Hindi Newsउत्तर प्रदेश न्यूज़Ram Mandir has given Rs 400 crore tax to the government in the last five years

राम मंदिर ने दिया पिछले 5 सालों का लेखा-जोखा, 2020 से लेकर अब तक सरकार को दिए 400 करोड़ रुपये टैक्स

श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने रविवार को राम मंदिर से जुड़े वित्तीय विवरण साझा किए। उन्होंने बताया कि धार्मिक पर्यटन में वृद्धि के बीच, ट्रस्ट ने बीते पांच वर्षों में सरकार को लगभग 400 करोड़ रुपये का कर भुगतान किया है।

Pawan Kumar Sharma भाषा, अयोध्याSun, 16 March 2025 10:54 PM
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राम मंदिर ने दिया पिछले 5 सालों का लेखा-जोखा, 2020 से लेकर अब तक सरकार को दिए 400 करोड़ रुपये टैक्स

श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सचिव चंपत राय ने रविवार को राम मंदिर का लेखा-जोखा दिया। उन्होंने बताया कि ट्रस्ट ने धार्मिक पर्यटन में उछाल के बीच पिछले पांच सालों में सरकार को लगभग 400 करोड़ रुपये का टैक्स चुकाया है। यह राशि पांच फरवरी, 2020 से पांच फरवरी, 2025 के बीच चुकाई गई।

चंपत राय ने कहा कि इसमें से 270 करोड़ रुपये माल और सेवा कर (जीएसटी) के रूप में भुगतान किए गए, जबकि शेष 130 करोड़ रुपये अन्य विभिन्न कर श्रेणियों के तहत भुगतान किए गए। उन्होंने कहा कि अयोध्या में श्रद्धालुओं और पर्यटकों की संख्या में 10 गुना वृद्धि हुई है, जिससे यह एक प्रमुख धार्मिक पर्यटन केंद्र बन गया है और स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के अवसर पैदा हुए हैं। ट्रस्ट के मुताबिक महाकुंभ के दौरान 1.26 करोड़ श्रद्धालु अयोध्या आए थे। चंपत राय ने बताया कि कि ट्रस्ट के वित्तीय रिकार्ड का नियमित रूप से नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) के अधिकारियों द्वारा ऑडिट किया जाता है।

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श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के महासचिव चंपत राय ने बताया कि 5 फरवरी 2020 से 28 फरवरी 2025 तक राम मंदिर निर्माण और अन्य मदों में कुल 2150 करोड़ रुपये खर्च किए गए। इसमें केंद्र और विभिन्न राज्यों को करों के रूप में 396 करोड़ रुपये अदा किए गए, जो कुल खर्च का 18 प्रतिशत है। उन्होंने बताया कि जीएसटी के तहत 272 करोड़ रुपये, टीडीएस मद में 39 करोड़ रुपये, लेबर सेंसस पर 14 करोड़ रुपये, पीएफ और ईएसआई सहित अन्य मदों में 7.04 करोड़ रुपये खर्च किए गए। बीमा पॉलिसी पर 4 करोड़ रुपये, श्रीराम जन्मभूमि के नक्शे के लिए अयोध्या विकास प्राधिकरण को 5 करोड़ रुपये, और भूमि खरीदारी के लिए स्टांप शुल्क व पंजीकरण शुल्क के रूप में 29 करोड़ रुपये अदा किए गए।

इसके अलावा, बिजली बिल पर 10 करोड़ रुपये और पत्थरों की खरीद के लिए कर्नाटक, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश सहित अन्य राज्यों को रॉयल्टी के रूप में लगभग 15 करोड़ रुपये चुकाए गए। हालांकि, नगर निगम को वाटर टैक्स के रूप में कोई भुगतान नहीं किया गया है।

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