जब योगी के मंच पर ही फफककर रो पड़ीं बदायूं सांसद संघमित्रा मौर्य, भाजपा ने इस बार नहीं दिया है टिकट
बदायूं की सांसद संघमित्रा मौर्य मंगलवार को योगी के मंच पर ही फफककर रो पड़ीं। योगी के कार्यक्रम के लिए जैसे ही वह मंच पर पहुंचीं रो पड़ीं। भाजपा ने संघमित्रा का टिकट काटकर दुर्गविजय को उतारा है।
बदायूं की सांसद संघमित्रा मौर्य मंगलवार को योगी के मंच पर ही फफककर रो पड़ीं। योगी के कार्यक्रम के लिए जैसे ही वह मंच पर पहुंचीं रो पड़ीं। उनके बगल में बैठी योगी सरकार में मंत्री गुलाब देवी ने समझाने की कोशिश भी की। इसके बाद भी उनके आंसू नहीं रुके तो कुछ देर के लिए मंच से नीचे चली गईं। भाजपा ने संघमित्रा का बदायूं से टिकट इस बार काट दिया है। टिकट कटने के बाद पहली बार संघमित्रा सार्वजनिक कार्यक्रम में शिरकत करने पहुंची थीं। माना जा रहा है कि पिता स्वामी प्रसाद मौर्य की बयानबाजी के कारण ही संघमित्रा का टिकट भाजपा ने काटा है। भाजपा ने संघमित्रा की जगह दुर्गविजय शाक्य को इस बार टिकट दिया है।
बदायूं में मंगलवार को सीएम योगी की जनसभा थी। इसमें संघमित्रा भी शामिल होने के लिए पहुंचीं। मंच पर बैठते ही अचानक वह रोने लगीं। उन्हें फफककर रोते देख बगल में बैठीं मंत्री गुलाब देवी ने उन्हें समझाने की कोशिश की। इसके बाद भी वह रोती रहीं। थोड़ी देर बाद मंच से उठकर चली गईं। कुछ देर बाद जब सीएम मंच पर आए, तब जाकर संघमित्रा फिर मंच पर आ गईं। बीजेपी ने बदायूं से संघमित्रा का टिकट काटकर दुर्विजय शाक्य को मैदान में उतारा है।
कार्यक्रम के बाद अपने रोने को लेकर संघमित्रा ने सफाई भी दी। कहा कि मंच पर हमारे बगल में गुलाब देवी बैठी थीं। उस समय योगी जी नहीं आए थे। मंत्री राजा दशरथ की कहानी सुना रही थीं। कहानी भावुक थी। उस कहानी की वजह से आंखें नम हो गईं थीं। महिला होने के नाते आंखें नम हो गईं। संघमित्रा मौर्य कोई कमजोर नहीं है, संघमित्रा मौर्य बहादुर महिला है। देश की आधी आबादी का नेतृत्व करती है। टिकट कटने जैसी छोटी-छोटी चीजों के लिए आंखें नम होना या भावुक होना उसके ऊपर शोभा नहीं देता है।
कहा कि अगर टिकट कटने को लेकर कुछ होता तो पहले दिन जब लोकसभा प्रत्याशी बदायूं आए तो उनके साथ बरेली से बदायूं तक नहीं आती। पूरे कार्यक्रम में उनके साथ नहीं रहती। जिस हृदय की गहराई से लगी हुई हूं। अपना चुनाव समझकर लगी हूं। अगर टिकट का मामला होता तो उनके साथ नहीं रहती। अगर टिकट का मामला होता तो इन कार्यक्रमों से दूरी बनाकर रहती।
इससे पहले बदायूं में एक कार्यक्रम में मीडिया कर्मियों ने संघमित्रा से उनके पिता स्वामी प्रसाद मौर्य से जुड़े सवाल पूछे तो वह खफा हो गई थीं। उन्होंने कहा कि पिताजी का सवाल सुन-सुनकर परेशान हो चुकी हूं। भाजपा से सांसद हूं। पार्टी से जुड़ा कार्यक्रम भी है। इसलिए कार्यक्रम और पार्टी से जुड़ा सवाल ही पूछिए।
राजनीतिक जानकारों का कहना है कि 2022 के विधानसभा चुनाव के बाद से ही स्वामी प्रसाद मौर्य लगातार हिंदू देवी-देवताओं और भाजपा सरकार को लेकर टिप्पणी कर रहे हैं। इसको लेकर हिंदू संगठनों ने नाराजगी भी जाहिर की है। पिता के बयानों की वजह से संघमित्रा का टिकट कटा है।
राजनीतिक जानकारों के अनुसार संघमित्रा का बीजेपी की जिला कार्यकारिणी से बेहतर तालमेल नहीं था। वह जिला कार्यकारिणी से कटी नजर आती थीं। कार्यकर्ता भी उनसे दूरी बनाते दिखाई देते हैं। उनको लेकर उठने वाले सवालों का जवाब लोकल नेता और पदाधिकारी देने से बचते नजर आते थे। इसके चलते उनकी लोकल कार्यकर्ताओं से दूरी हो गई थी।