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बोले रामपुर : प्रोन्नति न प्रोत्साहन, उपेक्षा से आहत है गुरुजनों का मन

Rampur News - राजकीय शिक्षक कई समस्याओं का सामना कर रहे हैं, जिसमें पदोन्नति की कमी और संसाधनों की कमी शामिल है। शिक्षकों का कहना है कि उन्हें लंबे समय से प्रमोशन नहीं मिला है और उनकी कार्यप्रणाली में बाधाएँ आ रही...

Newswrap हिन्दुस्तान, रामपुरThu, 13 March 2025 12:46 AM
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बोले रामपुर : प्रोन्नति न प्रोत्साहन, उपेक्षा से आहत है गुरुजनों का मन

राजकीय शिक्षक इस समय कई दिक्कतों से गुजर रहे हैं। लंबे समय से पदोन्नति की आस में बैठे इन शिक्षकों पर काम का दबाव बढ़ता ही जा रहा है। इन्हें शिक्षण कार्य के साथ कॉलेज से संबंधित काम भी निपटाने पड़ रहे हैं। इन कॉलेजों में लंबे समय से कर्मचारियों का टोटा है, इसके लिए कई बार मांग उठाई जा चुकी है लेकिन, इसकी अनदेखी कर दी गई। इस समय राजकीय शिक्षकों की समस्याएं इतनी हैं कि वे गिनाई नहीं जा सकती हैं। जिले में शिक्षकों, प्रधानाचार्य, प्रभारी, प्रधानाचार्यों-प्रधाध्यापकों की अलग-अलग समस्याएं हैं। किसी के पास स्टाफ नहीं हैं तो किसी के पास संसाधन। एडेड स्कूलों में कार्यवाहक प्रधानाचार्य भी प्रधानाचार्य का वेतनमान पाते हैं, लेकिन राजकीय विद्यालयों में ऐसा नहीं है। शिक्षकों ने हिन्दुस्तान के साथ अपनी समस्याएं साझा कीं।

जिले में कुल 42 राजकीय हाईस्कूल और इंटर कॉलेजों में शिक्षा दे रहे प्रधानाचार्यों और शिक्षकों की स्थिति कुछ जुदा ही है। इन लोगों ने अपनी अनगिनत समस्याओं को कई बार उठाया लेकिन निराशा ही हाथ में आई। ये शिक्षक वर्षों से चुपचाप पढ़ा तो रहे हैं, लेकिन उनके अंदर की टीस यही है कि उनके बारे में कभी सोचा ही नहीं गया। कभी शान माने जाने वाले ये राजकीय कॉलेज आज उपेक्षित हो रहे हैं और यहां पढ़ाने वाले शिक्षक भी। इन जगहों पर संसाधनों के साथ कर्मचारियों का भी टोटा है। लंबे समय से राजकीय कॉलेजों में शिक्षकों और कर्मचारियों की नियुक्ति नहीं होना भी एक बड़ा मामला है। इसके अलावा सबसे बड़ी समस्या यह सामने आई कि राजकीय शिक्षकों को लंबे समय से प्रमोशन ही नहीं दिया गया। इसके अलावा बहुत से ऐसे शिक्षक हैं, जिनकी सेवा को काफी वर्ष हो गए और स्थायीकरण ही नहीं किया गया। प्रोबेशन जो एक साल के अंदर ही खत्म होना जाना चाहिए था, वो विभागीय अनदेखी के कारण खत्म ही नहीं हो सका। आज की स्थिति यह है कि राजकीय कॉलेजों में शिक्षकों की कमी के साथ ही कर्मचारियों का भी टोटा है। सरकार ने ध्यान नहीं दिया तो पुराने राजकीय विद्यालयों की स्थिति खराब होते ही चली गई। नए राजकीय विद्यालयों को छोड़ दें तो किसी भी विद्यालय का भवन बेहतर नहीं दिख रहा है। साथ ही शिक्षक और प्रभारी प्रधानाचार्य पदोन्नति की आस में बैठे तो हैं ही। उनका मानना है कि एडेड के शिक्षकों व प्रधानाचार्यों की तरह उनका ध्यान नहीं रखा जा रहा है।

कई कामों में उलझे हैं शिक्षक: राजकीय विद्यालय के शिक्षकों से तरह-तरह के काम भी लिए जा रहे हैं। उनका मानना है कि सभी को यह लगता है कि राजकीय शिक्षकों के पास काम ही नहीं हैं। स्टॉफ हो या सुविधाएं, राजकीय कॉलेजों के नसीब में नहीं है। अब तो राजकीय शिक्षकों की ड्यूटी भी बंडल वाहक में लगा दी गई है, जिसके कारण उन्हें काफी दिक्कतें हो रहीं हैं। साथ ही कई शिक्षकों को डीआईओएस ऑफिस से संबद्ध करने के साथ ही अलग-अलग कार्यक्रमों में उनकी ड्यूटी भी लगा दी जाती है।

