मुजफ्फरनगर-शामली में बढ़े एड्स के रोगी, मानिटरिंग में 2150 मरीज
Muzaffar-nagar News - - वर्ष 2024 में सबसे ज्यादा 60 एड्ग रोगी आए सामने से जिला अस्पताल के एंटी-रेट्रोवायरल थेरेपी (एआरटी) सेंटर पर प्रति सप्ताह एक से दो मरीज एचआईवी का टेस

एड्स के रोगियों की संख्या में गत वर्षों की तुलना में इजाफा हुआ है। शामली और मुजफ्फरनगर जिले से नए एड्स के 60 रोगी 2024 में सामने आए हैं। पिछले तीन महीने से जिला अस्पताल के एंटी-रेट्रोवायरल थेरेपी (एआरटी) सेंटर पर प्रति सप्ताह एक से दो मरीज एचआईवी का टेस्ट कराने में पहुंच रहे हैं, जिनमें 90 प्रतिशत का एचआईवी टेस्ट पाजीटिव आ रहा है। बढ़ते हुए रोगियों के बीच सेंटर से सभी की दवाईयां और मानिटरिंग चल रही है। एड्स रोगियों में भी पुरूषों की संख्या अधिक हैं। इसमें भी शामली एचआईवी पाजीटिव लोगों की संख्या ज्यादा है। सयंम और सुरक्षा एड्स से रक्षा का स्लोगन शायद ही लोग भूलते जा रहे है।
इसका प्रमाण जनपद में बढ़ते हुए एड्स रोगियों की संख्या है। मुजफ्फरनगर जिला अस्पताल में एआरटी सेंटर संचालित है, जहां एचआईवी संदिग्ध मरीजो की जांच होती है। जांच में एचआईवी पाजीटिव मिलने पर मरीज का नियम अनुसार उपचार और देखभाल की जाती है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी बताते हैं कि मुजफ्फरनगर में संचालित एआरअी सेंटर पर मुजफ्फरनगर और शामली जनपद के एड्स रोगियों को दवाई, देखभाल और उपचार चलता है। सेंटर पर पंजीकृत एड्स रोगियों में मुजफ्फरनगर में शामली से ज्यादा एड्स के रोगी है। इसमें भी पुरूषों की संख्या ज्यादा है। 2150 एड्स रोगियों में 845 महिला एड्स रोगी है। ज्यादातर एड्स पीड़ित मरीजों की उम्र 45 आयुवर्ष से अधिक है। जिला अस्पताल के एआरटी सेंटर के चिकित्साधिकारी डा. मिजीबुर्रहमान ने बताया कि मुजफ्फरनगर और शामली में एड्स रोगियों की संख्या 2150 है, जिसमें पुरूष मरीजों की संख्या ज्यादा है। एड्स रोगियों की काउंसलिंग के लिए विभाग में दो काउंसलर तैनात है। वहीं उन्हें उपचार के साथ दवाइयां देकर नियमित दवाइयां खाने के लिए जागरूक करते हैं। यदि एड्स रोगी नियमित दवाइयां खाते है तो उनका शरीर एचआईवी वायरस से लड़ने में कारगर रहता है और शरीर कमजोर नही पड़ता है। ---- गर्भवती महिला से दो बच्चों को लगा एड्स जिला अस्पताल के एआरटी सेंटर के चिकित्साधिकारी डा. मिजीबुर्रहमान बताते हैं सेंटर की शुरूआत 2014 में हुई थी। तब से अब तक दो एड्स रोगी महिलाओं की डिलीवरी के दौरान बच्चे के ब्लड में एचआईवी के लक्षण मिले हैं, जबकि तब से एड्स रोगी 170 महिलाओं की डिलीवरी हुई है, जिसमें 168 महिलाओं के बच्चें सुरक्षित है। उन्होंने बताया कि एड्स रोगी गर्भवती महिलाओं की 9 महीने में तीन बार जांच होती है, जिसमें एचआईवी संबंधित जांच भी की जाती है। --
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