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कोरोना काल में लोगों ने फूंकी ज्यादा सिगरेट, जमकर गुटखा भी चबाया

कोरोना के कारण एक तरफ प्रोटीन और स्वास्थ्यवर्धक खानपान का चलन बढ़ा है तो दूसरी तरफ पान मसाले की तलब भी बढ़ गई है। इतना ही नहीं, सिगरेट फूंकने वालों की संख्या भी पांच महीने में बेतहाशा बढ़ी है। इससे...

Abhishek Tiwari हिन्दुस्तान, कानपुरFri, 25 Sep 2020 01:37 PM
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कोरोना के कारण एक तरफ प्रोटीन और स्वास्थ्यवर्धक खानपान का चलन बढ़ा है तो दूसरी तरफ पान मसाले की तलब भी बढ़ गई है। इतना ही नहीं, सिगरेट फूंकने वालों की संख्या भी पांच महीने में बेतहाशा बढ़ी है। इससे टैक्स वसूली भी बढ़ी है। देश में पान मसाले के गढ़ कानपुर से 800 करोड़ रुपए सालाना जीएसटी मिलता है। यह हाल तब है, जब आधे से ज्यादा बड़े ब्रांड्स ने अपनी मशीनें दिल्ली और नोएडा शिफ्ट कर ली हैं।

टैक्स वसूली बढ़कर 85 करोड़
यहां पान मसाला का एक-एक बड़ा ब्रांड सालाना 100 से 275 करोड़ रुपए तक का राजस्व जीएसटी विभाग को देते हैं। कोरोना से पहले पान मसाले से जीएसटी विभाग को हर महीने औसत कुल 65 करोड़ रुपए टैक्स मिल रहा था, जो जून से 80 से 85 करोड़ रुपए तक पहुंच गया है।

टैक्स चोरी भी खूब होती
शहर की घनी बस्तियों में पान मसाले की मशीनें चोरी-छिपे भी खूब चल रही हैं। खुद जीएसटी खुफिया इकाइयों का मानना है कि कम से कम तीन करोड़ रुपए रोज के पान मसाले की तस्करी शहर से होती है। यानी एक हजार करोड़ रुपए का मसाला बिना टैक्स चुकाए देश के दूसरे शहरों में सप्लाई हो रहा है।

एक लाख पैकेट रोज फूंक रहे
कोरोना से पहले शहर में रोज जितनी सिगरेट बिना टैक्स चोरी के फूंकी जाती थी, उसमें तस्करी से आने वाली विदेशी सिगरेटों और नकली सिगरेट को जोड़ दिया जाए तो संख्या एक लाख पैकेट प्रतिदिन के आसपास हो जाती है। अब केवल नंबर एक में खपत बढ़कर 75 हजार पैकेट रोजाना हो गई है। एक बड़ी सिगरेट कंपनी के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि अकेले उनकी कंपनी हर महीने 26 करोड़ रुपए का कारोबार करती है। उनका तो दावा है कि वास्तविक बिक्री का आंकड़ा जानना हो तो इसका तीन गुना कर दीजिए। यानी हर साल 1100 करोड़ रुपए की सिगरेट कानपुर में बिक जाती है। इसमें वैध और अवैध दोनों ही हैं।

बेरोजगारी और तनाव ने बढ़ाई खपत 
मसाला और सिगरेट से जुड़े कारोबारियों का कहना है कि कोरोना में लोग घरों से नहीं निकल रहे हैं। शराब पीने में झंझट है। घरों में पीना भी मुश्किल है। शायद इसीलिए सूखा नशा करने वालों की संख्या बढ़ गई है। इसके अलावा किसी के पास ज्यादा काम है तो किसी के पास कोई काम नहीं। दोनों ही कारणों से उपजे तनाव के कारण भी सिगरेट पीने वालों की संख्या बढ़ी है।

क्या बोले अधिकारी?
कानपुर में सिगरेट का बड़ा कारोबार है। विदेशी सिगरेट की तस्करी के खिलाफ अभियान चला रखा है। इसी के तहत प्रवर्तन इकाई दस करोड़ की अवैध सिगरेट पकड़ चुका है, जिसकी सप्लाई कानपुर सहित अन्य शहरों में की जानी थी।- चंचल कुमार तिवारी, उपायुक्त, कस्टम्स

शहर शुरू से पान मसाले का गढ़ रहा है। कोरोना काल में पान मसाले की मांग बढ़ गई है। इस मद में आने वाला टैक्स बढ़ा है। यानी मसाला फैक्टरियों में उत्पादन बढ़ गया है।- एके सिंह, उपायुक्त, वस्तु एवं सेवाकर

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