कांस्टेबल भर्ती में अधिक अभ्यर्थी बुलाने के मामले में जानकारी मांगी
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नागरिक पुलिस और पीएसी कांस्टेबल भर्ती में महिला वर्ग में पदों के सापेक्ष ढाई गुना से अधिक अभ्यर्थी बुलाने और वैध जाति प्रमाणपत्र के बगैर ओबीसी कोटे के चयन करने के मामले में राज्य...
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नागरिक पुलिस और पीएसी कांस्टेबल भर्ती में महिला वर्ग में पदों के सापेक्ष ढाई गुना से अधिक अभ्यर्थी बुलाने और वैध जाति प्रमाणपत्र के बगैर ओबीसी कोटे के चयन करने के मामले में राज्य सरकार और पुलिस भर्ती बोर्ड से जानकारी मांगी है।
यह आदेश न्यायमूर्ति अजय भनोट ने रुचि यादव व अन्य की याचिका पर अधिवक्ता सीमांत सिंह को सुनकर दिया है। याचिका दाखिल करने वाले ओबीसी अभ्यिर्थियों का कहना है कि वे सभी चरणों में सफल हुए लेकिन उनका चयन नहीं हुआ। मामले के तथ्यों के अनुसार 2018 की इस भर्ती में महिला वर्ग में 31360 पदों पर चयन होना था। याचियों ने ओबीसी कोटे के तहत आवेदन किया और लिखित परीक्षा, दस्तावेज सत्यापन आदि में सफल हुईं। ओबीसी कोटे की कट ऑफ मेरिट 182.3272 थी। उसमें भी याची सफल हुईं। अंतिम चरण में शारीरिक दक्षता परीक्षा होनी थी। पुलिस भर्ती बोर्ड ने विज्ञापन की शर्त के अनुसार पहले कुल पदों के सापेक्ष ढाई गुना अभ्यर्थियों को मेरिट के हिसाब से चयन के लिए बुुलाया था। दिसंबर 2019 से जनवरी 2020 के बीच शारीरिक दक्षता परीक्षा के बाद आठ जनवरी 2020 को बोर्ड ने विज्ञप्ति जारी की कि योग्य महिला अभ्यर्थियों के न मिलने के कारण अतिरिक्त अभ्यर्थियों को बुलाया जा रहा है। इसके बाद कट ऑफ मेरिट 167.3889 कर दी गई। दो मार्च 2020 को अंतिम चयन परिणाम जारी हुआ जिसमें याचियों का चयन नहीं हुआ।
याचियों का कहना है कि जब वे इससे ऊपर की कट ऑफ मेरिट में चयनित थीं तो मेरिट नीचे लाने के बाद उन्हें चयन बाहर कैसे कर दिया गया। यह भी कहा गया कि चयन सूची में कई ऐसी अभ्यर्थियों को शामिल किया गया है जिनके पास अप्रैल से दिसंबर 2018 के बीच का ओबीसी जाति प्रमाणपत्र नहीं है। कोर्ट ने मामले को विचारणीय मानते हुए जानकारी मांगी है।
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