्ट बिजली कटने से रुक सकती है
-पेंडुलम की तरह इधर उधर टकरा सकती है