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बोले मिर्जापुर : बिजली-पानी और भवन बिना अस्पतालों की नब्ज सुस्त

Mirzapur News - आधुनिक चिकित्सा के दौर में मिर्जापुर के आयुर्वेद और यूनानी चिकित्सक सीमित संसाधनों के बीच रोगियों का इलाज कर रहे हैं। जर्जर अस्पताल भवन, बिजली, शौचालय और स्वच्छ पानी की कमी से चिकित्सकों को समस्याओं...

Newswrap हिन्दुस्तान, मिर्जापुरTue, 18 Feb 2025 01:20 AM
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बोले मिर्जापुर : बिजली-पानी और भवन बिना अस्पतालों की नब्ज सुस्त

आधुनिक चिकित्सा के दौर में दुनिया आयुर्वेद की प्राचीन उपचार पद्धतियों की ओर लौट रही है। मिर्जापुर में आयुर्वेद और यूनानी चिकित्सक सीमित संसाधनों के बीच आरोग्यता की लौ जला रहे हैं। जिले को निरोगी बनाने की कोशिशों में शारीरिक और मानसिक थकावट आड़े न आए, इसे लेकर वे चिंतित हैं। उनकी चिंता की वजह जर्जर अस्पताल भवन, बिजली-पानी और शौचालय जैसी बुनियादी सुविधाओं का अभाव है। आमजन का भरोसा मजबूत करने के लिए वे विभाग और शासन से संसाधन एवं सुविधाओं में विस्तार की उम्मीद रखे हुए हैं। जिले में 53 आयुर्वेदिक एवं यूनानी चिकित्सक जड़ी-बूटी से जनजन को निरोगी बनाने की कोशिश में है। आयुर्वेद चिकित्सक सीमित संसाधनों के बीच मरीजों का उपचार कर रहे हैं। सर्दी-जुकाम से लेकर जटिल रोगों का वे जड़ी-बूटियों से इलाज करते हैं। उन्हें जर्जर भवन, बिजली, शौचालय और शुद्ध पीने के पानी के अभाव का सामना करना पड़ रहा है। नगर के बबुआ का पोखरा स्थित जिला आयुर्वेदिक चिकित्सालय परिसर में ‘हिन्दुस्तान से चर्चा में उन्होंने पेशेगत समस्याएं साझा कीं। आयुर्वेद चिकित्सक डॉ. सूर्य प्रकाश मिश्र, डॉ. अनुज राय, डॉ. विवेक सिंह, डॉ. अमित कुमार मौर्या ने बुनियादी सुविधाओं के अभाव का मुद्दा उठाया। कहा कि ज्यादातर अस्पतालों में शौचालय और पीने के पानी की सुविधा नहीं है। कई स्थानों पर हैंडपंप महीनों से सूखे पड़े हैं। आयुर्वेदिक अस्पतालों के भवन जर्जर हो गए है। मरीजों का इलाज मुश्किल हो रहा है। बिजली कटौती से सेवाएं प्रभावित हो रही हैं। डीएम को पत्र लिख कर बकाया बिल जमा कराने के लिए धन की मांग की गई है।

जिले में हैं 54 आयुर्वेदिक और यूनानी चिकित्सालय

जनपद में 54 क्षेत्रीय आयुर्वेदिक और यूनानी अस्पताल हैं। शहरी क्षेत्र में 15 शैय्या के पांच और ग्रामीण क्षेत्र में चार शैय्या वाले 38 अस्पताल हैं। इसके अतिरिक्त आयुर्वेद की सात ओपीडी और यूनानी चिकित्सा की दो ओपीडी चलती हैं। इन सभी अस्पतालों में सुविधाओं की भारी कमी है। डॉ. बृजेश कुमार शास्त्री बताते हैं कि जिले भर में केवल 16 अस्पतालों के पास शासकीय भवन हैं। छह अस्पताल किराए के भवनों और दो दान में मिले भवनों में चलते हैं। बिल बकाया होने के कारण छह अस्पतालों की बिजली कट चुकी है। कई भवनों को मरम्मत की आवश्यकता है। उन्होंने बताया कि 54 अस्पतालों में चिकित्सकों के 59 पद हैं, लेकिन 53 चिकित्सक ही तैनात हैं। वहीं जनपद में 142 कर्मचारियों में 37 फार्मासिष्ट, चार तृतीय श्रेणी के कर्मचारी कार्यरत हैं।

