मेरे लिए 2 लोग काफी थे; भेज दिया 15 इंस्पेक्टर, 1 ट्रक पुलिस; विपक्षी नेताओं की नजरबंदी से माता नाराज
- समाजवादी पार्टी के नेता और उत्तर प्रदेश विधानसभा में नेता विपक्ष माता प्रसाद पांडेय ने बुधवार को सदन में विपक्षी दलों के नेताओं को हाउस अरेस्ट करने के मामलों को उठाकर आरोप लगाया कि योगी सरकार गलत परंपरा डाल रही है।
उत्तर प्रदेश विधानसभा में नेता विपक्ष और समाजवादी पार्टी (एसपी) के वरिष्ठ नेता माता प्रसाद पांडेय ने विपक्षी दलों के नेताओं को घर में नजरबंद कर लेने के मामलों को बुधवार को सदन में उठाया। इस पर योगी आदित्यनाथ सरकार की तरफ से संसदीय कार्यमंत्री सुरेश खन्ना ने कहा कि पुलिस कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए इस तरह के कानून सम्मत कदम उठाती है। पांडेय ने विपक्षी नेताओं की नजरबंदी का मसला तब उठाया, जब कांग्रेस विधायक आराधना मिश्रा मोना ने सदन में स्पीकर से शिकायत की कि प्रदर्शन में शामिल होने आ रहे कांग्रेस नेताओं को यूपी पुलिस ने हाउस अरेस्ट कर लिया है और उन्हें बलपूर्वक रोका जा रहा है।
माता प्रसाद पांडेय ने कहा- “लोकतांत्रिक व्यवस्था में हमें प्रदर्शन करने का अधिकार है। मीटिंग करने का अधिकार है। हम अपनी बात कहीं कह सकते हैं। हम बहुत दिनों से आंदोलन करते रहे हैं। पहली बार है कि मेरे घर पर सवेरे से पुलिस लग गई। मैं संभल जाना चाहता था प्रतिनिधिमंडल के साथ। 15 इंस्पेकटर, सीओ, एक ट्रक पुलिस। हम अकेले थे। इतने लोगों की जरूरत नहीं थी। हमारे लिए दो लोग ही काफी थे। लेकिन ये परंपरा बन गई है कि भीड़ दिखाकरकिसी की आवाज को दबाने की। लोकतंत्र को कमजोर करने की प्रक्रिया ये सरकार अपना रही है।”
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इस पर सदन में मौजूद संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने कहा कि सरकार सख्ती से कानून लागू कर रही है। उन्होंने इस आरोप को गलत बताया कि किसी के भी लोकतांत्रिक अधिकार का हनन हो रहा है। खन्ना ने कहा कि आपकी अपनी परेशानी या मजबूरी हो सकती है कि आप नहीं जा पाए हों लेकिन किसी ने रोका नहीं है।
माता प्रसाद पांडेय फिर खड़े हुए और कहा- “मैंने डीजी से पूछा। उन्होंने कहा कि तीन दिन रुक जाइए। तीन दिन रुक गया। तीन दिन के बाद पूछा तो कहा कि एक दिन और रुक जाइए। एक दिन के बाद जाने को हुआ तो रात में इतना फोर्स। निकलना दुर्लभ कर दिया। ये क्या परंपरा डाल रहे हैं। आज वहां हैं। यहां थे तो दूसरी भाषा। लोकतंत्र को मजबूत करने की प्रक्रिया को कमजोर मत करिए।”
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इस पर सुरेश खन्ना ने सरकारी की ओर से जवाब में कहा कि शासन को प्रतिनिधिमंडल के जाने से कोई दिक्कत नहीं है। लेकिन अगर किसी के जाने से माहौल खराब हो सकता है तो निश्चित रूप से उसे रोका जाना सही है। मंत्री ने कहा कि शांति-व्यवस्था बनाए रखने के लिए परिस्थिति के हिसाब से निर्णय लिया जाएगा।