Hindi Newsउत्तर प्रदेश न्यूज़मेरठFormer NASA Scientist Dr Ramesh Chand Tyagi s Home Donated to Chaudhary Charan Singh University

नासा के वैज्ञानिक का पैतृक आवास अब विवि के हवाले

नासा के पूर्व वैज्ञानिक डॉ. रमेश चंद त्यागी का पैतृक आवास मेरठ के चौधरी चरण सिंह विवि को सौंप दिया गया है। डॉ. त्यागी ने मृत्यु के बाद अपने घर को विवि को दान करने की इच्छा जताई थी। उनके परिजनों ने इस...

Newswrap हिन्दुस्तान, मेरठFri, 15 Nov 2024 01:48 AM
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नासा के पूर्व वैज्ञानिक एवं प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के निमंत्रण पर भारत आए डॉ.रमेश चंद त्यागी का मेरठ स्थित पैतृक आवास चौधरी चरण सिंह विवि को सौंप दिया गया है। डॉ.त्यागी ने मृत्यु के बाद अपने आवास को विवि को दान करने की इच्छा जताई थी। वर्ष 2020 में डॉ.त्यागी के निधन के बाद बेटों ने पिता की इच्छा का सम्मान करते हुए आवास को विश्वविद्यालय को दान करने का प्रस्ताव दिया था। विवि ने बीते वर्ष मिले प्रस्ताव पर विधिक राय ली। सहमति के बाद डॉ.त्यागी के परिजनों ने कुलपति प्रो.संगीता शुक्ला को पैतृक आवास के सभी कागजात सौंप दिए। बुधवार को सौंपे पेपर, जल्द खुलेंगे कोर्स

दिवंगत डॉ.रमेश चंद त्यागी के पुत्र राजेश त्यागी एवं भतीजी शिखा त्यागी बुधवार को विवि कैंपस पहुंचे और प्रक्रिया पूरी की। चार सौ गज में बने इस मकान की कीमत करोड़ों में है और प्राइम लोकेशन है। डॉ.त्यागी के दो बेटे दिनेश त्यागी एवं राजेश त्यागी अमेरिका में वरिष्ठ वैज्ञानिक हैं। बीते वर्ष डॉ.आरसी त्यागी की भतीजी ने कुलपति को पत्र देते हुए मकान में विवि लाइब्रेरी या अध्ययन केंद्र बनाने का प्रस्ताव दिया था। दोनों बेटों ने पिता की इच्छा को सर्वोपरि रखते हुए उनके फैसले का सम्मान किया। विवि इस आवास में लघु अवधि के रोजगारपरक कोर्स शुरू करेगा। ये कोर्स प्रशिक्षण केंद्रित होंगे। विवि जल्द ही इस केंद्र का नामकरण और कोर्स पर निर्णय लेगा।

इंदिरा गांधी के कहने पर आ गए थे भारत

डॉ.आरसी त्यागी प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के कहने पर नासा छोड़कर भारत आ गए थे। डीआरडीओ ने उन्हें आमंत्रित किया था। उनके साथ नासा से अन्य कई वैज्ञानिक भी भारत लौटे थे। भारत में डॉ.त्यागी को रक्षा शोध संस्थान की सॉलिड स्टेट फिजिक्स लेबोरेटरी में वरिष्ठ रक्षा वैज्ञानिक का पद मिला। इसके बाद उन्होंने पी.एक्स, एपीएल-47 प्रोजेक्ट पर काम शुरू कर दिया। डॉ.त्यागी एंटी एयर क्राफ्ट मिसाइल के डिटेक्टर बनाने में सफल हो गए, लेकिन अप्रत्याशित ढंग से इस प्रोजेक्ट को रुकवा दिया गया। अपने आखिरी दिनों में डॉ.त्यागी विवि की भौतिक विज्ञान विभाग से जुड़े रहे। यहां रहते हुए उन्होंने संगीत के सात सुरों की विशिष्ट फ्रीक्वेंसी निकालते हुए इसे गणितीय आधार पर सिद्ध किया। उन्होंने स्वर मंडल की रचना की।

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