तलाक में पत्नी के मानसिक स्वास्थ्य पर विशेषज्ञ की राय गलत नहीं
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने तलाक की कार्यवाही में पत्नी के मानसिक स्वास्थ्य पर विशेषज्ञ की राय लेने के आदेश को सही माना है। न्यायालय ने कहा कि फैमिली कोर्ट ने साक्ष्य के स्तर पर चिकित्सा जांच के लिए अनुमति...
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने तलाक की कार्यवाही में साक्ष्य के स्तर पर पत्नी के मानसिक स्वास्थ्य पर विशेषज्ञ की राय लेने के प्रधान पारिवारिक न्यायाधीश हाथरस के आदेश को सही मानते हुए उसे बरकरार रखा है। न्यायमूर्ति सौमित्र दयाल सिंह एवं न्यायमूर्ति डोनाडी रमेश की खंडपीठ ने पूजा की अपील पर सुनवाई के बाद कहा कि फैमिली कोर्ट का पहले का आदेश अंतरिम आदेश था और पत्नी के मानसिक स्वास्थ्य के बारे में निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए साक्ष्य के स्तर पर मेडिकल जांच के लिए बुलाना सही था। उस हद तक फैमिली कोर्ट ने साक्ष्य के स्तर पर चिकित्सीय सलाह मांगने में कोई गलती नहीं की है। हाईकोर्ट ने कहा कि अब पक्षकारों का साक्ष्य समाप्त हो चुका है। ऐसे में पत्नी की अपील को इस निर्देश के साथ निस्तारित किया कि सीएमओ हाथरस द्वारा गठित मेडिकल बोर्ड की मेडिकल रिपोर्ट फैमिली कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत की जाएगी। पत्नी ने प्रधान पारिवारिक न्यायाधीश हाथरस के आदेश को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। प्रधान पारिवारिक न्यायाधीश ने पति की ओर से प्रस्तुत तलाक की कार्यवाही में उसकी पत्नी की चिकित्सा जांच के आवेदन की अनुमति दी गई थी। पत्नी के वकील ने चिकित्सा जांच की अनुमति फैमिली कोर्ट के आदेश को विभिन्न आधार पर चुनौती दी थी। पत्नी के खिलाफ आदेश में फैमिली कोर्ट की टिप्पणियों पर इस आशंका के साथ आपत्तियां की गईं कि वे मामले के अंतिम निस्तारण के दौरान प्रतिकूल निष्कर्ष निकाल सकते हैं।
अपील में कहा गया कि सीएमओ हाथरस को उचित मेडिकल बोर्ड का गठन करना चाहिए था। इस तर्क पर खंडपीठ ने पाया कि रिपोर्ट अलीगढ़ मुस्लिम युनिवर्सिटी से मांगी गई है, जो सरकारी सुविधा नहीं है। इस पर न्यायालय ने निर्देश दिया कि सीएमओ हाथरस द्वारा मेडिकल बोर्ड का गठन किया जाए, जिसमें योग्य न्यूरोलॉजिस्ट और मनोचिकित्सक के साथ ऐसे अन्य डॉक्टर शामिल होने चाहिए, जो जरूरी मूल्यांकन करने के लिए आवश्यक हों।
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।