Hindi Newsउत्तर प्रदेश न्यूज़Criminal trial and departmental proceedings in same case cannot go on simultaneously: HC order

एक ही मामले में आपराधिक मुकदमे और विभागीय कार्यवाही साथ नहीं चल सकती: HC का आदेश

क ही मामले में आपराधिक मुकदमे और विभागीय कार्यवाही साथ नहीं चल सकती है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक मामले की सुनवाई करते हुए आदेश दिया है।

Deep Pandey हिन्दुस्तान, लखनऊSat, 12 Aug 2023 07:54 AM
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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रेप के आरोपी इंस्पेक्टर तिलकधारी सरोज के विरुद्ध चल रही विभागीय कार्यवाही पर रोक लगा दी है। साथ ही कहा कि इस कोर्ट के अगले आदेश तक आरोपी के खिलाफ चल रही विभागीय कार्यवाही पर अंतिम निर्णय न किया जाए। इंस्पेक्टर तिलकधारी के खिलाफ इस मामले में आपराधिक मुकदमा भी दर्ज है, जिसकी कार्रवाई चल रही है। इसके साथ ही विभाग ने अपनी अलग से कार्यवाही भी शुरू कर दी और उसे चार्जशीट दे दी, जिसे इंस्पेक्टर ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर चुनौती दी थी।

इंस्पेक्टर का पक्ष रख रहे वरिष्ठ अधिवक्ता अनूप त्रिवेदी का कहना था कि इंस्पेक्टर पर लगाए गए आरोप झूठे और मनगढ़ंत हैं। वरिष्ठ अधिवक्ता का कहना था कि यहां यह भी ध्यान देने की बात है कि पीड़िता ने अपनी मां और मौसी के खिलाफ भी शिकायत की थी। सीनियर एडवोकेट का तर्क था कि विभागीय कार्रवाई से याची के खिलाफ चल रहे आपराधिक मुकदमे की कार्रवाई प्रभावित होगी। सरकारी वकील ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि याची पर थाने के भीतर अपने कमरे में पीड़िता से रेप करने का गंभीर आरोप है। कोर्ट का कहना था कि पीड़िता ने स्वयं अपनी मां और मौसी की भूमिका पर सवाल उठाए हैं। विभागीय आरोप पत्र में वही आरोप लगाए गए हैं, जो प्राथमिक में है कोर्ट ने अगले आदेश तक विभागीय जांच में कोई अंतिम आदेश करने पर रोक लगा दी है। इससे पूर्व इंस्पेक्टर तिलकधारी की इस मामले में जमानत हाईकोर्ट से मंजूर हो चुकी है। वास्तविकता यह है कि पीड़िता की मां लोगों के खिलाफ फर्जी मुकदमे कराने की आदी है। वह लोगों को फर्जी मुकदमे में फंसाकर ब्लैकमेल करती है और उनसे पैसे वसूलती है। वरिष्ठ अधिवक्ता ने पीड़िता की मां द्वारा दर्ज कराए गए आठ मुकदमों के रिकॉर्ड पेश किए और कोर्ट को यह भी बताया कि खुद उसके खिलाफ भी चार मुकदमे दर्ज हैं। पीड़िता ने स्वयं कहा है की उसकी मां फर्जी मुकदमे दर्ज कराकर लोगों को ब्लैक मेल करती है।

मामले के तथ्यों के अनुसार पीड़िता की मां ने 22 अप्रैल 2022 को पीलीभीत के पाली थाने में चंदन, राजभान, हरिशंकर, महेंद्र चौरसिया और गुलाब बाई अहिरवार के खिलाफ यह आरोप लगाते हुए प्राथमिकी दर्ज कराई थी कि ये लोग उसकी बेटी को भगाकर ले गए और बाद में उसे थाने में में छोड़कर भाग गए। पुलिस ने पीड़िता को उसकी मौसी गुलाब बाई अहिरवार के हवाले कर दिया। आरोप है कि 27 अप्रैल 2022 को पीड़िता को बयान के लिए थाने में बुलाया गया। बयान दर्ज होने के बाद पुलिस ने पीड़िता को उसकी मौसी के हवाले कर दिया। मौसी ने पीड़िता को इंस्पेक्टर के हवाले कर दिया। जिसने उसका रेप किया और बाद में चाइल्ड लाइन भेज दिया।


 

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