बैंक की तरह शाखाएं खोलीं फिर किया बड़ा फ्रॉड, करोड़ों रुपए लेकर जालसाज हुआ फरार
- गोरखपुर और आसपास के जिलों में धड़ाधड़ शाखाएं खोली गई और एटीएम लगाने वाली संस्था से अपने से पंजीकृत दिखाते हुए उसके एटीएम बूथ को अपना बता कर लोगों में विश्वास जमाया। 5 साल में रकम दोगुना करने का झांसा देकर करोड़ों रुपये जमा कराने के बाद भुगतान से पहलेे आफिस पर ताला लगाकर जालसाज चंपत हो गए।
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गोरखपुर में चिटफंड कंपनी एलयूसीसी ने बैंक की तरह ऑफिस खोला। जिले के शाहपर क्षेत्र में खुले इस ऑफिस को मुख्य शाखा बताकर आसपास के जिलों में धड़ाधड़ शाखाएं खोली गई और एटीएम लगाने वाली संस्था अपने से पंजीकृत दिखाते हुए उसके एटीएम बूथ को अपना बता कर लोगों में विश्वास जमाया। पांच साल में रकम दोगुना करने का झांसा देकर करोड़ों रुपये जमा कराने के बाद भुगतान की बारी आई तो कंपनी के आफिस पर ताला लगाकर जालसाज चंपत हो गए।
जालसाजी का शिकार बने एजेंट सामने आए तब एसएसपी ने एसपी क्राइम को जांच सौंपी। अब तक की जांच में पता चला है कि इस कंपनी के जरिए न सिर्फ गोरखपुर बल्कि वाराणसी और बाराबंकी में भी करोड़ों की जालसाजी की गई है। अब पुलिस इस पूरे प्रकरण में केस दर्ज करने की तैयारी में है।
अभिकर्ता विद्यानंद यादव ने एसएसपी को दिए प्रार्थनापत्र में बताया है कि वर्ष 2017 में द लोनी अर्बन मल्टी स्टेट क्रेडिट एंड थिप्ट कोऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड (एलयूसीसी) का आफिस शाहपुर इलाके में खुला था। उस समय बताया गया कि संस्था भारत सरकार के कृषि मंत्रालय से रजिस्टर्ड है। इसका मुख्यालय इंदौर में और गोरखपुर में आसपास के जिलों का मुख्य ब्रांच है। तब कंपनी के एमडी द्वारा बताया गया कि कंपनी पांच वर्ष में ही रुपये को दोगुना कर देगी।
कंपनी एक वर्ष के लिए रुपये जमा करने पर 5.25 प्रतिशत और तीन वर्ष के लिए जमा करने पर 6.25 प्रतिशत से बढ़ते क्रम में ब्याज देगी। उसकी बातों में आकर गोरखपुर में 20 से अधिक एजेंट कंपनी से जुड़ गए। इन लोगों ने पहले तो अपने दस से पंद्रह लाख रुपये दोगुना करने के लिए जमा कर दिए और फिर लोगों को स्कीम बताने लगे। विश्वास दिलाने के लिए कंपनी की ओर से एटीएम लगाने वाली संस्था को अपने से पंजीकृत दिखाते हुए उस एटीएम को अपना बताया गया।
इससे लोगों को विश्वास हो गया और कंपनी में रुपये जमा करने लगे। विद्यानंद ने बताया कि मैंने जिन लोगों के रुपये जमा कराए थे, उनकी समय अवधि पूरी हुई, लेकिन रकम नहीं मिली। लोग मेच्योरिटी की रकम के लिए दबाव बनाने लगे तो अचानक एक दिन शाहपुर स्थित मुख्य शाखा में ताला लटका मिला।
29 नवंबर को बंद हो गया एप
अभिकर्ता ने बताया कि कंपनी का एप भी संचालित होता था, जिसकी मदद से रुपये जमा होते थे। एलयूसीसी नाम से संचालित एप 29 नवंबर 2024 को बंद हो गया। साइट अपडेट लिखकर आता था और फिर एरर बताता था। कंपनी से पता करने पर बताया गया कि 5 फरवरी 2025 तक अपडेट होने के बाद एप संचालित होने लगेगा, लेकिन इसके पहले ही कर्मचारी आफिस बंद कर फरार हो गए।
24 नवंबर को बाराबंकी में पकड़ा गया था गिरोह
पुलिस ने मामले में जांच शुरू की तो पता चला कि कंपनी ने बाराबंकी में भी जालसाजी की है। 24 नवंबर 2024 को कंपनी के पांच लोगों को गिरफ्तार किया गया था। जबकि कथित एमडी फरार है। वहां पर 75 करोड़ रुपये की जालसाजी का मामला सामने आया था।
क्या बोली पुलिस
गोरखपुर के एसपी क्राइम सुधीर जयसवाल ने कहा कि प्रकरण की जांच की गई है। कंपनी ने गोरखपुर के अलावा बाराबंकी, वाराणसी में भी जालसासी की है। वहां पर केस भी दर्ज है। गोरखपुर में जालसाजी की जांच रिपोर्ट एसएसपी को भेज दी गई है।