यूपी उपचुनाव की जंग में ओबीसी को खास तवज्जो, रोचक होगा मुकाबला
यूपी उपचुनाव की जंग में दलों ने ओबीसी को खास तवज्जो दी है। सपा के पीडीए (पिछड़ा दलित व अल्पसंख्यक ) के मुकाबले के लिए भाजपा ने टिकट वितरण में ओबीसी वर्ग को खास तवज्जो दी है। वहीं बसपा ने प्रतिनिधित्व देने की कोशिश की है।
यूपी की नौ विधानसभा सीटों पर होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा, सपा ने अपने प्रत्याशियों का ऐलान कर दिया है। सपा के पीडीए (पिछड़ा दलित व अल्पसंख्यक ) के मुकाबले के लिए भाजपा ने टिकट वितरण में ओबीसी वर्ग को खास तवज्जो दी है जबकि बसपा ने टिकट वितरण में सर्वजन समाज को प्रतिनिधित्व देने की कोशिश की है। ऐसे में मुकाबला रोचक होगा।
भाजपा ने टिकट वितरण में पिछड़ों को दी तरजीह, आठ में से चार ओबीसी चेहरे
भारतीय जनता पार्टी ने गुरुवार को उपचुनाव वाली सीटों पर अपने प्रत्याशियों का ऐलान कर दिया। टिकट वितरण में पिछड़े वर्ग से आने वाले चेहरों को तरजीह दी है। मुजफ्फरनगर की मीरापुर सीट भाजपा ने अपने सहयोगी रालोद के लिए छोड़ी है। कुंदरकी सीट पर रामवीर सिंह ठाकुर को उतारा गया है। रामवीर 2012 व 2017 में भी इस सीट से चुनाव लड़ चुके हैं, मगर जीत नहीं पाए थे। गाजियाबाद भाजपा के महानगर अध्यक्ष संजीव को गाजियाबाद सदर से प्रत्याशी बनाया है। अलीगढ़ की खैर सुरक्षित सीट से हाथरस के पूर्व सांसद राजवीर दिलेर के पुत्र सुरेंद्र दिलेर को उतारा गया है। भाजपा ने ओबीसी वर्ग को चार, सवर्ण को तीन व दलित वर्ग को एक टिकट दिया है।
करहल में अखिलेश के रिश्तेदार पर दांव
भाजपा ने अनुजेश यादव को प्रत्याशी बनाया गया है। अनुजेश सपा मुखिया अखिलेश यादव के रिश्तेदार हैं। वे सपा सांसद धर्मेंद्र यादव के सगे बहनोई हैं। यह अलग बात है कि सपा और धर्मेंद्र उनसे पल्ला झाड़ रहे हैं। फूलपुर सीट पर पूर्व सांसद केशरी देवी पटेल के पुत्र दीपक पटेल पर पार्टी ने दांव लगाया है। बसपा सरकार में मंत्री रहे धर्मराज निषाद को कटेहरी सीट से टिकट मिला है। मझवां सीट पर पूर्व विधायक सुचिस्मिता मौर्या टिकट पाने में सफल रही हैं। वहीं कानपुर की सीसामऊ विधानसभा सीट से सुरेश अवस्थी को प्रत्याशी बनाया गया है। पार्टी ने उन्हें 2017 में भी इस सीट से चुनाव लड़ाया था मगर जीत नहीं सके थे।
समाजवादी पार्टी : नौ सीटों में चार मुस्लिम, दो दलित व तीन ओबीसी वर्ग से
समाजवादी पार्टी ने विधानसभा उपचुनाव में सोमवार को गुरुवार को तीन और प्रत्याशी घोषित कर दिए। यूपी में अब सपा कांग्रेस के सहयोग से सभी नौ सीटों पर खुद चुनाव लड़ेगी। इन नौ सीटों पर सपा ने एक बार फिर पीडीए पर दांव लगाया है। सपा ने गुरुवार को गाजियाबाद में सपा ने सिंह राज जाटव व अलीगढ़ की खैर सीट से चारू कैन को प्रत्याशी घोषित किया है। चारू केन कांग्रेस की नेता हैं। कांग्रेस से वहां चुनाव लड़तीं तो उन्हें ही टिकट मिलता। अब वह सपा की प्रत्याशी हो गईं हैं। जबकि मुरादाबाद की कुंदरकी से सपा ने मोहम्मद रिजवान को बनाया प्रत्याशी है। इस तरह नौ सीटों में चार मुस्लिम हैं। तीन प्रत्याशी ओबीसी वर्ग से आते हैं। दो दलित वर्ग से हैं। अभी मिल्कीपुर सीट पर चुनाव की तारीख का ऐलान नहीं हुआ है। यहां सपा पहले ही अजीत प्रसाद को प्रत्याशी बना चुकी है। नौ सीटों पर उपचुनाव में 13 नवंबर को वोट डाले जाएंगे। मतगणना इन सभी सीटों पर मतगणना 23 नवंबर को होगी।
बसपा की सोशल इंजीनियरिंग के सहारे बाजी मारने की चाहत
बसपा ने विधानसभा उपचुनाव की आठ सीटों के लिए गुरुवार को अधिकृत उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। अलीगढ़ की खैर सीट पर उम्मीदवारी को लेकर अभी भी पेंच फंसा हुआ है। बसपा यहां से चारु केन को टिकट देना चाहती थी, लेकिन उनके कांग्रेसी होने के बाद मनचाहा उम्मीदवार नहीं मिल पा रहा है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि शुक्रवार को उम्मीदवारी तय कर दी जाएगी। बसपा ने जिन आठ सीटों के लिए उम्मीदवार घोषित किए हैं उसमें सोशल इंजीनियरिंग फार्मूले का ध्यान रखा गया है। बसपा ने आठ सीटों के लिए घोषित उम्मीदवारों में दो ओबीसी, एक क्षत्रिय, दो ब्राह्मण, दो मुस्लिम और एक वैश्य उम्मीदवार उतारा है। खैर आरक्षित सीट है। बसपा ने जिस तरह से उम्मीदवार उतारे हैं इसे देखकर कहा जा सकता है कि वह उपचुनाव में फिर से सोशल इंजीनियरिंग फार्मूले पर चली है। वर्ष 2007 में इसी फार्मूले पर सफलता मिली थी।
वर्ष 2007 के बाद बसपा को सोशल इंजीनियरिंग का कोई फायदा नहीं मिला। इसीलिए उसने सर्वाधिक मुसलमानों पर दांव लगाना शुरू किया, लेकिन इसका फायदा न मिलता देख उसने मुस्लिमों पर सर्वाधिक दांव लगाया। बसपा लगातार नए-नए जातीय समीकरण के सहारे मैदान में उतरती रही है, लेकिन उसका सारा फार्मूला लगभग फेल होता रहा है। इसीलिए एक बार फिर से बसपा सोशल इंजीनियरिंग फार्मूले के सहारे उपचुनाव के मैदान में उतरी है।