संसाधन-स्टाफ कम, कैसे लडेंगे डेंगू से जंग
Rampur News - हर साल डेंगू की समस्या बढ़ती जा रही है, लेकिन मलेरिया विभाग संसाधनों और कर्मचारियों की कमी से जूझ रहा है। फागिंग मशीनें धूल फांक रही हैं और डेंगू की कोई वैक्सीन नहीं है। अगले महीने मानसून आने पर डेंगू...

हर साल भले ही डेंगू का डंक लोगों को परेशान करता रहा हो, लेकिन हर बार मलेरिया विभाग नाकाम साबित हुआ। विभाग के पास स्टाफ और संसाधनों की कमी है। ऐसे में इस बार भी अगर डेंगू का प्रकोप बढ़ जाता है तो इसकी रोकथाम करना मुश्किल हो सकता है। वर्ष 1956 में मलेरिया रोधी अभियान की शुरुआत की गई थी। उस समय मलेरिया विभाग की शुरुआत करते हुए एक मलेरिया अधिकारी, दो सहायक मलेरिया अधिकारी, छह इंस्पेक्टर, तीन पर्यवेक्षक, 13 फील्ड वर्कर की तैनाती की गई थी। अब 13 में सिर्फ चार फील्ड वर्कर रह गए हैं। जो घरों में जाकर मलेरिया और डेंगू बीमारी से बचाव का काम करते हुए नजर आते हैं।
मलेरिया और फाइलेरिया विभाग में 60 चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के पद स्वीकृत हैं। इनमें वर्तमान में केवल 38 कर्मचारियों की ही तैनाती है। कर्मचारियों की कमी से मलेरिया और डेंगू रोधी अभियान में व्यवधान उत्पन्न पैदा होता है। बीमारी के समय में नियमित रूप से गतिविधियां पूरी नहीं हो पाती हैं। इससे काफी परेशानी होती हैं। अगले महीने मानसून सक्रिय हो जाएगा। ऐसी स्थिति में डेंगू और मलेरिया पर रोकथाम कर पाना मलेरिया विभाग के लिए चुनौती साबित होगा। वर्ष 2024 में डेंगू के मरीजों के आंकड़ों पर नजर डाली जाए तो 53 के करीब मरीज थे। 2023 में रिकार्ड डेंगू के 1152 मरीज सामने आए थे। अगर इस बार डेंगू का प्रकोप बढ़ा तो संसाधनों की कमी से रोकथाम करना मुश्किल हो सकता है। मलेरिया विभाग के सारे अभियान कागजों पर चल रहे हैं। मलेरिया विभाग के पास में हैं दो फागिंग मशीनें डेंगू और मलेरिया से निपटने के लिए मलेरिया विभाग के पास में दो फागिंग मशीनें हैं मगर यह मशीनें कागजों में ही चल रही हैं। असल में मशीनें धूल फांक रही हैं। केवल कागजों में मशीनों को सक्रिय कर अभियान और एक्टविटी में भारी भरकम बजट निकाल लिया जाता है। फागिंग मशीनों के जरिए मच्छरों को मारने का काम किया जाता है। मशीन को चलाने के लिए इस्तेमाल होने वाले केमिकल की कमी भी हर साल बनी रहती है। सोर्स रिडक्शन गतिविधियां की जाएंगी प्रभावी सीएमओ डा. एसपी सिंह ने सोर्स रिडक्शन गतिविधियों को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए संबंधित विभागों के सहयोग से संयुक्त रूप से अभियान चलाने को कहा है। उन्होंने सभी सीएचसी अधीक्षकों को डेंगू और चिकनगुनिया के रोगियों के उपचार के लिए औषधियां की उपलब्धता सुनिश्चित करने, प्रत्येक ब्लाक पर मच्छरदानी युक्त बेड की उपलब्धता सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं। डेंगू की नहीं कोई वैक्सीन, सहभागिता ही बचाव सीएमओ ने बताया कि डेंगू की कोई वैक्सीन नहीं है। सामुदायिक सहभागिता से ही बचा जा सकता है। समुदाय को इससे बचाव के लिए स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं की जानकारी का पालन करना है। सोते समय मच्छर दानी या मच्छररोधी क्रीम का उपयोग करें, घर की खिड़की दरवाजों पर जाली लगवाएं, घरों और आफिस में हर रविवार मच्छरों पर वार के तहत कूलर और जलभराव वाले स्थानों की सफाई करें। मलेरिया विभाग में कार्यरत कर्मचारियों पर एक नजर पद कार्यरत रिक्त जिला मलेरिया अधिकारी 01 00 सहायक मलेरिया अधिकारी 02 00 मलेरिया निरीक्षक 03 02 फील्ड वर्कर 04 09 चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी 38 22 बयान:- डेंगू और मलेरिया की रोकथाम के लिए हर साल काम किया जाता है। सोर्स डिडक्शन गतिविधियों से बीमारियों पर काबू पाया जाता है। कर्मचारियों की कमी है। इसको शासन स्तर से पूरा किया जा सकता है। स्थानीय स्तर पर हमारे पास जो संसाधन हैं, उनसे काम हो रहा है। -डा. संजय सिंह चौहान, जिला मलेरिया अधिकारी।
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