सनातन धर्म की रक्षा जरूरी, भारत को दबाने के हो रहे प्रयास, चित्रकूट में बोले मोहन भागवत
- राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा, सनातन धर्म की रक्षा करना जरूरी है। उन्होंने कहा कि भारत के सामने मौजूद चुनौतियों के बीच कुछ ताकतें देश को कमजोर करने की कोशिश कर रही हैं।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा, सनातन धर्म की रक्षा करना जरूरी है। उन्होंने कहा कि भारत के सामने मौजूद चुनौतियों के बीच कुछ ताकतें देश को कमजोर करने की कोशिश कर रही हैं। भागवत ने कहा, सदियों से हमारी संस्कृति की संरचना को कम नहीं किया जा सकता क्योंकि इसे हमेशा महान संतों ने बनाए रखा, जिन्होंने न केवल इसकी रक्षा की, बल्कि इसका प्रचार भी किया। हमारी संस्कृति हमें त्याग सिखाती है। हमारे देश और 'हिंदू धर्म' ने हमें यह संस्कृति सिखाई है और इसे सभी तक पहुंचाना हमारा कर्तव्य है। आज पूरी दुनिया भारत से आशा कर रही है, लेकिन स्वार्थवश भारत को दबाने के प्रयास भी हो रहे हैं। यह सत्य को दबाने के प्रयास हैं। सत्य कभी दबता नहीं है। वह तो समय आने पर सिर पर चढ़कर बोलता है। संघ प्रमुख मोहन भागवत ने बुधवार को चित्रकूट में आयोजित पं. रामकिंकर जन्मशती समारोह में यह बात कही।
संतों की रक्षा के लिए संघ उठाता है शस्त्र
श्री श्रीधर धाम दास हनुमान देवस्थान आश्रम में आयोजित कार्यक्रम में पहुंचे संघ प्रमुख ने कहा कि संतों की रक्षा के लिए संघ के लोगों को शस्त्र उठाना पड़ता है। उन्होंने कहा कि ऋषि और मुनियों के कठोर परिश्रम से भारत राष्ट्र की नींव रखी गई है। अलग-अलग रंग रूप होते हुए भी हम सब मूल रूप से एक हैं। भारत विश्व में सबसे सुरक्षित और समृद्ध राष्ट्र है, जहां जीवन जीने के लिए संघर्ष की आवश्यकता नहीं है। सभी को जोड़कर उन्नति करना हमारे देश का धर्म है और इसी धर्म पर पूरी सृष्टि चल रही है। जानकारी से नहीं, आचरण से धर्म की प्राप्ति होती है। भगवान राम ने धर्म को जीकर दिखाया।
संघ और संतों के कार्यक्षेत्र अलग-अलग
भागवत ने श्री रामकिंकर महाराज का स्मरण करते हुए कहा कि उनकी राम कथा में सिर्फ राम कथा होती थी, उनका चित्त प्रभु में पूर्ण विलीन था, इसलिए उनकी कथा पुरुषार्थ और कुशलता की न होकर कृपा स्वरूप थी और यही हमारे राष्ट्र का आधार है। उन्होंने कहा कि संघ और संतों के कार्यक्षेत्र अलग हैं। जब अंदर संत सनातन धर्म की कथा कह रहे होते हैं, तब संघ के लोग कथा में बाधा न पहुंचे, इसलिए डंडा लेकर बाहर बैठते हैं। उन्होंने कहा कि अंदर क्या चल रहा है, भले ही हमें इसका ज्ञान न हो, पर हमारा ज्ञान इतना तो है कि अंदर जो भी चल रहा है, सबसे महत्वपूर्ण चल रहा है। जीवन को कुंदन करने के लिए श्री रामकिंकर जैसे महान संतों को श्रवण करने की आवश्यकता है। संघ प्रमुख ने कहा कि दुनिया कैसी है, यह महाभारत दिखाता है। रहना कैसे है, यह रामायण सिखाती है। धर्म का तत्व गूढ़ है, आचरण धर्म संपन्न होने पर जीवन में परिवर्तन दुनिया को उदाहरण बनता है।
मन की अयोध्या बनाना आवश्यक
संघ प्रमुख ने यह भी कहा कि भगवान की इच्छा है इसलिए सनातन धर्म का उत्थान होगा। संतों और भक्तों के पुरुषार्थ और प्रभु की इच्छा से मंदिर का निर्माण हुआ है, उन्होंने कहा कि पुरुषार्थी लोगों को कभी-कभी शस्त्र उठाना पड़ता है जब पूरा समाज तैयार होता है तब भगवान की कृपा रूपी उंगली उठती है, विश्व में कोई युद्ध न हो इसलिए मन की अयोध्या बनाना आवश्यक है।