62 हजार शिक्षकों की सेवा सुरक्षा बहाल करने को मांगा प्रस्ताव, निलंबन-बर्खास्तगी के मामले बढ़े
यूपी में शासन ने माध्यमिक शिक्षा निदेशक से 62 हजार शिक्षकों की सेवा सुरक्षा बहाल करने को प्रस्ताव मांगा है। दरअसल, नया आयोग बनने के साथ ही चयन बोर्ड का उसमें विलय हो गया है और उसमें सेवा सुरक्षा का प्रावधान नहीं होने प्रबंधकों की मनमानी बढ़ गई है।
उत्तर प्रदेश के 4512 सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों के तकरीबन 62 हजार प्रधानाचार्यों एवं शिक्षकों की सेवा सुरक्षा बहाल करने के लिए शासन ने माध्यमिक शिक्षा निदेशक से प्रस्ताव मांगा है। इन स्कूलों के प्रधानाचार्यों एवं शिक्षकों का चयन पहले उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड से होता था लेकिन नियोक्ता प्रबंधक होते हैं। चयन बोर्ड अधिनियम-1982 की धारा-21 में यह प्रावधान था कि प्रधानाचार्य या शिक्षक पर कोई कार्रवाई करने से पहले प्रबंधक चयन बोर्ड से अनुमोदन लेते थे लेकिन 21 अगस्त 2023 को विधानसभा से पारित उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग विधेयक में यह व्यवस्था नहीं है।
चूंकि नया आयोग बनने के साथ ही चयन बोर्ड का उसमें विलय हो गया है और उसमें सेवा सुरक्षा का प्रावधान नहीं होने प्रबंधकों की मनमानी बढ़ गई है। प्रदेशभर में शिक्षकों को मनमाने तरीके से निलंबित और बर्खास्त किया जा रहा है। इसके खिलाफ शिक्षक संगठन आंदोलन कर रहे थे। माध्यमिक शिक्षा राज्य मंत्री गुलाब देवी की ओर से 21 नवंबर को एमएलसी ध्रुव कुमार त्रिपाठी को भेजे पत्र में लिखा है कि इस संबंध में विनियम संशोधन की प्रक्रिया पर विचार-विमर्श किया गया है। शिक्षा निदेशक से इस संबंध में एक समेकित प्रस्ताव मांगा गया है ताकि संशोधन की पूरी कार्यवाही एक साथ की जा सके।
इनका कहना है
प्रदेश अध्यक्ष माध्यमिक शिक्षक संघ व पूर्व एमएलसी सुरेश कुमार त्रिपाठी ने कहा कि लंबे संघर्ष के बाद चयन बोर्ड की नियमावली बनी थी। जिसमें बिना पूर्वानुमोदन प्रबंधक की कार्रवाई शून्य मानी जाती थी। अब मनमाने तरीके से शिक्षकों पर कार्रवाई हो रही है। यदि शिक्षकों की सेवा सुरक्षा बहाल नहीं की गई तो संघर्ष के अलावा कोई रास्ता नहीं बचेगा।