सीता ने भी दी थी अग्नि परिक्षा...अंडर वर्ल्ड डॉन से नाम जुड़ने पर बोलीं ममता कुलकर्णी
ममता कुलकर्णी, जो अब किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर यमाई ममता नंद गिरि बन चुकी हैं, ने कहा है कि संन्यास कोई फैशन शो नहीं है। अंडर वर्ल्ड डॉन से नाम जुड़ने के बारे में जब सवाल पूछा गया तो कहा कि सीता ने भी अग्नि परीक्षा दी थी।
फिल्मी दुनिया को अलविदा कह चुकीं ममता कुलकर्णी, जो अब किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर यमाई ममता नंद गिरि बन चुकी हैं, ने कहा है कि संन्यास कोई फैशन शो नहीं है। उनका कहना है कि यहां आकर तप करना होता है और लंबी परीक्षा देनी होती है। अपने पट्टाभिषेक के दूसरे दिन शनिवार शाम को एक बार फिर पत्रकारों से मुखातिब हुई यमाई ममता नंद गिरि ने कहा कि आज लोग तेजी से संन्यास ले लेते हैं। लेकिन, धर्म को समझ नहीं पाते। इसी महाकुम्भ के दौरान 13 साल की बच्ची निष्कासित हुई और आईआईटीयन बाबा को निष्कासित किया गया।
पूर्व में अंडर वर्ल्ड डॉन से नाम जुड़ने के बारे में जब सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि सीता ने भी अग्नि परीक्षा दी थी और इसके बाद भी उन्हें वनवास मिला। यहां उस दौर को याद करने का कोई अर्थ नहीं है। फिर भी लोग उसी बात को लेकर अपना बयान जारी कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि लोगों को इस बात को समझना चाहिए कि मैं आज वहां खड़ी हूं, जिसके लिए गौतम बुद्ध ने पूरा सिंघासन छोड़ दिया था। मैंने निष्ठा से तप किया और अन्न का त्याग किया तो 12 साल ब्रह्मचर्य का पालन किया। यमाई नाम के बारे में उन्होंने बताया कि जब उनका जन्म होने वाला था तो मां काली उनकी दादी के सपने में आईं और कहा कि तुम्हारे घर यमाई का जन्म होगा। यमाई का अर्थ है मृत्यु की मां।
उन्होंने कहा कि जब आदिशक्ति ने भगवान श्रीराम की परीक्षा लेने के लिए माता सीता का रूप धारण किया तो भगवान राम ने उनके पांव में सिर रखकर कहा था कि यमाई आप क्यों सीता के रूप में हैं। ग्लैमर की दुनिया में वापस जाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि मैंने बहुत कठिन तप किया है। अब वापस नहीं जा सकती। जैसे खिलाड़ी को कठिन मेहनत के बाद ओलंपिक जीतने का अवसर मिलता है, ठीक वैसे ही मुझे मेरी तपस्या के रूप में महामंडलेश्वर का प्रमाण पत्र मिला है।