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पुरानी शुगर का अचानक ठीक होना गुर्दा खराब होने का संकेत

डायबिटीज के पुराने मरीजों की शुगर अचानक ठीक होने पर यह किडनी खराब होने का संकेत हो सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि तुरंत जांच करानी चाहिए। इंसुलिन को स्वास्थ्य के लिए दोस्त मानते हुए, डॉक्टरों ने...

Newswrap हिन्दुस्तान, मेरठThu, 14 Nov 2024 11:32 PM
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डायबिटीज के पुराने मरीज की शुगर अचानक से ठीक होने लगे तो यह किडनी खराब होने का संकेत है। तुरंत किसी अच्छे डॉक्टर को दिखाकर शुगर और किडनी की जांच करानी चाहिए। यह कहना है किडनी रोग विशेषज्ञ डॉ. प्रशांत बेंद्रे का। विश्व डायबिटीज दिवस पर गुरुवार को आईएमए में आयोजित जागरूकता कार्यक्रम में उन्होंने यह बातें बताईं। डॉक्टर बेंद्रे ने कहा कि डायबिटीज के पुराने मरीजों में कई बार बिना दवा बदले ही शुगर ठीक होने लगती है। मरीज इसे शुगर के समाप्त होने का संकेत मान लेता है और कई बार दवा भी बंद कर देते हैं। जबकि यह किडनी खराब होने का संकेत होता है। लंबे समय तक शुगर की दवा खाने के कारण किडनी खराब होने लगती है। वह इंसुलिन को बाहर नहीं निकाल पाती और मरीज में शुगर का स्तर ठीक दिखने लगता है। यदि तुरंत जांच कराई जाए तो किडनी को खराब होने से बचाया जा सकता है।

इंसुलिन दोस्त है दुश्मन नहीं : डॉ. अमित रस्तोगी

शुगर रोग विशेषज्ञ डॉ. अमित रस्तोगी ने कहा कि शुगर के मरीजों में इंसुलिन को लेकर कई प्रकार की भ्रांतियां हैं। इंसुलिन स्वास्थ्य के लिए दोस्त है दुश्मन नहीं। शुगर को नियंत्रित करने में यह बेहद कारगर है। इंसुलिन को सुरक्षा के तौर पर इस्तेमाल करना चाहिए। कुछ लोग खानपान में लापरवाही करते हैं और फिर शुगर बढ़ने पर उसे नियंत्रित करने के लिए इंसुलिन की अधिक मात्रा लेते हैं जो गलत है। इसकी निर्धारित मात्रा ही लेनी चाहिए। गर्भावस्था में शुगर होने पर इंसुलिन लेने से गर्भस्थ शिशु को खतरा नहीं रहता, जबकि दवा का साइड इफेक्ट होता है।

शुगर एक दिन में नहीं होती : डॉ. मित्रा

डॉक्टर अदिप मित्रा ने कहा कि शुगर एक दिन में नहीं होती। इसकी शुरुआत करीब दस साल पहले होती है। दस साल बाद लक्षण सामने आते हैं। फैटी लीवर भी प्री डायबिटीज की शुरुआत है। अचानक हार्टअटैक के पीछे भी कई बार प्री डायबिटिज होना होता है। इसलिए प्री डायबिटिक लोगों को खानपान और लाइफ स्टाइल को लेकर विशेष सावधानी बरतनी चाहिए।

मां-बाप को डायबिटीज तो बच्चे को 70 फीसदी खतरा : डॉ. ऐरन

डॉक्टर आरके ऐरन ने बताया कि यदि किसी के माता-पिता दोनों को डायबिटीज है तो उसे आम लोगों की तुलना में शुगर होने का खतरा 70 फीसदी अधिक होता है। ऐसे लोगों को ज्यादा सावधानी बरतनी चाहिए। उन्हें समय-समय पर जांच कराते रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि मोटापा शुगर का सबसे बड़ा कारण है।

300 से अधिक लोगों की जांच की गई

शिविर में विशेषज्ञ चिकित्सक द्वारा 300 से अधिक डायबिटीज के मरीजों की ब्लड शुगर, बीपी, लीवर, थायराइड, किडनी की मुफ्त जांच की गई। शिविर को डॉ. संदीप मित्तल, डॉ. पीके गुप्ता, डॉ. वीके गुप्ता, डॉ. नीलिमा ऐरन, डॉ. वीपी कटारिया, डॉ. तरुण गोयल ने भी संबोधित किया। मुख्य अतिथि पूर्व सांसद राजेन्द्र अग्रवाल रहे। आईएमए अध्यक्ष डॉ. अनुपम सिरोही एवं सचिव डॉ. सुमित उपाध्याय ने उनका स्वागत किया। आईएमए- एमएसएन के डॉक्टर ने नुक्कड़ नाटक के जरिए डायबिटीज जागरूकता का संदेश दिया। संचालन डॉ. मोनिका तोमर ने किया। शिविर में दस मरीजों को लकी ड्रा के जरिए ग्लूकोमीटर दिया गया।

मरीजों के सवाल, विशेषज्ञ डॉक्टरों ने दिए जवाब

सवाल : व्यायाम का रक्त शर्करा पर क्या, कब और कितना प्रभाव पड़ता है?

जवाब : व्यायाम से एनर्जी खर्च होती है, इससे वजन कम होता है। खाने के बाद 15 से 20 मिनट तक पैदल टहलें तो 20 फीसदी तक शुगर घट जाती है। 15 किलो वजन घटाने से 85 फीसदी तक शुगर कम किया जा सकता है।

सवाल : मधुमेह रोगियों के लिए जूस या साबुत फल क्या बेहतर है?

जवाब : शुगर के मरीजों को साबुत फल खाना चाहिए। इससे फाइबर मिलता है, जो अचानक शुगर बढ़ने से रोकता है। जूस शुगर बढ़ाता है।

सवाल : मधुमेह रोगी कौन से पेय पी सकते हैं?

जवाब : मधुमेह रोगी दूध, दही, मट्ठा, सूप, हरी सब्जी का जूस, बिना चीनी की लस्सी पी सकते हैं। लेकिन डिब्बाबंद पेय पदार्थ से परहेज करें।

सवाल : रक्त शर्करा के स्तर पर सूर्य के प्रकाश का क्या प्रभाव पड़ता है?

जवाब : सूर्य की रोशनी से विटामिन डी मिलता है। विटामिन डी की कमी से शुगर नियंत्रित करने में परेशानी होती है।

सवाल : भोजन के साथ नींबू/सिरका का रक्त शर्करा के स्तर पर क्या प्रभाव पड़ता है?

जवाब : नींबू में साइट्रिक एसिड होता है, जो पेट के एसिड लेवल पर असर डालता है। ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करने में सिरका रामबाण है। इसे लेना फायदेमंद है।

सवाल : क्या अलग-अलग खाद्य पदार्थों के प्रति लोगों की प्रतिक्रिया अलग-अलग होती है?

जवाब : हर व्यक्ति के स्वास्थ्य और शुगर का स्तर अलग-अलग होता है, इसलिए अलग-अलग खाद्य पदार्थों का लोगों पर अलग अलग प्रभाव होता है।

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