सौ फीट की प्रतिमा के सामने मनेगी भैरव दिवाली, बंटेंगे सोने-चांदी के सिक्के, 20 देशों से आ रहे भक्त
वाराणसी यानी काशी में इस साल भैरव दीपावली 16 नवंबर को मनाई जाएगी। पहली बार भैरव की सौ फीट की मूर्ति प्रतिष्ठित की जाएगी। इस दौरान आठ दिनों में कालभैरव की 1 लाख 18 हजार पार्थि मूर्तियां बनाई जाएगी।
काशी में इस साल भैरवाष्टमी 16 नवंबर को भैरव दीपावली के रूप में मनेगी । काशी में पहली बार भैरव की सौ फीट की प्रतिमा प्रतिष्ठित की जाएगी। आठ दिनों में कालभैरव की एक लाख आठ हजार पार्थिव मूर्तियां बनाई जाएंगी। यह सब नौ से 16 नवंबर तक नरिया स्थित रामनाथ चौधरी लॉन में ‘काशी कोतवाल भैरव उत्सव में होगा। यह अनुष्ठान तामिलनाडु में कृष्णागिरी पीठ के पीठाधीश्वर डॉ. वसंत विजय महाराज के सानिध्य में होगा।
अनुष्ठान में दुनिया के 20 देशों और भारत के 25 राज्यों से भक्त जुटेंगे। डॉ. विजय ने बताया कि विगत 17 वर्षों से देश के विभिन्न राज्यों में प्रतिवर्ष आयोजन करते हुए हम 18वें वर्ष के आयोजन के लिए काशी पहुंचे हैं। अनुष्ठान के दौरान प्रतिदिन भैरव की साढ़े तेरह हजार मृणमूर्तियां तैयार होंगी। भैरवाष्टमी पर लाखों दीपों से संपूर्ण अनुष्ठान स्थल जगमग होगा।
मिट्टी-कागज, घास से बनी प्रतिमा
विजय महाराज ने बताया कि मिट्टी, कागज, घास, पुआल, बांस आदि सौ फीट ऊंची प्रतिमा चेन्नई में बनाई गई है। यह प्रतिमा पांच खंडों में पांच ट्रकों पर सात नवंबर तक काशी लाई जाएगी। मुख्य मंच पर काल भैरव अपनी पत्नी भैरवी को गोद में लेकर विराजमान रहेंगे। उनके निकट बटुक भैरव भी होंगे।
ढाई हजार लोगों का होगा सम्मान
अनुष्ठान के लिए दक्षिण भारत के चिदंबरम नटराज मंदिर से 30 ब्राह्मणों का दल काशी आएगा। आठ दिवसीय भैरव महायज्ञ में मेवे का साकला प्रयुक्त होगा। अनुष्ठान के बाद सभी भैरव मूर्तियां कृष्णागिरी में बन रहे नए मंदिर के मंडप में प्रतिष्ठित होंगी। वहीं कालभैरव की प्रतिमा का विसर्जन प्रशासन की अनुमति के अनुसार निर्दिष्ट स्थान होगा। कोरोना काल से लेकर अब तक समाज में अपनी विशिष्ट सेवाएं देने वाले करीब ढाई हजार लोगों को सम्मानित किया जाएगा।
लकी ड्रा में मिलेंगे सोने-चांदी के सिक्के
आयोजन के दौरान प्रतिदिन भक्तों के लिए लकी ड्रा भी होगा। विजेताओं को सोने-चांदी के सिक्के, बाइक से लेकर कई प्रकार के उपहार मिलेंगे। प्रतिदिन 20 लकी ड्रा होंगे।