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संभल जामा मस्जिद से कुआं पूरी तरह बाहर, सुप्रीम कोर्ट ने अब मुस्लिम पक्ष से दो हफ्ते में मांगा जवाब

सुप्रीम कोर्ट ने संभल मस्जिद कमेटी को उस वस्तु स्थिति रिपोर्ट पर जवाब देने के लिए मंगलवार को दो हफ्ते का वक्त दिया, जिसमें कहा गया है कि विवादित कुआं मुगलकालीन जामा मस्जिद से ''पूरी तरह से बाहर'' है।

Yogesh Yadav नई दिल्ली भाषाTue, 29 April 2025 06:52 PM
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संभल जामा मस्जिद से कुआं पूरी तरह बाहर, सुप्रीम कोर्ट ने अब मुस्लिम पक्ष से दो हफ्ते में मांगा जवाब

सुप्रीम कोर्ट ने संभल मस्जिद कमेटी को उस वस्तु स्थिति रिपोर्ट पर जवाब देने के लिए मंगलवार को दो हफ्ते का वक्त दिया, जिसमें कहा गया है कि विवादित कुआं मुगलकालीन जामा मस्जिद से ''पूरी तरह से बाहर'' है। शीर्ष अदालत ने 10 जनवरी को संभल के जिलाधिकारी को मस्जिद के प्रवेश द्वार के पास स्थित एक ''निजी'' कुएं का जीर्णोद्धार करने या वहां धार्मिक रस्म अदायगी की अनुमति देने के मामले में यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश दिया था।

संभल की शाही जामा मस्जिद की प्रबंधन समिति की याचिका पर विचार करते हुए, पीठ ने केंद्र, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के महानिदेशक, संभल के जिलाधिकारी और हरि शंकर जैन के नेतृत्व में अन्य निजी हिंदू पक्ष के वादियों को नोटिस जारी किए। मंगलवार को प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ को उत्तर प्रदेश सरकार और अन्य प्राधिकारियों की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के. एम. नटराज ने बताया कि कुआं पुलिस चौकी के ठीक आगे मस्जिद से ''पूरी तरह बाहर'' स्थित है।

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पीठ ने मस्जिद कमेटी को अधिकारियों की वस्तु स्थिति रिपोर्ट पर दो सप्ताह में अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया। मस्जिद कमेटी की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता हुजेफा अहमदी ने इस आधार पर तीन सप्ताह का समय मांगा कि मस्जिद कमेटी के अध्यक्ष जफर अली जेल में हैं।

अली को मुगलकालीन मस्जिद के न्यायालय द्वारा निर्देशित सर्वेक्षण के विरोध में 24 नवंबर 2024 को हुई हिंसा के संबंध में पूछताछ के बाद 23 मार्च को गिरफ्तार किया गया था। प्रधान न्यायाधीश ने कहा, '''मुलाकात' करें और यह (जवाब दाखिल) करें। कोई और भी जवाब दाखिल कर सकता है। कृपया इसे दो सप्ताह में ही करें।'' इसके साथ ही उन्होंने याचिका पर सुनवाई स्थगित कर दी।

मस्जिद कमेटी ने अपनी याचिका में कहा है कि संभल जिला प्रशासन शहर में पुराने मंदिरों और कुओं का जीर्णोद्धार करने के लिए एक ''कथित अभियान'' चला रहा है। इसमें कहा गया है कि खबरों से संकेत मिलता है कि कम से कम 32 पुराने अप्रयुक्त मंदिरों के जीर्णोद्धार के अलावा 19 कुओं को चिह्नित किया गया है जिन्हें धार्मिक उद्देश्यों के लिए उपयोग में लाना शुरू किया गया है।

