न कोई फोन आया, न ओटीपी मांगा गया, रात भर में कारोबारी के खाते से 30 लाख गायब
- आगरा में एक कारोबारी के चालू खाते से 30 लाख रुपये साइबर जालसाजों ने निकाल लिए। सुबह उठकर मोबाइल देखा तो कारोबारी के होश उड़ गए। उसने बताया कि उसके पास न कोई फोन नहीं आया और नहीं ही किसी को ओटीपी बताया।
यूपी के आगरा के कमला नगर के रहने वाले एक कारोबारी के चालू खाते से एक रात में 30 लाख रुपये निकल गए। सुबह उठकर मोबाइल देखा तो कारोबारी के होश उड़ गए। दौड़कर बैंक गया। खाता ब्लॉक कराया। ऑनलाइन शिकायत की। साइबर थाने पहुंचा। तहरीर दी। उसके बाद भी किसी ने यह नहीं बताया कि आगे क्या करना है। खाते से रकम आखिर कैसे निकल गई। चूक कहां हुई थी। गुरुवार को पीड़ित पुलिस आयुक्त से मिला। कार्रवाई की गुहार लगाई।
धर्मेंद्र कुमार अग्रवाल का चांदी का काम है। उन्होंने पुलिस को बताया कि बुधवार की सुबह सोकर उठे तो मोबाइल में खाते से रकम निकलने के मैसेज थे। यह देख उनके होश उड़ गए। उनका आईसीआईसीआई बैंक में चालू खाता है। तत्काल बैंक पहुंचकर खाता ब्लॉक कराया। उनके पास कोई फोन नहीं आया। किसी को कोई ओटीपी नहीं बताया। उनके मोबाइल पर रात में ओटीपी आए थे। साइबर अपराधियों को कैसे पता चले यह वह समझ नहीं पा रहे हैं। वारदात ने सराफा कारोबारी को हिला दिया है। दो दिन से घर पर खाना नहीं बना है। वह समझ नहीं पा रहे हैं कि क्या करें। गुरुवार को दो घंटे तक साइबर थाने के बाहर रुके रहे। यह पता करना था कि मुकदमा दर्ज हुआ अथवा नहीं। साइबर थाने में कोई नहीं मिला।
साइबर थाना पुलिस ने बुधवार को प्रारंभिक छानबीन की थी। तब यह पता चला कि था साइबर अपराधियों ने खाते से उड़ाई रकम से ऑन लाइन शॉपिंग की है। अमेजन के गिफ्ट वाउचर खरीदे हैं। यह वाउचर कभी भी इस्तेमाल किए जा सकते हैं। पुलिस की तरफ से कंपनी को मेल भेजे गए हैं। फिलहाल उनका कोई जवाब नहीं आया है।
साइबर क्राइम पर पुलिस नहीं है गंभीर
दो लाख रुपये की लूट हो जाए तो टीम गठित हो जाती है। अधिकारी घटना स्थल का निरीक्षण करते हैं। पीड़ित से बातचीत करते हैं। उसे आश्वासन देते हैं कि जल्द खुलासा किया जाएगा। पीड़ित को बताया जाता है कि पुलिस खुलासे के लिए क्या कर रही है। इसके विपरीत लाखों के साइबर ठगी में भी पीड़ित को पुलिस से कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिलता। उसे कोई यह नहीं बताता है कि आगे क्या कार्रवाई की जाएगी। उसे अब कब आना है। पीड़ित क्या हुआ यह जानने के लिए चक्कर काटता रहता है।
साइबर अपराध की विवेचना करने में यूपी पुलिस फिसड्डी
यूपी पुलिस साइबर अपराध के मामलों में विवेचनाएं करने में फिसड्डी साबित हो रही है। साइबर अपराध व अन्य तकनीकी मामलों में विवेचक पारंगत न होने की वजह से विवेचना ठीक से नहीं कर पा रहे हैं। इसकी वजह से कोर्ट में राज्य सरकार को असहज स्थिति का सामना करना पड़ रहा है। कोर्ट ने कई बार अपने सवालों का जवाब न मिलने पर नाराजगी भी जाहिर की है। साथ ही कई विवेचनाएं लौटा भी दी गई।
इस पर ही शासन के विशेष सचिव निकुंज मित्तल ने अपर मुख्य सचिव गृह और डीजीपी को पत्र लिखकर निर्देश दिया है कि साइबर अपराध व तकनीकी मामलों में विशेषज्ञ विवेचक या अन्य अफसरों से ही विवेचना कराई जाए। इसके अलावा कोर्ट में प्रभावी पैरवी के समय इन मामलों में निपुण विवेचक व अफसरों को ही भेजा जाए। विशेष सचिव ने अपने पत्र में लिखा है कि इस बारे में जिला स्तर पर पुलिस कमिश्नर व एसपी-एसएसपी को भी बता दिया जाए कि साइबर अपराध से जुड़े मामलों की विवेचना पारंगत अधिकारियों व विशेषज्ञों से ही कराने की व्यवस्था करें। इसके पीछे तर्क दिया गया कि ऐसा करने से राज्य सरकार का सही पक्ष विवेचना व बहस के समय कोर्ट में प्रस्तुत किया जा सकेगा।
कोर्ट की नाराजगी से शासन की स्थिति असहज
शासन ने मेरठ में जानी थाने में आईटी एक्ट के तहत दर्ज मुकदमे (248/2024) में हाईकोर्ट के सामने आरोपी विनीत कुमार की जमानत याचिका पर सुनवाई के समय विवेचक कोर्ट की कई जिज्ञासाओं के बारे में ठीक से नहीं बता सका। इस पर कोर्ट ने नाराजगी जताई। इसी तरह लखनऊ, कानपुर, आगरा, बरेली समेत कई जिलों के मामलों में ऐसा ही हुआ।
फोरेंसिंक साइंस इंस्टीटयूट जल्दी ही करेगा प्रशिक्षित
सरेाजनीनगर में खुला यूपी फोरेंसिंक साइस इंस्टीटयूट जल्दी ही 400 सब-इंस्पेक्टरों को साइबर अपराध और अन्य तकनीकी मामलों की विवेचना के लिए निपुण करने जा रहा है। इसके लिए विशेष ट्रेनिंग सत्र आयोजित किए जाएंगे।