Hindi Newsउत्तर प्रदेश न्यूज़Difficulties increased due to new order in basic education number of children decreased in primary schools

बेसिक शिक्षा में नए आदेश से बढ़ीं मुश्किलें, प्राइमरी स्कूलों में घटे बच्चे

यूपी में एक अप्रैल को छह वर्ष की उम्र पूरी करने वाले बच्चों का ही कक्षा-एक में दाखिले के आदेश से बीते साल के मुकाबले इस साल औसतन 50 फीसदी बच्चे घट गए हैं। बेसिक शिक्षा में नए आदेश से मुश्किलें बढ़ीं।

Deep Pandey हिन्दुस्तान, लखनऊThu, 18 April 2024 10:48 AM
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प्राइमरी स्कूलों में दाखिले की उम्र बढ़ाने से छात्र-छात्राओं की संख्या कम हो गई है। एक अप्रैल को छह वर्ष की उम्र पूरी करने वाले बच्चों का ही कक्षा-एक में दाखिले के आदेश से बीते साल के मुकाबले इस साल औसतन 50 फीसदी बच्चे घट गए हैं। बच्चों की संख्या लखनऊ समेत पूरे प्रदेश में घट गई है। कुछ स्कूलों ने छह साल के भीतर वाले बच्चों के दाखिले ले लिये हैं। अब उनके दाखिले फंस गए हैं। बेसिक शिक्षक विभाग के स्कूल चलो अभियान के तहत बच्चों के नामांकन बढ़ाने के सारे जतन असफल साबित हो रहे हैं। शिक्षक घर-घर जाकर बच्चे खोज रहे हैं, छह साल की उम्र पूरी करने वाले बच्चे खोजे नहीं मिल रहे हैं। अभिभावकों ने बच्चों को घर में बैठाने के बजाए इनके दाखिले निजी स्कूलों में करा दिये हैं।

साल भर में घट गए 25 हजार बच्चे
 लखनऊ में संचालित 1619 प्राइमरी स्कूलों में बीते वर्ष बच्चों की संख्या दो लाख के ऊपर थी। जबकि इस साल बच्चों की संख्या घटकर दो लाख के भीतर आ गई है। 16 अप्रैल तक स्कूलों में नामांकित बच्चों की संख्या औसतन एक लाख 75 हजार है। बीते साल की तुलना में छात्र संख्या 25 हजार कम हो गई है। सबसे ज्यादा बच्चे कक्षा एक में घटे हैं। अभी तक कक्षा-एक में बच्चों के नामांकन का आंकड़ा 10 हजार पार नहीं कर पाया है। हालांकि अधिकारियों का कहना है कि एक से आठवीं कक्षा में अभी दाखिले चल रहे हैं। संख्या बढ़ जाएगी। 

निजी स्कूलों में कराए दाखिले
प्राइमरी स्कूलों में बच्चों के दाखिले न होने पर अभिभावकों ने निजी स्कूलों में दाखिला करा दिया है। कोई भी अभिभावक बच्चे को घर में नहीं बैठाना चाहता है। कई निजी स्कूल दो बच्चों के दाखिले पर एक बच्चे की फीस माफ कर दी है। ऐसे में शिक्षकों के सामने बच्चों के नामांकन बढ़ाने का लक्ष्य पूरा करना मुश्किल हो रहा है। शिक्षकों का कहना है कि इस तरह से स्कूलों में छात्र संख्या घटती जाएगी। इसका असर दूसरी कक्षाओं पर पड़ेगा।    

बीते साल छह साल की उम्र लागू की थी
बीते साल 25 अप्रैल 2023 को तत्कालीन अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार ने न्यूनतम छह साल की उम्र वाले बच्चों का प्राइमरी स्कूलों की कक्षा-एक में दाखिले का निर्देश जारी किया था। साथ ही आदेश में कहा था कि एक अप्रैल से 31 जुलाई के बीच छह वर्ष की आयु पूरी करने के कारण दाखिले से वंचित बच्चों को दाखिले लेने का छूट दी थी। जिसके चलते शिक्षकों ने जुलाई में छह साल की उम्र पूरी करने वाले बच्चों के दाखिले ले तीन माह पहले अप्रैल में ही ले लिये थे।

शिक्षा निदेशक के आदेश से नामांकन घटे
बेसिक शिक्षा निदेशक प्रताप सिंह बघेल ने नौ अप्रैल को जारी आदेश में सख्त निर्देश दिये कि कक्षा-एक में दाखिले के लिए छात्र-छात्राओं की उम्र एक अप्रैल को छह वर्ष पूरी होनी चाहिए। इससे कम आयु के बच्चों का नामांकन किसी भी दशा में न किया जाय। छह वर्ष से कम आयु के बच्चों का नामांकन बालवाटिका में कराएं।

स्कूल का नाम                                       छात्र संख्या (16 अप्रैल 2024 तक)    वर्ष 2023 में छात्र संख्या
कसमण्डी कला-एक मलिहाबाद                          5                                   13
प्राइमरी स्कूल गडरियन का पुरवा, चिनहट                 5                                   12
प्राथमिक विद्यालय लालताखेड़ा, काकोरी                  4                                   10
प्राइमरी स्कूल मकदूमपुर, चिनहट                          8                                   15   
 कम्पोजि स्कूल, अशरफनगर सरोजीनगर                   2                                   4
प्राथमिक विद्यालय समदाखेडा                              6                                  12  
प्राथमिक विद्यालय बिजनौर-दो                            10                                   19
प्राथमिक विद्यालय तिरवा                                   7                                    11
प्राथमिक विद्यालय लालताखेड़ा                             4                                   10

शिक्षक नेता का बयान
प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षित स्नातक एसोसिएशन के प्रान्तीय अध्यक्ष विनय कुमार सिंह ने बताया कि एक अप्रैल को 6 वर्ष पूर्व होने पर प्राइमरी स्कूलों में प्रवेश लेने का नियम बहुत घातक सिद्ध होगा। विभाग छात्र संख्या बढ़ाने की बात करता है। ऐसे में यह संख्या और कम हो जाएगी। निजी स्कूलों में चार वर्ष में ही केजी और नर्सरी में प्रवेश दिया जा रहा है। विभाग को इस नियम पर विचार करना चाहिए।
 

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