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यह आरोप लगाया गया है कि जिला प्रशासन द्वारा जीर्णोद्धार किये जाने वाले कुओं की सूची में मस्जिद परिसर में स्थित एक कुआं भी शामिल है। पीठ ने जिलाधिकारी को मस्जिद के पास स्थित कुएं के संबंध में ''नोटिस को प्रभावी'' न करने और यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश दिया।याचिका में संभल के जिलाधिकारी को निर्देश देने का अनुरोध किया गया है कि वह मस्जिद की सीढ़ियों/प्रवेश द्वार के पास स्थित निजी कुएं के संबंध में यथास्थिति सुनिश्चित करें और इस अदालत से उचित अनुमति के बिना इस संबंध में कोई कार्रवाई न करें।

याचिका में कहा गया है कि ढंके हुए कुएं का आधा हिस्सा मस्जिद के अंदर था, जबकि दूसरा आधा हिस्सा बाहर की ओर एक घुमावदार प्लेटफॉर्म पर निकला हुआ था। याचिका के अनुसार, कुआं मस्जिद के मुख्य प्रवेश द्वार की ओर जाने वाली तीन संकरी गलियों के तिराहे पर स्थित था और इसका इस्तेमाल मस्जिद के लिए पानी निकालने के वास्ते किया जाता था। पीठ ने बिना अनुमति के कुएं के संबंध में कोई भी कदम उठाने के खिलाफ निर्देश दिया और अधिकारियों को दो सप्ताह के भीतर वस्तु स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया।

अहमदी ने कुएं के ऐतिहासिक महत्व को रेखांकित करते हुए कहा, ''हम अनादि काल से इस कुएं से पानी निकालते आ रहे हैं।'' उन्होंने इस स्थल को ''हरि मंदिर'' बताने संबंधी नोटिस और वहां धार्मिक गतिविधियां शुरू करने की योजना पर चिंता जताई। हिंदू पक्ष का प्रतिनिधित्व करने वाले अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने कहा कि कुआं मस्जिद के अधिकार क्षेत्र से बाहर है और ऐतिहासिक रूप से इसका इस्तेमाल धार्मिक कार्य के लिए किया जाता रहा है।

वहीं, अहमदी ने कहा कि कुआं आंशिक रूप से मस्जिद परिसर के भीतर और आंशिक रूप से बाहर है, उन्होंने अपने दावे की पुष्टि करने के लिए 'गूगल इमेज' का सहारा लिया। मस्जिद कमेटी ने संभल के 'सीनियर डिवीजन सिविल जज' के 19 नवंबर 2024 के आदेश को चुनौती दी है, जिसमें मस्जिद का सर्वेक्षण करने के लिए 'एडवोकेट कमिश्नर' नियुक्त करने की अनुमति दी गई थी। मस्जिद कमेटी ने कहा कि याचिका को उसी दिन सुनवाई के बिना स्वीकार कर लिया गया, जब इसे दायर किया गया था।

शीर्ष अदालत ने पिछले साल 29 नवंबर को संभल की एक अदालत को चंदौसी में मस्जिद और उसके सर्वेक्षण से संबंधित मामले की कार्यवाही रोकने का आदेश दिया था, जबकि उत्तर प्रदेश सरकार को हिंसा प्रभावित शहर में शांति और सद्भाव बनाए रखने का निर्देश दिया था।

मस्जिद कमेटी ने पिछले साल 28 नवंबर को उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था, जिसमें जिला अदालत के 19 नवंबर के आदेश को चुनौती दी गई थी। उक्त आदेश में मुगलकालीन मस्जिद का सर्वेक्षण करने का निर्देश दिया गया था, जबकि दीवानी न्यायाधीश द्वारा पिछले साल 19 नवंबर को पारित आदेश के क्रियान्वयन पर एकपक्षीय रोक लगाने का अनुरोध किया गया था। पिछले साल 24 नवंबर को प्रदर्शनकारी मस्जिद के पास एकत्र हुए थे और सुरक्षाकर्मियों के साथ उनकी झड़प हुई। इसके परिणामस्वरूप पथराव और आगजनी हुई, जिसमें चार लोग मारे गए और कई अन्य घायल हुए थे।

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