सफाई कर्मियों के अभाव में गंदगी

जिले के शहरी और ग्रामीण क्षेत्र के आयुर्वेदिक अस्पतालों में फार्मासिस्ट, नर्स और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की कमी से व्यवस्थाएं चरमराई हुई हैं। फार्मासिस्ट न होने से कई अस्पतालों में डॉक्टर स्वयं पर्ची बनाकर दवाएं देने को मजबूर हैं। सफाई कर्मियों के अभाव में गंदगी रहती है। संक्रमण का खतरा बढ़ रहा है। मरीजों को पंजीकरण से लेकर दवा लेने तक घंटों इंतजार करना पड़ता है।

शौचालय और पीने का पानी नहीं

कई आयुर्वेदिक अस्पतालों में शौचालय नहीं हैं। जो शौचालय हैं, वे गंदगी के चलते उपयोग लायक नहीं हैं। महिला मरीजों को इस समस्या का अधिक सामना करना पड़ता है। वहीं, स्वच्छ पानी भी कई अस्पतालों में नहीं है। मरीज और उनके परिजन बाहर से पानी खरीदने को मजबूर हैं। गर्मी के दिनों में यह समस्या गंभीर हो जाती है।

भवन जर्जर, दीवारों में दरारें

क्षेत्रीय आयुर्वेदिक एवं यूनानी अधिकारी डॉ. श्रीकांत प्रजापति ने माना कि जिले के छह आयुर्वेदिक अस्पतालों का बिजली कनेक्शन बकाये बिल के कारण काट दिया गया है। बिजली न होने से ओपीडी सेवाएं बाधित हैं। गर्मी में मरीजों की परेशानी बढ़ जाएगी। दूसरी ओर कई अस्पतालों के भवन जर्जर हो चुके हैं। छतों से प्लास्टर गिर रहा है, दीवारों में दरारें आ गई हैं। मरीजों और स्टाफ को खतरा महसूस होता है।

जिले में जड़ीबूटी का पर्याप्त भण्डार

जिले के वन क्षेत्र जड़ीबूटियों से भरे पड़े है। विंध्य क्षेत्र के वनों में अश्वगंधा, शंख पुष्पी, गिलोय समेत कई औषधियां आसानी से मिल जाती हैं। इनसे आयुर्वेद की दवाएं तैयार की जा सकती है। डॉ. विवेक कुमार सिंह का कहना है कि इन जड़ीबूटियों से लोगों को रोजगार भी मिल सकता है। इसके लिए जरूरी है कि उन्हें संग्रह करने के लिए एक केंद्र की स्थापना हो। इससे स्थानीय लोगों को भी रोजगार मिलेगा।

गंभीर मरीज नहीं हो पाते भर्ती

जिले आयुर्वेदिक अस्पतालों में गंभीर मरीजों को भर्ती करने की व्यवस्था नहीं है। अस्पतालों में बेहतर चिकित्सा उपकरण का भी अभाव है। इससे मरीजों को गैर जिलों के अस्पताल जाना पड़ता है। वहां भारी धन खर्च करना पड़ता है। जिले के आयुर्वेदिक अस्पतालों में मरीजों को भर्ती करने की व्यवस्था कर दी जाए तो इस पद्धति से इलाज कराने वालों को काफी सुविधा होगी। चिकित्सकों को भी काफी राहत मिलेगी।

सुझाव :

अस्पतालों में फार्मासिस्ट, नर्स और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की नियुक्ति की जाए। इससे मरीजों को समय पर सेवाएं मिल सकेंगी।

सभी अस्पतालों के लंबित बिजली के बिलों का शीघ्र भुगतान किया जाए। ओपीडी सेवाओं को पुनः सुचारू करने के लिए बिजली आपूर्ति बहाल कराई जाए।

सभी अस्पतालों में स्वच्छ शौचालय बनाए जाएं। मरीजों और तीमारदारों के लिए स्वच्छ पेयजल की व्यवस्था की जाए।

जर्जर अस्पताल भवनों की मरम्मत कर उन्हें सुरक्षित बनाया जाए। छतों और दीवारों की स्थिति सुधारने के लिए तत्काल कदम उठाए जाएं।

सभी अस्पतालों में पर्याप्त संख्या में सफाईकर्मियों की नियुक्ति हो। नियमित सफाई से संक्रमण रोका जाए और स्वच्छता सुनिश्चित की जाए।

शिकायतें:

अस्पतालों में फार्मासिस्ट, नर्स और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की भारी कमी है। मरीजों को लंबा इंतजार करना पड़ता है।

