सीडीएस विपिन रावत के गुरु प्रो.हरबीर शर्मा का निधन
भारत के पहले सीडीएस, दिवंगत जनरल बिपिन रावत के मार्गदर्शक प्रोफेसर हरवीर शर्मा का निधन हो गया। उन्होंने 82 वर्ष की आयु में अंतिम सांस ली। रावत ने 2011 में उनके निर्देशन में शोध कार्य किया था। प्रो....
भारत के प्रथम सीडीएस दिवंगत डॉ.बिपिन रावत को पीएचडी कराने वाले मेरठ कॉलेज के प्रोफेसर डॉ. हरवीर शर्मा नहीं रहे। मंगलवार सुबह प्रो. शर्मा ने अंतिम सांस ली। वह 82 वर्ष के थे। वर्ष 2011 में बिपिन रावत ने प्रो.हरवीर शर्मा के निर्देशन में मिलिट्री मीडिया स्ट्रेटजिक स्टडीज, जियो स्ट्रेटजिक अप्रेजल ऑफ द कश्मीर वैली विषय पर शोध कार्य किया था। मानसरोवर कॉलोनी निवासी प्रो.हरवीर शर्मा को बिपिन रावत ने सीडीएस रहते हुए पत्र लिखकर खुद को भाग्यशाली छात्र बताया था। हेलीकॉप्टर क्रैश में बिपिन रावत के असमय निधन से प्रो.हरबीर शर्मा बेहद आहत हुए थे। प्रो.शर्मा ने बिपिन रावत को अपना प्यारा छात्र बताया था। प्रो.शर्मा मेरठ कॉलेज में सैन्य अध्ययन विभाग के अध्यक्ष भी रहे।
कई चर्चित पुस्तकें लिखी, शोध भी सम्मानित
प्रो.हरवीर शर्मा जाने-माने भू-रणनीतिज्ञ रहे हैं। उन्होंने कश्मीर घाटी का एक भू-रणनीतिक मूल्यांकन विषय पर पीएचडी की जिसे रक्षा मंत्रालय ने सराहा था। पीएचडी थीसिस को भूगोल के साथ-साथ रक्षा अध्ययन विषय में किए मौलिक शोध कार्य के रूप में मान्यता दी गई थी। प्रो.शर्मा डीलिट की उपाधि से सम्मानित किए गए थे। प्रो.शर्मा ने द हिमालयन जियोपॉलिटिक्स विषय पर डीलिट की उपाधि हासिल की थी। इसके लिए उन्होंने हिमालय क्षेत्र में व्यापक यात्रा की। मेरठ कॉलेज से पहले प्रो.शर्मा एमडी विवि रोहतक में कार्यरत रहे। प्रो.शर्मा अक्टूबर-नवंबर 1996 में इंडो-फ्रेंच एक्सचेंज प्रोग्राम के तहत अपने प्रोजेक्ट आधुनिक फ्रांस के लिए चार्ल्स डी गॉल की प्रासंगिकता पर चार्ल्स डी गॉल, पेरिस (फ्रांस) फाउंडेशन में रिसर्च फैलो थे।
प्रो.शर्मा ने भारत की सुरक्षा समस्या सहित कई पुस्तकें लिखी। दिसंबर 1999 को तत्कालीन उपराष्ट्रपति कृष्ण कांत ने प्रो.शर्मा को इंदिरा गांधी राजभाषा पुरस्कार से सम्मानित किया था। 'समुद्री मामले' में प्रकाशित 'हिन्द महासागर में संसाधनों का प्रबंधन' विषय पर 2006 में तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ.एपीजे अब्दुल कलाम ने भी सराहना की थी।
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