छात्रवृत्ति घोटाले पर सीएम योगी का एक्शन, दो रजिस्ट्रार निलंबित, तीन पर एफआईआर, धनराशि की होगी वसूली
छात्रवृत्ति घोटाले पर सीएम योगी ने एक्शन लेते हुए इसकी जांच ईओडब्ल्यू को दे दी है। इसके साथ ही दो रजिस्ट्रार को निलंबित करते हुए तीन पर एफआईआर की गई है। राशि की वसूली का भी निर्देश दिया है।
होम्योपैथी मेडिसिन बोर्ड के तहत निजी संस्थानों में छात्रवृत्ति के 47.64 करोड़ के फर्जीवाड़े को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कड़ा रुख अख्तियार किया है। उन्होंने गुरुवार को होम्योपैथी मेडिसिन बोर्ड के दो तत्कालीन कार्यवाहक रजिस्ट्रार को निलंबित कर दिया है जबकि तीन लोगों के खिलाफ एफआईआर के आदेश दिए गए हैं। इसके साथ ही घोटाले की जांच भी आर्थिक अपराध शाखा के सुपुर्द कर दी है।
समाज कल्याण विभाग के संयुक्त निदेशक आरके सिंह की अध्यक्षता वाली कमेटी ने रिपोर्ट में छात्रवृत्ति घोटाले की पुष्टि की थी। इस मामले में होम्योपैथी निदेशालय के अपर निदेशक शिक्षा और होम्योपैथी मेडिसिन बोर्ड के तत्कालीन कार्यवाहक रजिस्ट्रार प्रो. मनोज यादव और बोर्ड के वरिष्ठ लिपिक और बोर्ड के तत्कालीन कार्यवाहक रजिस्ट्रार विनोद कुमार यादव को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है।
संविदा लिपिक दिनेश चंद्र दुबे और सुषमा मिश्रा की संविदा डीएससी का दुरुपयोग करने के मामले में उनकी संविदा समाप्त कर दी गई है। इसके अलावा सुनीता मलिक के नाम पर किए गए फर्जीवाड़े के लिए उनके खिलाफ भी एफआईआर दर्ज कराने के निर्देश दिए गए हैं।
समाज कल्याण विभाग करेगा रिकवरी
छात्रवृत्ति घोटाले के चलते हुई वित्तीय अनियमितता और आर्थिक क्षति की रिकवरी समाज कल्याण विभाग द्वारा की जाएगी। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए हैं कि इस गड़बड़ी के लिए दोषी शिक्षा विभाग और समाज कल्याण विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ संबंधित विभाग द्वारा कार्यवाही की जाएगी।
कोई नई मान्यता नहीं देगा बोर्ड, पुरानी की होगी जांच
उत्तर प्रदेश होम्योपैथी मेडिसिन बोर्ड एवं उत्तर प्रदेश आयुर्वेदिक व यूनानी तिब्बी चिकित्सा पद्वति बोर्ड फिलहाल किसी नये कॉलेज को मान्यता या संबद्धता नहीं दे सकेंगे। उनको निर्देशित किया गया है कि बोर्ड द्वारा कॉलेजों की संबद्धता के लिए सिलेबस व अवस्थापना सुविधाओं के संबंध में रूल्स का सक्षम स्तर से अनुमोदन प्राप्त करना होगा। जिन कॉलेजों को इन दोनों बोर्डों द्वारा मान्यता या संबद्धता दी जा चुकी है, उनका भौतिक सत्यापन संबंधित जिलों के डीएम से कराया जाएगा।