छह अस्पतालों की बिजली बकाया बिल के कारण काट दी गई है। बिजली न होने से ओपीडी सेवाएं बाधित हो रही हैं। गर्मी में परेशानी बढ़ जाएगी।

कई अस्पतालों में शौचालय नहीं हैं। जहां हैं, वे गंदे हैं। महिला मरीजों को अधिक समस्या झेलनी पड़ रही है। बाहर से पीने का पानी लाना पड़ रहा है।

कई अस्पतालों के भवन जर्जर हो चुके हैं। छतों से प्लास्टर गिर रहे हैं। दीवारों में बड़ी दरारें पड़ गई हैं। इससे मरीजों और स्टाफ खतरा महसूस करते हैं।

सफाईकर्मियों के अभाव में अस्पतालों में गंदगी रहती है। उससे संक्रमण का खतरा बढ़ गया है। मरीजों और तीमारदारों को अस्वच्छ वातावरण में रहना पड़ता है।

बोले वैद्यगण

स्टाफ की कमी से मरीजों को समय पर इलाज नहीं मिल पा रहा। रिक्त पदों पर जल्द से जल्द नियुक्ति होनी चाहिए।

-डॉ. सूर्यप्रकाश मिश्र

बिजली कटौती के कारण ओपीडी सेवाएं बाधित हैं। गर्मी में मरीजों की परेशानी बढ़ जाएगी। यह व्यवस्था तत्काल सुधरनी चाहिए।

- डॉ. अनुज राय

शौचालयों और पेयजल के अभाव में मरीजों को भारी दिक्कत हो रही है। महिला मरीजों को अधिक कठिनाई होती है।

- डॉ. विवेक सिंह

अस्पतालों के जर्जर भवनों में स्टाफ और मरीज अपनेक ेा असुरक्षित महसूस करते हैं। उनकी शीघ्र मरम्मत कराई जाए।

- डॉ. अमित मौर्या

आयुर्वेदिक अस्पतालों में सफाई कर्मियों की कमी से गंदगी और संक्रमण का खतरा बढ़ गया है। नियमित सफाई जरूरी है।

- डॉ. सत्यम यादव

कई आयुर्वेदिक अस्पताल किराए या दान के भवनों में चल रहे हैं। उनमें कई भवनों की मरम्मत की जरूरत है।

- डॉ. प्रमोद मिश्र

बिल बकाया होने के कारण आयुर्वेदिक अस्पतालों का बिजली कनेक्शन काट दिया गया है। इससे मरीजों का अंधेरे में इलाज कराना पड़ रहा है।

- डॉ. संतोष कुमार

कर्मचारियों की कमी से मरीजों का पंजीकरण करने में काफी समय लगता है। डिजिटल प्रणाली और स्टाफ बढ़ाकर व्यवस्था सुधारी जाए।

- डॉ. दीपिका द्विवेदी

ग्रामीण क्षेत्र के आयुर्वेदिक अस्पतालों में बुनियादी सुविधाओं का विस्तार होना चाहिए। इससे चिकित्सकों और मरीजों को राहत मिलेगी।

- डॉ. सपना चौधरी

आयुर्वेदिक अस्पतालों में मरीजों के लिए प्रतीक्षा कक्ष और विश्राम गृह नहीं हैं। बेसिक इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार किया जाए।

- डॉ. बृजेश शास्त्री

आयुर्वेदिक अस्पतालों में भी डिजिटल पंजीकरण और ई-हेल्थ रिकॉर्ड जैसी सेवाएं लागू की जाएं। इससे मरीजों को राहत मिलेगी।

- डॉ. जितेंद्र यादव

आयुर्वेदिक अस्पतालों के जर्जर भवनों से हादसे की आशंका बनी रहती है। उनकी शीघ्र मरम्मत कराई जाए।

- डॉ. प्रियंका यादव

बोले जिम्मेदार :

दस भवनों के निर्माण को मंजूरी मिली

अस्पतालों के लिए 10 भवनों के निर्माण की शासन से स्वीकृति मिल गई है। टेंडर के बाद निर्माण शुरू होगा। अब आयुर्वेद अस्पतालों का खुद का भवन होगा। जल्द ही चिकित्सकों के लिए आवास का भी प्रस्ताव शासन को भेजेंगे। जहां तक बिजली कटने की बात है तो बिल जमा कराकर एक सप्ताह के अंदर बिजली चालू करा दी जाएगी।

डॉ. श्रीकांत रजक, क्षेत्रीय आयुर्वेदिक एवं यूनानी अधिकारी, मिर्जापुर।

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