बोले मिर्जापुर: कारोबार करोड़ों का, बुनियादी जरूरतों का टोटा
Mirzapur News - इमरती रोड बाजार की हालत बहुत खराब है। दुकानदार और ग्राहक दोनों परेशान हैं। पार्किंग, पानी, सफाई और शौचालय की कमी है। यहां करोड़ों का कारोबार होता है, लेकिन सुविधाएं नहीं हैं। व्यापारियों ने कहा कि जब...
शहर के व्यापारिक स्थल कहे जाने वाले इमरती रोड बाजार की हालत ऐसी है कि न दुकानदार चैन में हैं और न ग्राहक सुकून से खरीदारी कर पा रहे हैं। न पार्किंग है, न पानी, न सफाई और न ही शौचालय की व्यवस्था। बैठने की जगह भी नहीं है। यहां कारोबार करोड़ों का है, लेकिन बुनियादी सहूलियतों का टोटा है। इसकी सूरत किसी उपेक्षित गांव जैसी है। व्यापारियों की आवाज सुनने वाला कोई नहीं। सब कह रहे हैं कि जब तक सुविधाएं नहीं मिलेंगी, तब तक ‘व्यापारिक केंद्र का तमगा सिर्फ दिखावा है। यहां किराना का थोक बाजार है, पर हालात ठीक नहीं हैं।
यहां सड़क है, पटरी नहीं। बाजार है, व्यापारिक माहौल नहीं। ग्राहक हैं, पर रुकने की जगह नहीं। इमरती रोड में 'हिन्दुस्तान' से चर्चा में दुकानदारों ने अपनी समस्याएं बताई। सभी ने एकस्वर में कहा कि यहां करोड़ों का कारोबार होता है, लेकिन यह बाजार मूलभूत सुविधाओं को तरस रहा है। वर्षों से किराना का थोक व्यापार कर रहे अवधेश ने कहा कि यहां मिर्जापुर ही नहीं, बलिया, सोनभद्र, चंदौली तक के व्यापारी थोक खरीदारी के लिए आते हैं। यहां आते ही उन्हें सबसे पहले पार्किंग और जाम की समस्याएं घेर लेती हैं। ओमप्रकाश ने कहा कि खरीदार आते हैं, लेकिन न बैठने की व्यवस्था, न पीने का ठंडा पानी, न कोई सूचना बोर्ड, न सुरक्षा व्यवस्था। कहा कि इमरती रोड को री-ब्रांड करने की जरूरत है। जब तक बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध नहीं होंगी, ग्राहक टिकेगा नहीं। भानु जायसवाल ने कहा कि कभी-कभी ग्राहक गाड़ी खड़ी नहीं कर पाते, लौट जाते हैं। जाम इतना लगता है कि कई बार बाइक पर बैठकर एक किलोमीटर चलने में आधा घंटा लग जाता है। कहा कि कई व्यापारी ट्रक से माल मंगाते हैं, लेकिन लोड-अनलोड के लिए कोई जगह तय नहीं है। सब सड़क पर ही होता है, जिससे जाम और बढ़ जाता है। ट्रैफिक प्रबंधन की जरूरत: सतीश चंद ने कहा कि इमरती रोड नगर की प्रमुख कारोबारी सड़क है, लेकिन यहां मूलभूत सुविधाओं का अभाव है। बड़ी समस्या यह है कि न दुकानें सुव्यवस्थित हैं और न ही उनके सामने फुटपाथ या कोई उपयुक्त जगह है। ग्राहक जैसे ही दुकान पर रुकता है, रास्ता जाम हो जाता है। सड़क संकरी है। कोई लेन या पार्किंग व्यवस्था नहीं है। दो बाइकें आमने-सामने आ जाएं तो एक को रुकना पड़ता है। इससे आवागमन बाधित होता है। कहा कि दुकानदार भी परेशान हैं क्योंकि ग्राहकों को न रुकने की सुविधा है, न खरीदारी का माहौल। प्रशासन की अनदेखी और लगातार बढ़ते यातायात दबाव ने इस बाजार को जाम और अव्यवस्था का प्रतीक बना दिया है। यहां जरूरत है ठोस योजना, लेआउट सुधार और ट्रैफिक प्रबंधन की। नियमित सफाई का अभाव: बाजार में सफाई व्यवस्था का हाल पूछिए मत। दुकानों के आगे कूड़े के ढेर, खुले नाले और गंदे पानी की दुर्गंध ने बाजार का माहौल ही बिगाड़ रखा है। सफाई व्यवस्था चरमराई हुई है। गर्मी में हाल बेहाल है। दुकानदार राजेश ने कहा कि यहां खड़ा होना मुश्किल है। सफाई तो दूर, कूड़ा फेंकने की कोई तय जगह नहीं है, जिसको जहां जगह मिलती है, वहीं फेंक देता है। नगर पालिका की ओर से नियमित सफाई नहीं होती और न सफाईकर्मी ही यहां दिखते हैं। बाजार बदहाली का शिकार है। हैंडपंप खराब, शौचालय भी नहीं: इमरती रोड में दो हैंडपंप हैं, लेकिन दोनों खराब। गर्मी में आने वाले ग्राहक और मजदूर पानी के लिए भटकते हैं। लोग बोतलबंद पानी खरीदने को मजबूर होते हैं। गोविंद उमर ने कहा कि हम सुबह से शाम तक पसीना बहाते हैं, लेकिन पीने का पानी नहीं मिलता। नल के पानी में दुर्गंध आती है। कभी-कभी तो