औरैया में मासूम के साथ दुष्कर्म के बाद हत्या के दोषी को फांसी की सजा, 2 महीने 21 दिन में सुनवाई पूरी कर कोर्ट ने सुनाया फैसला
औरैया में आठ साल की बच्ची से दुष्कर्म और उसकी हत्या के मामले में विशेष न्यायाधीश पॉक्सो कोर्ट ने दोषी को फांसी की सजा सुनाई है। कोर्ट ने दो महीने 21 दिन में ट्रॉयल पूरा कर फैसला सुनाया।
उत्तर प्रदेश के औरैया में आठ साल की बच्ची से दुष्कर्म और उसकी हत्या के मामले में विशेष न्यायाधीश पॉक्सो कोर्ट ने दोषी को फांसी की सजा सुनाई है। कोर्ट ने दो महीने 21 दिन में ट्रॉयल पूरा कर फैसला सुनाया। दोषी पर छह लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया। सजा सुनाते हुए जज ने कहा, 'दोषी को तब तक फांसी पर लटकाया जाए, जब तक उसकी मौत न हो जाए। दोषी का कृत्य पशुओं से ज्यादा निंदनीय है।'
अयाना क्षेत्र के एक गांव की बच्ची 24 मार्च की शाम साढ़े पांच बजे लापता हो गई। वह पशुओं को चराने खेत गई थी। घर नहीं लौटी तो परिजनों ने खोजबीन की। खोज खबर न मिलने पर पुलिस को सूचना दी थी। दूसरे दिन दोपहर में घर के पास एक गड्ढे में उसका शव बरामद किया गया। मासूम की दुष्कर्म के बाद हत्या की गई थी। संदेह के आधार पर पुलिस ने चार-पांच लोगों को पकड़कर पूछताछ की। इसमें से एक गौतम दोहरे से सख्ती से पूछताछ की तो उसने जुर्म कबूल कर लिया। 14 घंटे में मामले का खुलासा कर आरोपी को गिरफ्तार कर लिया।
पुलिस ने मामला दर्ज कर गौतम को कोर्ट के आदेश पर जेल भेज दिया। आठ दिन के भीतर चार्जशीट दाखिल होने पर कोर्ट ने सुनवाई शुरू कर दी। जिला शासकीय अधिवक्ता दंड अभिषेक मिश्रा, विशेष लोक अभियोजक जितेन्द्र सिंह तोमर, विशेष लोक अभियोजक पॉक्सो मृदुल मिश्र व वादी अधिवक्ता हरिशंकर शर्मा की दलीलों और 14 लोगों के बयान के आधार पर विशेष न्यायाधीश पॉक्सो जज मनराज सिंह ने 23 जून को आरोपित पर दोष सिद्ध कर दिया। बुधवार को कोर्ट ने उसे फांसी की सजा सुनाई।
इस मामले में विशेष न्यायाधीश पॉक्सो कोर्ट मनराज सिंह लड़कियां अगर खुले में नहीं घूम सकतीं तो फिर उनके लिए कौन सा स्थान है। भारतीय संस्कृति में स्त्री धर्म का मूल है। स्त्री के साथ ऐसा अपराध किसी भी धर्म व संस्कृति में मान्य नहीं है। भारतीय संस्कृति में बालिकाओं को नई शक्ति के सृजन का स्रोत माना गया है। लेकिन इस अपराधी ने उसका बचपन में ही जीवन खत्म कर दिया।