Hindi Newsउत्तर प्रदेश न्यूज़menstruation was spreading in the body of a 14 year old girl infection reached the intestines doctors saved life

14 साल की लड़की के शरीर में फैल रही थी माहवारी, आंतों तक पहुंच गया संक्रमण; ऐसे बची जान

  • शुरू में इसे पेट की बीमारी समझकर परिवार के लोग किशोरी को निजी चिकित्सकों के पास ले गए। राहत न मिलने पर उसे लेकर एम्स पहुंचे। वहां अल्ट्रासाउंड और परीक्षण से पता चला कि किशोरी के गर्भाशय के मुख के पास सेप्टम (गांठ) बन गया है।

Ajay Singh हिन्दुस्तान, मनीष मिश्र, गोरखपुरMon, 17 March 2025 05:36 AM
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14 साल की लड़की के शरीर में फैल रही थी माहवारी, आंतों तक पहुंच गया संक्रमण; ऐसे बची जान

गोरखपुर की 14 साल की किशोरी के शरीर में पिछले एक साल से माहवारी बन रही थी, लेकिन उसके निकलने का रास्ता ब्लॉक था। माहवारी किशोरी के शरीर में ही फैल रही थी। इसके कारण उसके पेट और उसके निचले हिस्सों में बेतहाशा दर्द हो रहा था। आंतरिक अंगों में फैल रहा संक्रमण आंतों तक पहुंच गया था। एम्स की डॉक्टरों ने सर्जरी कर ब्लॉक रास्ते को खोल दिया जिससे किशोरी की जान बच गई।

परिजन शुरू में इसे पेट की बीमारी समझ किशोरी को निजी चिकित्सकों के पास ले गए। राहत न मिलने पर उसे लेकर एम्स पहुंचे। वहां किशोरी का इलाज स्‍त्री एवं प्रसूति रोग विभाग की प्रोफेसर डॉ. आराधना सिंह ने शुरू किया। अल्ट्रासाउंड और परीक्षण से पता चला कि किशोरी के गर्भाशय के मुख के पास सेप्टम (गांठ) बन गया है। इसके कारण किशोरी के गर्भाशय का मुख जन्म से ही बंद हो गया था। इसी के चलते माहवारी गर्भाशय के मुख से वापस लौटकर शरीर के अंदर फैल रही थी।

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300 एमएल गंदे खून का थक्‍का निकला

डॉ. आराधना सिंह ने बताया कि इसे ट्रांसवर्स वेजाइनल सेप्टम कहते हैं। किशोरी की जान बचाने के लिए सर्जरी की आवश्यकता थी। सर्जरी कर सेप्टम को हटा दिया गया है। सर्जरी के दौरान गर्भाशय के आंतरिक दीवारों से चिपका 300 मिली लीटर (एमएल) से अधिक गंदे खून का थक्का निकाला गया। अब मासिक चक्र का रास्ता खुल गया है। सर्जरी की सराहना कार्यकारी निदेशक डॉ. विभा दत्ता और स्त्री एवं प्रसूति रोग की विभागाध्यक्ष डॉ. शिखा सेठ ने की।

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व्‍यस्‍क होने पर गर्भधारण करने में हो सकती थी समस्‍या

डॉ. अराधना ने बताया कि किशोरी के शरीर में मासिक चक्र का गंदा खून फैल रहा था। उसे एंडोमेट्रियोसिस हो सकता था। दरअसल महिलाओं की बच्चेदानी की लाइनिंग को ही एंडोमेट्रियम कहते हैं। मासिक चक्र के एंडोमेट्रियम शरीर से बाहर निकलता है। एंडोमेट्रियोसिस होने पर एंडोमेट्रियम अंडाशय (ओवरी), आंत और पेल्विक कैविटी टिशूज में पहुंच कर चिपक जाता है। इसमें खून बाहर निकलने की बजाय अंदर ट्यूब में ही जमने लगता है। जिससे व्यस्क होने पर मरीज को गर्भधारण करने में समस्या हो सकती थी।

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