शिक्षकों को मिले नियमित पदोन्नति

शहर में स्थित हामिद इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉ. अरविंद कुमार गौतम ने कहा कि राजकीय माध्यमिक विद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों को पदोन्नति नियमित नहीं दी जा रही, जिससे उन्हें पदलाभ नहीं मिल रहा। पदोन्नति में विलंब होने के कारण उनमें नाराजगी भी है। राजकीय शिक्षक संघ इसको लेकर कई बार मांग तो कर चुका है पर उसकी सुनने वाला कोई नहीं है। सहायक अध्यापक से प्रवक्ता, प्रवक्ता से अधीनस्थ राजपत्रित पदों पर प्रतिवर्ष पदोन्नति की मांग कई बार हो चुकी है, लेकिन ये फाइलें भी थोड़ा भी नहीं खिसक पा रहीं हैं। अगर समय से पदोन्नति मिले तो राजकीय प्रवक्ता एक दिन संयुक्त शिक्षा निदेशक के पद तक पदोन्नति पा सकता है। कारण जो भी हो पर सच यही है कि उम्मीद की कोई किरण न दिखने के कारण सभी शिक्षक हतोत्साहित हो चुके हैं। बताया कि जिले के कुल 42 राजकीय हाईस्कूल व इंटर कॉलेजों में मात्र 6 विद्यालयों में ही प्रधानाचार्य व प्रधानाध्यापक हैं। बाकी हर जगह प्रभारी प्रधानाचार्य के रूप में वरिष्ठ प्रवक्ता व सहायक अध्यापक ही कार्यभार देख रहे हैं।

राजकीय के प्रधानाचार्यों का वेतन एडेड के प्रधानाचार्यों से काफी कम

राजकीय कॉलेजों में प्रधानाचार्य वरिष्ठ प्रवक्ता हो या पीईएस, सभी को एक ही ग्रेड पे मिल रहा है, जबकि एडेड में समय से पदोन्नति हो रही है, क्योंकि मैनेजमेंट पदोन्नति करता है, जिसमें डीआईओएस का अनुमोदन होना जरूरी है। राजकीय इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्य वर्तमान में 5400 ग्रेड पे पर काम कर रहे हैं। वहीं एडेड विद्यालयों के प्रधानाचार्यों को 7600 ग्रेड पे दिया जा रहा है। इस भारी अंतर को लेकर भी राजकीय के प्रधानाचार्यों में निराशा है।

शासन स्तर पर प्रकिया लंबित होने से शिक्षकों में नाराजगी

राजकीय माध्यमिक विद्यालयों में कई वर्षों से शिक्षकों की पदोन्नति न होने से विद्यालय प्रधानाचार्य विहीन हो गए हैं। वरिष्ठतम शिक्षक के साथ-साथ प्रभारी प्रधानाचार्य के दायित्वों का भी निर्वहन कर रहे हैं। शिक्षकों ने बताया कि तीन बार सीआर भरने के बाद भी उनका प्रमोशन नहीं हुआ, जबकि उनके बाद के शिक्षकों का प्रमोशन हो चुका है। प्रकिया शासन स्तर पर लंबित होने के कारण शिक्षकों के स्थानांतरण नहीं हो पा रहे हैं जिससे शिक्षकों में भारी रोष व्याप्त है।

सुझाव एवं शिकायतें

1. लंबे समय से कार्यरत प्रभारी प्रधानाचार्यों को पदोन्नति दी जाए। साथ ही अन्य सुविधाएं भी दी जाए।

2. इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्यों का ग्रेड पे एडेड विद्यालयों के प्रधानाचार्यों के बराबर ही होना चाहिए।

3. राजकीय कॉलेजों में सुविधाएं दी जाएं, जिससे विद्यालयों के संचालन में कोई दिक्कत न हो।

4. राजकीय शिक्षकों को पिछले आठ वर्षों से पदोन्नति नहीं दी गई, इसका लाभ दिया जाना चाहिए।

1. शासन से शिक्षकों को पदोन्नति मिलती है, लंबे समय से उन्हें इसका नहीं मिल पा रहा है।

2. बंडल वाहक में राजकीय शिक्षकों की ड्यूटी लगाई जाती है, एडेड के शिक्षक इससे मुक्त हैं।

