बिन संसाधनों के कैसे मिले ओलपिंक का तमगा
ओलंपिक में भारतीय हाकी टीम और नीरज चोपड़ा के प्रदर्शन से खिलाडियों में जोश है, पर शामली जिले में खेल सुविधाओं की कमी से उनकी प्रतिभा निखर नहीं पा रही। जिले में स्टेडियम और कोच की कमी है, जिससे खिलाडी...
बिन संसाधनों के कैसे मिले ओलपिंक का तमगा - जिले में खेल प्रतिभाओं को निखरने के लिए नहीं है संसाधान एवं सुविधाएं
हाकी की भारतीय टीम और नीरज चोपड़ा के ओलंपिक में प्रदर्शन से गदगद खिलाड़ी
फोटो-11 से 14
शामली,संवाददाता।
ओलंपिक में कुश्ती में पहलवान विनेश फोगाट का महज सौ ग्राम वजन के कारण फाइनल से बाहर करना हर दुर्भाग्य पूर्ण रहा। हर देशवासी में इसको लेकर रोष है लेकिन इसी बीच भारतीय हाकी टीम एवं भाला फेंक में नीरज चोपड़ा ने पदक जीत खिलाडियों के हौंसले को बुलंद रखने का काम किया है। जिले के खिलाडियों में ओलपिंक को देखकर खासा क्रेज है लेकिन जिले में संसाधनों के अभाव के चलते उन्हें अपनी प्रतिभाओं को निखारने का अवसर नहीं मिल रहा है। जिले में अभी तक स्टेडियम भी नहीं है। जिले के खिलाडियों का कहना है कि मौका मिले तो वह भी देश के लिए तमगा ला सकते है।
शामली जिला खेल प्रतिभाओं का धनी है। अंतर्राष्ट्रीय अर्जुन अवार्डी शूटर अनवर सुलतान से लेकर शूटिग चैंपियनशिप में 400 मेडल अपने नाम कर चुके नेशनल शूटर जीआर खान उर्फ नवाब मियां और उनके पुत्र नायब खान भी शामली जिले के ही निवासी हैं। क्रिकेट में अंपायर अनिल चौधरी व विक्रकेटर प्रवीन कुमार व विक्की कुमार शामली के ही निवासी है। शामली की बेटियों की जूनियर कबड्डी टीम अभी तक नेशनल स्तर पर कई टीम को हराकर गोल्ड पर कब्जा कर चुकी है। शूटिग, कबड्डी और क्रिकेट के क्षेत्र में शामली में सभी तरह के खिलाड़ी हैं। लेकिन जिले में खेल सुविधाओं के नाम पर एक जिला स्टेडियम भी नहीं है। जिला बने तेरह साल हो गए लेकिन अभी खेल स्टेडियम के नाम पर युवा कल्याण विभाग के दो छोटे क्रीडा स्टेडियम है। जिले में खेल विभाग के पास मात्र दो ही कोच है। हालांकि जिला क्रीडा अधिकारी अश्वनी त्यागी का कहना है कि बहुत जल्द स्टेडियम का निर्माण प्रारंभ हो जायेगा। इसके लिए जमीन आदि भी सभी औपचारिकताएं पूरी हो चुकी है। इससे सुविधाएं और संसाधन बढ़ेंगे।
पेरिस ओलंपित के लिए नीरज चोपडा ने पहले गोल्ड मेडल जीता था। उसने काफी संघर्ष किया और इस बार भी सिल्वर मेडल जीता है। शामली जिले की बात करे तो यहां खेल सुविधाओं का आभाव है। जिला प्रशासन से लेकर प्रदेश सरकार को भी इस ओर ध्यान देने चाहिए।
शुभम तरार, खिलाडी
52 साल बाद भारत ने हॉकी में पहली बार लगातार दो मेडल जीते है। स्पेन को 2-1 से हराकर भारत ने दूसरी बार ओलंपिक ब्रांज मेडल जीता है, लेकिन वास्तव में ग्रामीण क्षेत्रों में खेलों के लिए कोई प्रबंधक नही है। शामली जिले में न तो कोच की तैनाती है और न ही स्टेडियम है।
शकील मलिक, खिलाडी
खिलाडियों के लिए जिले में बेहतर स्टेडियम बने। शामली व ग्रामीण क्षेत्रों में खिलाडियों की कमी नही है, लेकिन यहां सुविधाओं का आभाव खिलाडियों की प्रतिभाओं का दम तोड देता है। शामली जिले में बेहतर स्टेडियम बने, कोच हो और खेलों के साथ उनके उपकरण दिए जाये।
विजय तोमर, खिलाडी
शामली के खिलाडी प्रदेश ही नही बल्कि देश में अपना नाम रोशन कर रहे है, लेकिन उसके बावजूद यहां खिलाडियों की लिए कोई सुविधा नही है। खिलाडी मेरठ, दिल्ली, हरियाणा जाकर ट्रेनिंग लेते है। ओलंपिक में नीरज चोपडा ने ब्रांज मेडल जीतकर देश का नाम रोशन किया है। खिलाडियों का उत्साहवर्धन होना चाहिए।
अभिनव मलिक, खिलाडी
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