पेट खराब हो जाता है। सार्वजनिक शौचालय नहीं है। दूर से आए ग्राहक, महिलाएं और वृद्धों को बहुत परेशानी होती है। महिलाओं के लिए कोई सुविधा नहीं है। मजबूरी में कई बार होटल वालों से मदद लेनी पड़ती है। ऊबड़-खाबड़ हो गई है सड़क: बाजार की हालत देखकर कोई नहीं कह सकता कि यह जनपद के सबसे पुराने और प्रमुख व्यापारिक क्षेत्रों में एक है। यहां की सड़कें ऊबड़-खाबड़ हैं। दोपहिया वाहन चलाना किसी जोखिम से कम नहीं। जगह-जगह गड्ढे हैं, जिनमें बारिश का पानी भरते ही हादसों का डर बढ़ जाता है। गलियां संकरी हैं। दो वाहन आमने-सामने आ जाएं तो जाम तय है। कई गलियों में न स्ट्रीट लाइट है, न ही समतल रास्ता। रात में चलना खतरनाक हो जाता है। कई बार लोग गिरकर जख्मी भी हो चुके हैं। ‘स्मार्ट बाजार के स्वरूप की पहल हो दुर्व्यवस्था से आजिज व्यापारियों ने कहा कि अगर यहां की व्यवस्था में सुधार के लिए पहल की जाए तो सभी को राहत हो सकती है। इसे ‘स्मार्ट बाजार का स्वरूप देने की दिशा में पहल होनी चाहिए। राजेश सोनी ने कहा कि सरकारें आती-जाती रहेंगी, घोषणाएं होती रहेंगी, लेकिन जनता की तकलीफों पर कोई ठोस ऐक्शन नहीं हुआ तो विकास सिर्फ कागजों में नजर आएगा। बदहाल सड़कें और खस्ताहाल ट्रैफिक व्यवस्था पर चिंता जताई। कहा, अक्सर जाम में लोग घंटों फंसे रहते हैं, फिर भी किसी की नजर नहीं पड़ रही है।प्रस्तुति: कमलेश्वर शरण/गिरजाशंकर मिश्र ऊपर फैला है बिजली के तारों का जंजाल ऊपर नजर दौड़ाइए तब आपको आसमान नहीं, बिजली के उलझे तारों का जंजाल दिखेगा। पुराने पोल, झूलते तार, खुले कनेक्शन। हर वक्त हादसे का डर रहता है। प्रयाग दास केशरी ने कहा कि यहां बिजली के तारों का जंजाल फैला है। बीते वर्ष बरसात में करंट से एक गाय की मौत हो गई थी। बेमानी लगतीं हैं शिकायतें यहां के व्यापारी मेहनती हैं। सुबह आठ बजे दुकानें खुल जाती हैं और रात आठ बजे तक कारोबार होता है। दिन भर की थकान के बाद उन्हें रात में भी सुकून नहीं मिलता। बिजली गुल, मच्छरों की भरमार, कचरे की दुर्गंध और पानी की किल्लत। ये समस्याएं झेलना उनकी दिनचर्या बन चुकी है। धीरज गुप्ता ने कहा कि हमने अब शिकायत करना छोड़ दिया है। कोई नहीं सुनता। जिले के अधिकारी और जनप्रतिनिधि इसी रास्ते से गुजरते है, लेकिन सड़क की खस्ताहाल व्यवस्था देख कभी किसी ने कोई पहल ही नहीं की। ऐसे किस से शिकायत करें, समझ में नहीं आ रहा है। सुझाव और शिकायतें 1. संगठित पार्किंग और लोडिंग/अनलोडिंग जोन बनाए जाएं। ट्रैफिक नियंत्रण के लिए स्पष्ट लेन मार्किंग, वाहन ठहराव की व्यवस्था की जाए। 2. ‘स्वच्छ बाजार अभियान चलाकर नियमित सफाई हो। डस्टबिन, कूड़ा निस्तारण और सफाईकर्मियों की तैनाती सुनिश्चित की जाए। 3. शौचालय, पेयजल के लिए आधारभूत ढांचा विकसित हो। दो स्थानों पर सार्वजनिक सुविधा केंद्र बनाएं, खासकर महिलाओं के लिए। 4. बिजली तारों का अंडरग्राउंड नेटवर्क और पोलों का आधुनिकीकरण हो। पुराने तार बदलकर सुरक्षित बिजली आपूर्ति सुनिश्चित की जाए। 5. ‘इमरती रोड स्मार्ट मार्केट योजना के तहत संपूर्ण लेआउट सुधारें। दुकानों के सामने फुटपाथ, बैठने की जगह बने। 1. पार्किंग और ट्रैफिक जाम की समस्या गंभीर है। ग्राहक गाड़ी खड़ी नहीं कर पाते, घंटों जाम के चलते लोग लौट जाते हैं। 2. पूरे क्षेत्र में जगह-जगह कूड़े का अंबार है। नियमित सफाई नहीं होती, खुले नाले और दुर्गंध के कारण बहुत परेशानी होती है। 3. शौचालय और पीने के पानी की सुविधाएं नहीं है। महिला ग्राहकों और मजदूरों के लिए कोई सुविधा नहीं, हैंडपंप भी खराब हैं। 4. बिजली की अनियमित आपूर्ति, झूलते तार और जर्जर पोल हादसे को न्योता देते हैं। शिकायतों पर सुनवाई ही नहीं की जाती है। 5. बैठने की कोई जगह ही नहीं है। ग्राहक लंबी खरीदारी के दौरान बैठ भी नहीं सकते, बुजुर्गों, महिलाओं को बहुत दिक्कत होती है।
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