विधानसभा में अपने विधायकों की परफार्मेंस से बेचैन सपा, संभावित बागी समय रहते होंगे चिह्नित
- सपा के बागी विधायक भी किसी वक्त सत्ता पक्ष के प्रति नर्म रवैया रखते थे। वे सदन में कड़े सवाल पूछने से बचते थे। तब सपा नेतृत्व ने बदलते रुख को संसदीय शिष्टाचार तक सीमित माना। लेकिन जब नर्म रुख अपनाने वाले सपा विधायकों ने राज्यसभा चुनाव में क्रास वोटिंग की तो सपा नेतृत्व हक्का-बक्का रह गया।

Samajwadi Party News: समाजवादी पार्टी इस बार के विधानसभा और विधान परिषद के सत्र में अपनों की ‘परफार्मेंस’ से हैरान भी है और बेचैन भी। एकजुट होकर सपा विधायक न तो सत्ता पक्ष को अहम सवालों पर घेर सके और न ही मजबूती से विरोध जता सके। इसके उलट कई विधायक सामने बैठे सत्ता पक्ष के कामकाज से कुछ ज्यादा ही प्रभावित भी दिखने लगे। सदन में अपने कुछ विधायकों की इस स्थिति ने सपा की चिंताएं भी बढ़ा दी हैं। कुछ सदस्यों की सत्ता पक्ष के प्रति दिखती नरमी से पार्टी के लिए आगे दिक्कत आ सकती हैं। वर्ष 2027 के विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी अब संभावित बागियों को समय रहते चिह्नित करेगी।
सपा के बागी विधायक भी किसी वक्त सत्ता पक्ष के प्रति नर्म रवैया रखते थे। वे सदन में केवल अपने क्षेत्र के मुद्दे उठाते थे और कड़े सवाल पूछने से बचते थे। तब सपा नेतृत्व ने बदलते रुख को संसदीय शिष्टाचार तक ही सीमित माना। लेकिन पिछले साल राज्यसभा चुनाव के दौरान जब नर्म रुख अपनाने वाले सपा विधायकों ने क्रास वोटिंग कर अपने बागी तेवर दिखाए तो सपा नेतृत्व हक्का-बक्का रह गया। यह अलग बात है कि अधिकांश बागी भाजपा को लोकसभा चुनाव में फायदा नहीं पहुंचा सके।
जब आपस में उलझ पड़े विधायक
बजट चर्चा में सपा विधायक नफीस अहमद और अतुल प्रधान में पहले बोलने को लेकर होड़ दिखी तो दोनों एक दूसरे को टोका- टोकी करते दिखे। भाजपा विधायक इस स्थिति पर मुस्कुराते दिखे लेकिन बोले कुछ नहीं लेकिन ऊर्जा मंत्री एके शर्मा ने जरूर एक सपा विधायक का नाम लेकर कहा कि बिजली में अच्छा काम हुआ। एक वक्त ऐसा भी आया कि सपा के संग्राम यादव और अन्य दो सदस्यों ने सदन सरकार के जवाब से असंतुष्ट होकर वाकआउट किया लेकिन सपा के बाकी सदस्य उसमें शामिल नहीं हुए। इससे सपा सदस्यों के बीच सामंजस्य बिखरता दिखा।
अपनों का साथ न मिलने का मलाल
20 फरवरी को सदन में रात के वक्त जब काफी कम सदस्य थे, सपा विधायक पंकज पटेल ने अपनी बात बात कहते-कहते नेता सदन पर टिप्पणी कर दी। संसदीय कार्य राज्यमंत्री मयंकेश्वर शरण सिंह ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया दी। सपा सदस्य ने कहा कि उन्होंने कोई असंसदीय बात नहीं कही है लेकिन उन पर माफी का दबाव बढ़ने लगा। उनके पक्ष में केवल ओम प्रकाश सिंह बोले कि इसमें माफी वाली कोई बात नहीं है लेकिन अंतत उन्हें माफी मांगनी पड़ी। विधायक पंकज पटेल को मलाल है कि उन्हें पार्टी का साथ नहीं मिला।
इस मुद्दे पर वाकआउट हो सकता था। विधान परिषद में जब अधिष्ठाता डा. जयपाल सिंह व्यस्त ने नेता प्रतिपक्ष लाल बिहारी यादव को करीब 45 मिनट बोलने के बाद बैठने को कहा तो वे नहीं मानें। इस मुद्दे पर सपा के कई सदस्य भी नेता प्रतिपक्ष के समर्थन में नहीं दिखे। अलबत्ता, एकाध सदस्य ने सदन से निकलते वक्त विरोध भी दर्ज कराया।
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