कर्तव्य पथ पर चलूं या भगवत शरण रहूं, एनकाउंटर करने वाले दरोगा ने प्रेमानंद महाराज से पूछे सवाल
- महाराज मैंने अपनी नौकरी के दौरान कई एनकाउंटर किए, मुझे कई सम्मान मिले, राष्ट्रपति वीरता पदक भी मिला। एक मुठभेड़ में मुझे गोली लगी, मेरी मत्यु का समाचार भी जारी हो गया लेकिन प्रभु की कृपा से मैं बच गया।

महाराज मैंने अपनी नौकरी के दौरान कई एनकाउंटर किए, मुझे कई सम्मान मिले, राष्ट्रपति वीरता पदक भी मिला। एक मुठभेड़ में मुझे गोली लगी, मेरी मत्यु का समाचार भी जारी हो गया लेकिन प्रभु की कृपा से मैं बच गया। मेरा मन अब बहुत विचलित है, मैं अपने कतर्व्य पथ पर चलता रहूं या फिर प्रभु की शरण में आ जाऊं। प्रेमानंद महाराज से यह सवाल किया मेरठ में एक साल पहले बदमाशों से लोहा लेते हुए बदमाशों की गोली सीने पर खाने वाले दरोगा मुनेश सिंह का। प्रेमानंद महाराज की शरण में पहुंचे दरोगा के सवालों के महाराज ने बखूबी जवाब दिया।
मेरठ के सिविल लाइन थाने में तैनात दरोगा मुनेश सिंह पिछले वर्ष कंकरखेड़ा थाने में तैनात थे। 22 जनवरी 2024 को वाहन लूटकर फरार होने वाले बदमाशों को मुनेश सिंह ने दिलेरी दिखाते हुए घेर लिया और आमने-सामने की गोलीबारी में दरोगा मुनेश सिंह को सीने में गोली लगी। 33 दिन अस्पताल में भर्ती रहने के बाद मौत से लड़कर वापस लौटे दरोगा मुनेश कुमार 10 फरवरी को वृंदावन में प्रेमानंद महाराज के आश्रम पहुंचे। महाराज ने उनके सवालों का जवाब देते हुए कहाकि हम इसी सांसारिक धर्म निर्वाह के चक्कर में मनुष्य जीवन का जो मूल कर्तव्य है भगवत प्राप्ति, उससे वंचित हो जाएं तो ये ठीक नहीं है। अगर आपका मन आपका साथ दे तो भगवत प्राप्ति के लिए समय निकालें।
मुनेश सिंह के सवाल और प्रेमानंद महाराज के जवाब
मुनेश सिंह : महाराज जी, मैंने अपनी पूरी नौकरी में कई एनकाउंटर किए, मुझे बहुत से सम्मान से सम्मानित किया गया। राष्ट्रपति वीरता पदक भी मिल चुका है। पिछले साल 22 जनवरी 2024 को जिस दिन राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा हो रही थी, उसी रात को बदमाशों से मुठभेड़ हो गई और सीने में गोली लगी थी। मेरी मृत्यु का समाचार भी जारी हो गया था, लेकिन फिर प्रभु कृपा से बच गया। अब मेरा प्रश्न यह है कि मैं अपने कर्तव्य पथ पर ऐसे ही चलता रहूं या फिर प्रभु शरण में आ जाऊं। मेरा मन विचलित रहता है।
प्रेमानंद जी : पता नहीं क्या जीवन की लीला हो और हम इसी सांसारिक धर्म निर्वाह के चक्कर में मनुष्य जीवन का जो मूल कर्तव्य है भगवत प्राप्ति, उससे वंचित हो जाएं तो ये ठीक नहीं है। अगर आपका मन आपका साथ दे तो भगवत प्राप्ति के लिए समय निकालें। देशसेवा के लिए कितना समय दिया है?
मुनेश सिंह : 32 साल पुलिस विभाग को दिए।
प्रेमानंद जी : बहुत समय दिया है। कोई नशा तो नहीं करते हैं।
मुनेश सिंह : जी कोई नशा नहीं करता।
प्रेमानंद जी : भगवान श्रीकृष्ण और कालयवन के बीच जो युद्ध हुआ उसमें भगवान श्रीकृष्ण रण छोड़कर एक गुफा में आ गए, जहां पर मुचुकुंद जी सोए थे। मुचुकुंद को वरदान था कि यदि कोई उन्हें नींद से जगाता है तो उनकी दृष्टि जिस पर पड़ेगी वह जल जाएगा। ऐसे में भगवान श्रीकृष्ण की लीला से कालयवन का अंत हो गया।
प्रेमानंद जी : हर मनुष्य के जीवन का कोई न कोई उद्देश्य होता है। हमको चाहिए कि कुछ समय निकाल कर भगवान के चरणों में दें, जिससे हमारी जो भी सेवाएं बनी हैं उसमें जो भी चूक हुई हैं वो क्षमा हो जाएं। जो भी पाप हुए हैं, वो नष्ट हो जाएं। अगला हमें अगर जन्म भी मिले तो ऐसा ही मिले कि मैं देशभक्त और भगवान का भक्त बनूं। आधा जीवन तो भारत को दे ही दिया है, अब बाकी जीवन भगवान को दे दीजिए। अपने समाज में रहकर आप रिटायर भी रहेंगे अच्छा काम कर सकेंगे। जिसकी अच्छी प्रवृत्ति रहती है वो समाज में भी वातावरण भी अच्छा ही फैलाता है। तो आसपास सुरक्षा व्यवस्था और समाज की पवित्रता में योगदान रहेगा। साथ ही फोर्स में जाने वाले नए लड़कों को भी तैयार कर सकते हैं। रिटायर होकर भी भारत सरकार की सेवा कर सकते हैं। साथ ही नाम जप और साधना के द्वारा भगवान की प्राप्ति भी कर सकते हैं।
मुनेश सिंह : प्रभु मैं आपको बहुत सुनता हूं। रात को दो बजे भी ड्यूटी से आता हूं तो आपको जरूर सुनता हूं। 33 दिन अस्पताल में रहा जिसमें से नौ दिन आइसीयू में रहा था। बाकी के 24 दिन अस्पताल में भी आपको ही सुनता रहता था।
प्रेमानंद जी : तो आपने जो सुना उस पर चल रहे हैं। देखो, एक तरह से तो आप मर ही गए थे जब मृत घोषित हो गए थे। तो अब जो जीवन बचा है वो भगवान को दे दीजिए। धन्यवाद है आपका जो आप अपने जीवन को भारत सरकार में ईमानदारी से लगाकर काम करते रहे। अब अखिल कोटि ब्रह्माण्ड सरकार भगवान की सेवा में जीवन लगा देंगे तो सफल हो जाएंगे।
प्रोफाइल :
- नाम : मुनेश सिंह
- पद : यूपी पुलिस में दरोगा
- भर्ती : वर्ष 1993 में सिपाही पद पर भर्ती हुए
- रिटायरमेंट में बाकी समय : नौ साल
- वर्तमान तैनाती : एसएसआई, सिविल लाइन थाना, मेरठ