3. राजकीय शिक्षकों का जल्द प्रमोशन नहीं होता और लंबे समय से उन्हें प्रमोशन भी नहीं मिला।

4. राजकीय के कई शिक्षक व प्रधानाचार्यों का प्रोबेशन खत्म हो गया, लेकिन, स्थायीकरण नहीं हो सका।

बोले प्रधानाचार्य व शिक्षक

कई साल से शिक्षकों को एक ही पद पर सेवा देते हुए काफी से बीत गया। उनकी वरिष्ठता सूची निर्धारित नहीं की जा रही है, जिससे पदोन्नति का लाभ उन्हें नहीं मिल पा रहा है। -सुधीर कुमार यादव, शिक्षक

राजकीय माध्यमिक विद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों को पदोन्नति नियमित नहीं दी जा रही, जिससे उन्हें पदलाभ नहीं मिल रहा है। इसके लिए सरकार की ओर जल्दी नीति बनाई जाए। -डॉ. एके गौतम, प्राधानाचार्य

राजकीय कॉलेजों में हर तरह की सुविधाएं दी जाएं। जिम्मेदारों के ध्यान न देने के कारण आज राजकीय कॉलेजों की स्थिति बदहाल हो चुकी है।

- मीना खातून, शिक्षिका

राजकीय प्रवक्ता पुरुष की वरिष्ठता सूची ही 10 वर्षों से नहीं बनी है। ये सूची बननी चाहिए और शिक्षकों को पदोन्नति का लाभ मिलना चाहिए।

-रचना चतुर्वेदी, शिक्षिका

राजकीय प्रवक्ता पुरुष की वरिष्ठता सूची ही 10 वर्षों से नहीं बनी है। ये सूची बननी चाहिए और शिक्षकों को पदोन्नति का लाभ मिलना चाहिए।

-रचना चतुर्वेदी, शिक्षिका

प्रभारी प्रधानाचार्य को प्रधानाचार्य के बराबर ग्रेड नहीं दिया जा रहा है। काम उनसे लिया जा रहा है तो सुविधाएं भी उन्हें मिलनी चाहिए। इससे वे और बेहतर काम कर सकेंगे। -विनोद कुमार, शिक्षक

विद्यालयों में आवश्यक सुविधाएं दी जाएं। शिक्षक और कर्मचारी मिलें तो कार्य आसानी से चले। इसके अलावा पदोन्नति और वेतनमान को लेकर सरकार को ध्यान देना चाहिए। -बनबारी लाल, शिक्षक

विद्यालयों में शिक्षकों के साथ ही कर्मचारियों की कमी है। परीक्षा के समय काफी दिक्कतें होती हैं। इसके अलावा पदोन्नति बड़ा मामला है, लेकिन सरकार अनदेखी कर रही है।

-योगेंद्र पाल सिंह, शिक्षक

लंबे समय से पदोन्नति की सूची जारी नहीं की गई है। शिक्षक पदोन्नति की राह देख रहे हैं। ये हमारी मांग भी है और अधिकार भी। शिक्षकों की समस्याओं की अनदेखी नहीं की जानी चाहिए। -वसी अहमद, शिक्षक

लंबे समय से पदोन्नति की राह देख रहे हैं। एडेड के साथ के शिक्षक प्रवक्ता बन चुके हैं, लेकिन राजकीय शिक्षकों की ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है।

-रमेश चंद्र गंगवार, शिक्षक

राजकीय शिक्षकों की पदोन्नति न होना एक बड़ी समस्या है। इसके अलावा शिक्षकों की ट्रांसफर प्रक्रिया भी जटिल कर दी गई है। लंबे समय से शिक्षक ट्रांसफर की मांग कर रहे हैं। -लालता प्रसाद गंगवार, शिक्षक

लंबे समय से वे इस इंतजार में हैं। साथ ही शिक्षकों के स्थानांतरण नीति में संशोधन की आवश्यकता है। सरकार को इस बारे में विचार तो करना ही चाहिए।

-राजकुमार, शिक्षक

विद्यालय के कार्यों को शिक्षकों को ही निपटाना पड़ता है, इस कारण काफी परेशानी होती है। कर्मचारियों के साथ ही शिक्षकों की तैनाती होनी चाहिए।

-ओमप्रकाश सिंह सैनी, शिक्षक

राजकीय शिक्षकों को लंबे समय से प्रमोशन नहीं मिला है। उनके लिए यह ठीक नहीं है। उन्हें जल्द ही प्रमोशन दिया जाना चाहिए। इससे वे खुद को सम्मानित महसूस करेंगे। -विनय कुमार, शिक्षक

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