बाजार से एनसीईआरटी की पुस्तकें गायब
निजी प्रकाशकों की चांदी, अभिभावक हो रहे परेशान लाई से विधिवत कक्षाएं चल रही हैं। इसके बावजूद कक्षा नौ से 12वीं की किताबों के पूरे पाठ्यक्रम का सेट बा
सिद्धार्थनगर। निज संवाददाता राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) का पूरा पाठ्यक्रम बाजार में आसानी से मुहैया नहीं हो रहा है। जबकि नया शैक्षणिक सत्र एक अप्रैल से शुरू हो गया था। एक जुलाई से विधिवत कक्षाएं चल रही हैं। इसके बावजूद कक्षा नौ से 12वीं की किताबों के पूरे पाठ्यक्रम का सेट बाजार में खोजे नहीं मिल रहा है। मजबूरी में छात्र-छात्राओं को निजी प्रकाशकों की एनसीईआरटी आधारित महंगी किताबें खरीदनी पड़ रही हैं। वहीं कुछ छात्र-छात्राएं पुरानी किताबों से काम चला रहे हैं।
माध्यमिक शिक्षा परिषद ने नौवीं से 12वीं तक के विद्यार्थियों को एनसीईआरटी की किताबें पढ़ाने को कहा है। परिषद ने इसके लिए प्रकाशक व रेट सूची भी जारी की है। इसका उद्देश्य अभिभावकों को महंगी किताबें खरीदने से बचाने के अलावा उच्च शिक्षण गुणवत्ता बनाए रखना है। प्रकाशकों की मनमानी से अभिभावकों को धरातल पर राहत नहीं मिल पा रही है। प्रकाशकों की ओर से पाठ्य पुस्तकों की आपूर्ति नहीं होने से अभिभावकों को किताबें खरीदने में 800 से एक हजार रुपये अधिक खर्च करने पड़ रहे हैं। दुकानों पर एनसीईआरटी का स्टाक न होने से निजी स्कूल भी एनसीईआरटी की किताबें नहीं मिलने का तर्क देकर अभिभावकों पर निजी प्रकाशकों की पुस्तक थोप रहे हैं। पुस्तक विक्रेता भी स्टॉक न होने की दुहाई देकर एनसीईआरटी पाठ्यक्रम की पुस्तक बेचने की जिम्मेदारी से अपना पल्ला झाड़ रहे हैं। हाईस्कूल और इंटर में दाखिला प्रक्रिया समाप्त हो गई है। 9वीं से 12 वीं कक्षाओं में मुख्य पाठ्यक्रमों में एनसीईआरटी की किताबें बाजार में नहीं मिल रही हैं। इसके मुकाबले निजी प्रकाशकों की निजी स्कूलों की सुझाई गईं किताबें भी चुनिंदा दुकानों पर ही बिक रही हैं।
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जिले में कॉलेजों की स्थिति
राजकीय - 28
वित्तपोषित- 48
वित्तविहीन- 145
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कई दिनों से सरकारी किताबों के लिए परेशान रहे। जब किताबें नहीं मिली तो बाजार में उपलब्ध पुस्तकें खरीदनी पड़ी। अगर शिकायत भी करते हैं तो बच्चे की पढ़ाई प्रभावित होगी।
- रवि वर्मा, अभिभावक
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शहर के अधिकतर कॉलेजों में अलग-अलग प्रकाशन की पुस्तकें चल रहीं है। विज्ञान से लेकर हिंदी व अंग्रेजी के कई प्रकाशन बाजार में है। जो एनसीईआरटी की पुस्तक है वह मिलती ही नहीं है।
- दिनेश यादव, अभिभावक
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सभी कॉलेज संचालकों को एनसीईआरटी की पुस्तकों से पढ़ाने के निर्देश दिए गए है। वहीं, विद्यार्थियों को भी इसके लिए लगातार जागरूक किया जाता है। इसके साथ ही बोर्ड की बेवसाइट पर एनसीईआरटी की पुस्तकों की पीडीएफ अपलोड है, जिसे छात्र आसानी से डाउनलोड करके उसकी कॉपी निकाल सकते है। जिन कॉलेज संचालकों की ओर से शासन की गाइडलाइन का पालन नहीं किया जा रहा है,उनकी जांच करवाई जाएगी।
- सोमारू प्रधान, डीआईओएस
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