अंग्रेजों के जमाने के नहीं, अब नए भारत के पिलर गांवों की सीमा बताएंगे
- गांवों की सीमाओं का निर्धारण करने वाले अंग्रेजों के जमाने के पिलर तो कब के गायब हो गए हैं। अब सरकार ने नए पिलर बनवाकर लगवाना शुरू किया है। इससे जमीन विवाद के मामले सुलझाने में मदद मिलने की उम्मीद है।
अंग्रेजों ने अपने शासनकाल में गांवों की सीमा करने के लिए पिलर लगवाए थे। भूमि का बंदोबस्त भी पिलर से नाप-जोख करके ही किया था। अंग्रेजों के लगाए ज्यादातर पिलर का नामोनिशान वर्षों पहले मिट गया। गांवों की सीमाएं भी बदल गईं। अब गांव की सीमा पर सरकार नए पिलर लगवा रहा है। बरेली में 6875 पिलर तैयार कराए गए हैं। इनमें से करीब 50 फीसदी लगाए जा चुके हैं।
गांवों में अधिकतर विवाद जमीनों की पैमाइश को लेकर हैं। गांव की सीमा तय न होने की वजह से नाप-जोख में दिक्कत आती है। किसान एक-दूसरे पर जमीन कब्जा करने के आरोप लगाते रहते हैं। राजस्व कोर्ट में सबसे अधिक मामले जमीनों की नाप-जोख वाले आते हैं। पिलर इन जमीनों के विवाद का निपटारा कराने में मददगार साबित होंगे। अंग्रेजों के समय के लगाए गए पिलर तो नष्ट हो चुके हैं। अब नए भारत में सरिया-बजरी और सीमेंट के जरिए नए पिलर तैयार कराए जा रहे हैं।
तहसीलों को पिलर बनवाने की जिम्मेदारी दी गई। पिलर का कलर लाल और सफेद रखा गया है। राजस्व विभाग की टीमें कई महीने से गांवों की सीमाओं को चिह्नित करने में जुटी हुई थीं। यह काम पूरा हो चुका है। अब एक गांव की चारों सीमाओं पर चार से पांच पिलर लगाए जा रहे हैं।
जमीनों के विवाद कम होने की उम्मीद
पिलर लगने से जमीनों के विवाद कम होने की उम्मीद है। गांव की सीमा तय होने के बाद जमीनों की पैमाइश इन पिलर से की जाएगी। किसानों को इससे राहत मिलेगी। कोर्ट में केस की संख्या भी कम हो जाएगी।
गांव के तय हुए नए बॉर्डर
जमीनों की खरीद बिक्री और बड़े-बड़े आवासीय और औद्योगिक प्रोजेक्ट की वजह से गांवों की सीमा में बदलाव हो चुका है। अब राजस्व टीमों ने रिकॉर्ड और गांवों की मौजूदा स्थिति के हिसाब से बार्डर तय किए हैं। बता दें कि बरेली में 1188 ग्राम पंचायत हैं।