सरयू-राप्ती के पानी बढ़ाई मुश्किल, बाढ़ से घिरे 21 गांव; रात भर बांध की निगरानी करते रहे गांववाले
- सरयू और राप्ती के पानी से ग्रामीणों की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। बाढ़ से घिरे गांव के लोगों को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। 21 गांव बाढ़ से घिरे हुए हैं।
Flood in Gorakhpur: सरयू और राप्ती के पानी से ग्रामीणों की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। बाढ़ से घिरे गांव के लोगों को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। स्थिति ऐसी हो गई है कि 21 गांव बाढ़ से घिरे हुए हैं। वहीं, दूसरी तरफ तटबंधों पर दबाव बढ़ता जा रहा है। रविवार की देर रात तीन बजे के करीब गोपलामार-डुमरी तटबंध के ऊपर से पानी बहने लगा। ग्रामीणों के शोर मचाने पर लोग इकह्वा हुए और मिट्टी डालकर हो रहे बहाव को किसी तरह रोका। लेकिन, पानी का दबाव इतना ज्यादा था कि जगह-जगह रिसाव होने लग। इसे रोकने के लिए गांव के लोग मिट्टी डालते नजर आए। वहीं, राप्ती नदी के जलस्तर से बड़हलगंज-देवरिया रामजानकी मार्ग पर नेतवार पट्टी के पास पानी ओवरफ्लो करने के करीब है। सड़क किनारे मिट्टी बोरी डालकर रोकने का प्रयास किया जा रहा है।
सरयू की बाढ़ से 12 और राप्ती से नौ गांव पूरी तरह जलमग्न सरयू नदी के बाढ़ से दिस्तवलिया, कोलखास, नेतवार पट्टी, भैपुरा, बगहा, गोनहा, जैतपुर, तिवारीपुर, बल्थर, बेलवा गुलाब सिंह, बेलवा तुंरत सिंह, अजयपुरा, गोरखपुरा, बरडीहा, मुसाडीह गांव तो राप्ती नदी की बाढ़ से लखनौरी, लखनौरा, हिंगुहार, सूबेदार नगर माझा, जगदीशपुर, मोहन पौहरिया, विहुआ उर्फ अगिलगौवा, सरया खास गांव पूरी तरह जलमग्न हैं।
वहीं कैंपियरगंज तहसील में राप्ती नदी के कटान से विशुनपुर ग्राम पंचायत के दो टोले चकदहा और भुजौली के अस्तित्व पर संकट पैदा हो गया है। इस वर्ष कटान इतनी तेज है कि कुछ ही दिनों में नदी घरों के करीब से बहने लगी है। अगर समय रहते प्रशासन ने इस पर ध्यान नहीं दिया तो दोनों टोले का अस्तित्व ही समाप्त हो जाएगा। गांव के पूर्व प्रधान घिसियावान निषाद, ध्रुपचंद, हरिद्वार ने बताया कि दोनों टोले पर 40 वर्ष पहले सैकड़ों घर हुआ करते थे। नदी के कटान के कारण पूरे गांव पर इसी तरह का संकट आया है।
गायघाट और कोनी दो गांव नदी में विलीन हो गए। उस समय तत्कालीन मुख्यमंत्री स्व.वीर बहादुर सिंह ने करमैनी सोनौरा रोड के किनारे बसने के लिए जमीन देकर बसाया। उस समय चकदहा व भुजौली के लोगों को गाव छोड़कर बंधे के बाहर बसने के लिए कहा गया। लेकिन खेती बाड़ी ही जीवकोपार्जन का मुख्य स्रोत होने से लोग अपने पैतृक जगह को नहीं छोड़े। अब उनके अस्तित्व पर खतरा मंडराने लगा है। दोनों टोले पर मिलाकर तीन दर्जन से अधिक मकान हैं, जहां 500 से अधिक आबादी है। हर वर्ष यहां के लोग बाढ़ की विभीषिका को खुशी-खुशी झेल लेते हैं। लेकिन पिछले दो वर्षो से नदी कटान करते हुए गांव के समीप आ चुका है। गांव के लोगों ने बताया कि अगर समय रहते नदी में बोल्डर पीचिंग नहीं किया गया तो पूरा गांव नदी में समा जाएगा। ग्रामीणों ने मांग की है कि समस्या का समाधान जल्द से जल्द किया जाए।
नाव की दिक्कत से जूझ रहे बाढ़ पीड़ित
बाढ़ से घिरे गांव लखनौरी, लखनौरा के राधेश्याम सुनील तिवारी, हिंगुहार के रामप्रीत, बरडीहा के बीरबल यादव का कहना हैं कि नाव की जरूरत पड़ रही है, लेकिन प्रशासन इस पर ध्यान नहीं दे रहा है। गांव में नाव की जरूरत है।
मोमबत्ती के सहारे कट रही रात
बगहा दियारा के 30 घरों में बाढ़ का पानी घुस गया हैं। लोग सड़क पर आशियाना बनाए हुए हैं। लोग मोमबत्ती जलाकर रात काट रहे हैं। सौदागर सिंह, रामध्यान, सूरज साहनी, ने बताया कि बिजली की व्यवस्था नहीं है।
क्या बोले अधिकारी
जिला आपदा अधिकारी पंकज गुप्ता ने कहा कि बाढ़ प्रभावित इलाकों पर प्रशासन की पूरी नजर है। सभी टीमों को सक्रिय कर दिया गया है। बाढ़ प्रभावित गांव में प्रशासन की तरफ से छोटी और बड़ी नाव की व्यवस्था की गई है। इसके अलावा पशुओं के लिए चारे भी दिए गए हैं। राप्ती और सरयू नदी के जलस्तर कम हो रहे हैं।