मातृभाषा से प्रेम करें पर दूसरों से दुराग्रह नहीं : जस्टिस कृष्ण पहल
प्रयागराज में इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति कृष्ण पहल ने अधिवक्ता परिषद के स्थापना दिवस पर कहा कि मातृभाषा के प्रति प्रेम आवश्यक है, लेकिन अन्य भाषाओं के प्रति पूर्वाग्रह नहीं होना चाहिए। उन्होंने...
प्रयागराज, विधि संवाददाता। इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति कृष्ण पहल का कहना है कि हम सभी को अपनी मातृभाषा से प्रेम करना चाहिए लेकिन अन्य भाषा के प्रति दुराग्रह भी नहीं होना चाहिए। न्यायमूर्ति कृष्ण पहल बुधवार को अधिवक्ता परिषद काशी की उच्च न्यायालय इकाई की ओर से हाईकोर्ट बार के लाइब्रेरी हाल में आयोजित अखिल भारतीय अधिवक्ता परिषद के स्थापना दिवस कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने अधिवक्ताओं का आह्वान करते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश के किसी भी न्यायालय में हिंदी में वाद पत्र तैयार करने एवं अपना पक्ष न्यायालय के समक्ष रखने में कोई विधिक बाधा नहीं है। हमें प्रयास करना चाहिए कि हम अपनी मातृभाषा का अधिक से अधिक प्रयोग करें एवं न्यायालय में भी अपनी बात को भी मातृभाषा में रखें। अधिवक्ता परिषद के समाज में महत्व को रेखांकित करते हुए मुख्य अतिथि ने कहा कि अधिवक्ता परिषद युवा अधिवक्ताओं के प्रशिक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकता है।
विशिष्ट अतिथि अपर महाधिवक्ता महेश चंद्र चतुर्वेदी ने अधिवक्ता परिषद को निरंतर ऐसे आयोजन करने का सुझाव दिया। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे हाईकोर्ट बार के पूर्व अध्यक्ष राधाकांत ओझा ने की। प्रारंभ में अतिथियों ने दीप जलाकर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। सौमित्र द्विवेदी ने विषय की प्रस्तावना रखी। संचालन अभिनव गौर ने किया। कार्यक्रम में मुख्य स्थायी अधिवक्ता द्वितीय डॉ राजेश्वर त्रिपाठी, अधिवक्ता परिषद काशी के महामंत्री नीरज सिंह, उपाध्यक्ष नरेश चंद्र त्रिपाठी वरुण सिंह, विजय प्रकाश मिश्र, प्रियंका शर्मा, सुचिता त्रिपाठी, वत्सला उपाध्याय, प्रभूति कांत त्रिपाठी, विनायक रंजन पांडेय, नागेंद्र पांडेय, संदीप सिंह, रित्विक शाह आदि उपस्थित रहे।
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