Hindi Newsउत्तर प्रदेश न्यूज़Criticism for going to Namaaz After High Court s rebuke ATS special judge appeared and apologized

नमाज पर जाने की आलोचना; हाईकोर्ट की फटकार के बाद हाजिर हुए एटीएस के विशेष जज, मांगी माफी

नमाज के लिए जाने वाले अधिवक्ता की आलोचना करने और न्याय मित्र नियुक्त करने वाले विशेष जज हाईकोर्ट की फटकार के बाद हाजिर हुए। बिना शर्त माफी मांग ली। हाईकोर्ट ने कहा, जज ने धर्म के आधार पर भेदभाव किया।

Yogesh Yadav हिन्दुस्तान, लखनऊWed, 17 April 2024 09:45 PM
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हाई प्रोफाइल अवैध धर्मांतरण केस में अदालत में उपस्थित गवाह से जुमे की नमाज पढ़ने जाने का हवाला देकर जिरह न करने की आलोचना करने व सम्बंधित अधिवक्ताओं के नमाज के लिए जाने पर न्याय मित्र नियुक्त करने वाले एनआईए/एटीएस कोर्ट के विशेष जज विवेकानन्दशरण त्रिपाठी ने हाईकोर्ट की फटकार के बाद बिना शर्त माफी मांगी है। हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने विशेष जज के विरुद्ध सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि जज ने धर्म के आधार पर एक समुदाय के साथ भेदभाव किया है। न्यायालय ने यह भी टिप्पणी की कि अपनी पसंद और अपने मजहब के अधिवक्ता नियुक्त कर चुके अभियुक्तों की मर्जी के खिलाफ उनके लिए न्याय मित्र नियुक्त करना, धर्म के आधार पर भेदभाव है, जो संविधान के अनुच्छेद 15 का स्पष्ट उल्लंघन है।

न्यायालय की इन टिप्पणियों के साथ जज को व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने के लिए दो दिन का समय दिया है। मामले की अगली सुनवाई 18 अप्रैल को होगी। यह आदेश न्यायमूर्ति शमीम अहमद की एकल पीठ ने मामले के एक अभियुक्त मोहम्मद इदरीस की याचिका पर पारित किया है।

क्या था मामला
विशेष जज की अदालत में जबरन धर्म परिवर्तन के मामले में मोहम्मद उमर गौतम समेत अन्य अभियुक्तों का विचारण चल रहा है। हाईकोर्ट की दो जजों की खंडपीठ ने 16 दिसम्बर 2022 को आदेश दिया था कि उक्त मामले के विचारण की कार्यवाही एक वर्ष में पूरी की जाए, जिसके बाद विशेष जज ने दिन-प्रतिदिन सुनवाई प्रारम्भ की। 19 जनवरी 2024 को मामले में हाजिर गवाह से जिरह करने के लिए जब अदालत ने अधिवक्ताओं से कहा तो मुस्लिम अधिवक्ता नमाज के लिए जाने की बात कह कर चले गए। इस पर अदालत ने जिन अभियुक्तों के अधिवक्ता मुस्लिम थे उनके लिए न्याय मित्र की नियुक्ति कर दी तथा स्पष्ट किया कि नमाज के लिए जाने पर न्याय मित्र अभियुक्तों की ओर से आवाश्यक कार्यवाही करते रहेंगे। इसके साथ ही अदालत ने अभियुक्तों की ओर से दाखिल अर्जी भी खारिज कर दी, जिसमें इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्यों के मांग की गई थी।

हाईकोर्ट में सुनवाई
मामले के एक अभियुक्त मोहम्मद इदरीस ने हाईकोर्ट में सीआरपीसी की धारा 482 के तहत याचिका दाखिल कर विशेष जज के आदेशों को चुनौती दी। याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति शमीम अहमद ने 5 मार्च को याची के संदर्भ में विशेष जज के आदेश पर स्थगन दे दिया था। इस पर हाईकोर्ट के आदेश के अनुपालन में विशेष जज ने न्याय मित्र देने वाले अपने आदेश का क्रियान्वयन मोहम्मद इदरीस के सम्बंध में रोक दिया लेकिन अन्य अभियुक्तों को न्याय मित्र देने के अपने आदेश को यथावत रखा।

याचिका पर जब पुनः 15 अप्रैल को हाईकोर्ट में सुनवाई हुई तो न्यायमूर्ति शमीम अहमद ने विशेष जज पर सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि उन्होंने 5 मार्च के आदेश को ठीक से नहीं समझा। आगे कहा कि विशेष जज ने इलेक्ट्रानिक साक्ष्यों को देने के सम्बंध में कोई आदेश क्यों नहीं पारित किया। न्यायालय ने उक्त मामले में याची मोहम्मद इदरीस के विरुद्ध ट्रायल पर भी अग्रिम आदेशों तक के लिए रोक लगा दी है। 

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