Hindi Newsउत्तर प्रदेश न्यूज़samajwadi party reached Election Commission complaint about removal of Yadav Muslim employees also submitted the list

यूपी में उपचुनाव से पहले यादव-मुस्लिम कर्मचारियों पर रार, चुनाव आयोग पहुंची सपा, लिस्ट भी सौंपी

  • सपा ने उपचुनाव वाले इलाकों में यादव और मुस्लिम बीएलओ और सुपरवाइजरों को हटाने का आरोप लगाया है। शुक्रवार को चुनाव आयोग और यूपी के मुख्य निर्वाचन अधिकारी को इस बारे में शिकायत भेजते हुए मुरादाबाद की कुंदरकी विधानसभा सीट पर हटाए गए सुपरवाइजरों की सूची भी सौंपी है।

Yogesh Yadav लाइव हिन्दुस्तानFri, 16 Aug 2024 01:35 PM
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यूपी में 2027 में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले हो रहे उपचुनाव को लेकर समजवादी पार्टी और भाजपा के बीच रस्साकसी बढ़ गई है। भले ही उपचुनावों का अभी ऐलान नहीं हुआ है लेकिन इसे लेकर आरोप प्रत्यारोप का दौर तेज हो गया है। समाजवादी पार्टी ने भाजपा पर बड़ा आरोप लगाया है। सपा ने उपचुनाव वाले इलाकों में यादव और मुस्लिम बीएलओ और सुपरवाइजरों को हटाने का आरोप लगाया है। शुक्रवार को चुनाव आयोग और यूपी के मुख्य निर्वाचन अधिकारी को इस बारे में शिकायत भेजते हुए मुरादाबाद की कुंदरकी विधानसभा सीट पर हटाए गए सुपरवाइजरों की सूची भी सौंपी है। इससे पहले अखिलेश यादव खुद यादव और मुसलिम कर्मचारियों को चुनाव ड्यूटी से हटाने का आरोप लगा चुके हैं। अयोध्या के सांसद ने तो मतदाता सूची से यादव और मुसलिम वोटरों का नाम काटने का आरोप लगाते हुए 2022 की सूची से उपचुनाव कराने की मांग की है।

समाजवादी पार्टी के मुख्य प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी के अनुसार समाजवादी अध्यक्ष अखिलेश यादव के निर्देश पर प्रदेश अध्यक्ष श्याम लाल पाल ने मुख्य निर्वाचन अधिकारी के नाम ज्ञापन में मुरादाबाद में उपचुनाव वाले क्षेत्र कुन्दरकी विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र में यादव और मुस्लिम बीएलओ और सुपरवाईजर को हटाकर उनके स्थान पर गैर यादव व गैर मुस्लिम बीएलओ और सुपरवाईजर नियुक्त किये जाने की शिकायत की है। साथ ही कहा है कि इसकी जांच करवाकर जिम्मेदार अधिकारियों, कर्मचारियों के खिलाफ कठोर और दण्डात्मक की मांग की है।

इन सुपरवाइजरों का दिया नाम

सपा ने अपनी शिकायत में 12 सुपरवाइजरों का नाम भी दिया है। यह भी बताया गया है कि किन्हें हटाया गया और उनकी जगह किसकी तैनाती की गई है। यह भी कहा कि यह मात्र उदाहरण है। पूरे विधानसभा क्षेत्र में इससे ज्यादा बदलाव किया गया है। चुनाव से पहले जाति और धर्म के आधार पर बीएलओ और सुपरवाइजर का बदला जाना अलोकतांत्रिक और असंवैधानिक होने के साथ ही निष्पक्ष चुनाव पर भी प्रश्नचिह्न लगाता है। प्रदेश अध्यक्ष ने जो सूची निर्वाचन आयोग को दी है उसके अनुसार भाग संख्या 1 में तैनात सुपरवाइजर फिरोज हैदर की जगह सुंदर लाल वर्मा, भाग संख्या तीन में यामिनी की जगह रितु अग्रवाल, भाग संख्या चार में महजबी की जगह शशि चौधरी, भाग संख्या छह में निजामुद्दीन की जगह महिपाल सिंह, भाग संख्या सात में सेहला आरिफ की जगह मनीषा अग्रवाल, भाग संख्या 10 में हबीबुल्ला की जगह अनीता माथुर को तैनात किया गया है।

इसी तरह भाग संख्या 11 में मंजूरानी की जगह कल्पना कुसुम, भाग संख्या 12 में शाईस्ता जमाल की जगह कंचन रावत, भाग संख्या 15 में फरीदा याशमीन की जगह निधि अग्रवाल, भाग संख्या 19 में अब्नेहसन की जगह नेहा, भाग संख्या 20 में सवाहत नफीस की जगह रश्मि रानी और भाग संख्या 21 में रिजवान हुसैन की जगह देवेंद्र कुमार को सुपरवाईजर के पद पर तैनात किया गया है।

इससे पहले अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर लिखा था कि जब उपचुनावों में भी भाजपा को हराने के लिए जनता फ़ील्ड में उतर चुकी है तो भाजपा कुछ अधिकारियों को हटाने का कितना भी शासकीय-प्रशासकीय नाटक कर ले, कोई उनको पराजय से रोक नहीं सकता। देखना ये भी है कि इनकी जगह जो अफसर आएंगे, उनकी निष्पक्षता पर मोहर कौन लगाएगा।

उन्होंने लिखा कि कुछ विशेष अधिकारियों को चुनावी ज़िम्मेदारी से हटाने की बात कहकर, भाजपाइयों ने ये बात स्वीकार कर ली है कि उनकी सरकार में शायद कुछ चुनावी घपले अधिकारियों के स्तर पर होते हैं। ये भाजपा की अपनी सरकार के साथ-ही-साथ चुनाव आयोग के ऊपर भी… चुनाव आयोग स्वत: संज्ञान ले।

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