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दिवाली पर यूपी के इन शिक्षकों के लिए बुरी खबर, सरकार ने जारी किया सेवा समाप्‍ति का आदेश; जानें क्‍यों

सहायता प्राप्‍त माध्‍यमिक स्‍क्‍ूलों में 7 अगस्त 1993 से नियुक्त 2090 तदर्थ शिक्षकों की सेवाएं सरकार ने समाप्त कर दी हैं। अपर शिक्षा निदेशक माध्यमिक सुरेन्द्र तिवारी ने दिशा-निर्देश जारी किए हैं।

Ajay Singh हिंदुस्‍तान , लखनऊSun, 12 Nov 2023 06:57 AM
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Teacher's Job: सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में सात अगस्त 1993 से नियुक्त 2090 तदर्थ शिक्षकों की सेवाएं प्रदेश सरकार ने समाप्त कर दी हैं। अपर शिक्षा निदेशक माध्यमिक सुरेन्द्र कुमार तिवारी ने इस संबंध में 10 नवंबर को दिशा-निर्देश जारी किए हैं। संजय सिंह के मामले में सुप्रीम कोर्ट के सात दिसंबर 2021 के आदेश के अनुसार तदर्थ शिक्षकों को राजकोष से वेतन भुगतान करना उचित नहीं है। 

सर्वोच्च न्यायालय के ही 26 अगस्त 2020 के आदेश पर तदर्थ शिक्षकों को उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड की टीजीटी-पीजीटी 2021 शिक्षक भर्ती परीक्षा में अवसर दिया जा चुका है। जिसमें केवल 40 तदर्थ शिक्षक सफल हुए थे। लिहाजा शेष शिक्षकों के वेतन भुगतान की जिम्मेदारी राज्य सरकार की नहीं है। सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के आलोक में ऐसे तदर्थ शिक्षकों के भुगतान का दायित्व प्रबंधतंत्र का है। इनकी नियुक्ति नियमों के विपरीत की गई थी। 

गौरतलब है कि सात अगस्त 1993 से 30 दिसंबर 2000 तक 979 और वर्ष 2000 के बाद 1,111 कुल 2090 शिक्षकों की तदर्थ नियुक्ति हुई थी। माध्यमिक शिक्षा विभाग की ओर से तदर्थ शिक्षकों को निश्चित मानदेय पर रखने का प्रस्ताव शासन को भेजा गया था। मानदेय पर रखने के लिए जो तीन फॉर्मूला सुझाया गया था, उसमें सरकार पर एक अरब 20 करोड़ से लेकर दो अरब 41 करोड़ रुपये तक सालाना व्ययभार पड़ने का अनुमान था लेकिन सरकार ने मानदेय पर रखने के प्रस्ताव को भी खारिज करते हुए इनकी सेवाएं समाप्त कर दी हैं।

सेवा समाप्ति की निंदा, भरण पोषण के इंतजाम की मांग
उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष पूर्व एमएलसी सुरेश कुमार त्रिपाठी ने तदर्थ शिक्षकों की सेवा समाप्ति सम्बन्धी आदेश को तुगलकी करार देते हुए इसकी कड़ी निन्दा की है। कहा कि इन शिक्षकों की नियुक्ति उस समय संस्थाओं के प्रबंधतंत्र ने तदर्थ रूप में की थी जब शिक्षकों की भारी कमी थी, विद्यालयों में पठन पाठन ठप था और चयन बोर्ड द्वारा शिक्षकों की भर्ती नहीं हो पा रही थी।

25 से 30 वर्षों तक विद्यालयों में सेवाएं देने वाले इन शिक्षकों पर बच्चों की पढ़ाई, शादी, गंभीर बीमारियों के इलाज आदि की जिम्मेदारी है। सरकार ऐसी व्यवस्था सुनिश्चित करे कि यह सभी अपने परिवार का भरण-पोषण कर सकें।

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